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ISRO ने किया नया कारनामा, अंतरिक्ष में अंकुरित हुए लोबिया के बीज...

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है। इसरो ने अंतरिक्ष में लोबिया (Cowpeas) के बीजों को सफलतापूर्वक अंकुरित कर दिया है। अब वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि जल्द ही इन बीजों से पत्ते भी निकलेंगे। इस प्रयोग ने अंतरिक्ष में पौधों की वृद्धि को समझने की दिशा में एक अहम कदम बढ़ाया है, जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकता है।

30 दिसंबर: जब बीज ने किया अंतरिक्ष का सफर

30 दिसंबर 2024 को ISRO ने PSLV-C60 रॉकेट के जरिए लोबिया के बीजों को स्पेस X मिशन के तहत अंतरिक्ष में भेजा। यह मिशन विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) द्वारा विकसित 'कंपैक्ट रिसर्च मॉड्यूल फॉर ऑर्बिटल प्लांट स्टडीज' (CROPS) के तहत संचालित हुआ। ISRO ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर इसकी जानकारी साझा करते हुए लिखा:
"स्पेस में जीवन का आरंभ! CROPS प्रयोग PSLV-C60 POEM-4 पर सफलतापूर्वक हुआ। चार दिनों में लोबिया के बीज अंकुरित हुए, और जल्द ही पत्तियां निकलने की उम्मीद है।"

क्यों खास है यह उपलब्धि?

CROPS प्रयोग ने माइक्रोग्रैविटी (कम गुरुत्वाकर्षण) में पौधों की वृद्धि को समझने का नया रास्ता खोला है। यह प्रयोग केवल 4 दिनों में लोबिया के बीजों को अंकुरित करने में सफल रहा। वैज्ञानिकों का मानना है कि अंतरिक्ष में पौधों की बढ़ोतरी की इस प्रक्रिया को समझना लंबे अंतरिक्ष अभियानों और फसल उत्पादन के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकता है।

लोबिया के 8 बीजों का प्रयोग-

इस प्रयोग के तहत लोबिया के 8 बीजों को एक नियंत्रित वातावरण में उगाया गया। इस वातावरण में सक्रिय थर्मल नियंत्रण मौजूद था, जो अंतरिक्ष यात्रा के दौरान पौधों के लिए आवश्यक परिस्थितियों का अनुकरण करता है। यह उपलब्धि भारत के अंतरिक्ष जीवविज्ञान अनुसंधान के लिए एक बड़ा मील का पत्थर साबित हुई है।

अंतरिक्ष में फसलों की उम्मीद-

CROPS जैसे प्रयोग भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। लंबे समय तक चलने वाले मिशन में पौधों की वृद्धि और फसल उत्पादन से न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि जीवन समर्थन प्रणालियों में भी क्रांतिकारी बदलाव आएंगे।

ISRO का विज्ञान से संवाद-

ISRO की यह कामयाबी दिखाती है कि भारत अंतरिक्ष विज्ञान और जीवविज्ञान में अग्रणी बनने की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया है कि अंतरिक्ष में भी जीवन को पनपाने की क्षमता अब हमारी पहुंच में है। लोबिया के बीजों का अंतरिक्ष में अंकुरित होना न केवल तकनीकी कौशल का प्रतीक है, बल्कि यह इंसान के अंतरिक्ष में टिकाऊ भविष्य के सपने की ओर बढ़ाया गया एक बड़ा कदम भी है। ISRO की इस पहल ने अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की क्षमताओं को एक नई ऊंचाई दी है।

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