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क्या आपका बच्चा होगा अगला वैज्ञानिक है? यूपी की इन लैब्स से निकलेंगे भविष्य के ISRO स्टार

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उत्तर प्रदेश सरकार की एक नई और क्रांतिकारी पहल ने गांव-गांव में शिक्षा के मायनों को पूरी तरह बदलकर रख दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अब प्रदेश के हर ब्लॉक के सरकारी स्कूलों में "एस्ट्रो लैब्स" स्थापित की जा रही हैं —ऐसे विज्ञान केंद्र जो बच्चों को सिर्फ किताबें नहीं, बल्कि टेलीस्कोप, माइक्रोस्कोप और आधुनिक उपकरणों के ज़रिए ब्रह्मांड और विज्ञान को 'देखने' और 'समझने' का मौका दे रहे हैं।

टेलीस्कोप से तारे, माइक्रोस्कोप से कोशिकाएं

अब यूपी के गांवों में बच्चा सिर्फ "क्या होता है?" नहीं पूछता, बल्कि "क्यों होता है?" की खोज में लग चुका है।बलिया जैसे जिलों में बच्चे अब खुद चाँद-तारों को देख रहे हैं, गुरुत्वाकर्षण और प्रकाश के प्रयोग कर रहे हैं। 

क्या है एस्ट्रो लैब?

एस्ट्रो लैब एक प्रायोगिक विज्ञान केंद्र है जो खासतौर पर बच्चों की वैज्ञानिक जिज्ञासा को जगाने और अनुभव आधारित लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। हर लैब में मिल रहे हैं:

  • हाई-क्वालिटी टेलीस्कोप

  • डिजिटल माइक्रोस्कोप

  • मानव शरीर मॉडल

  • VR हेडसेट्स

  • और वीडियो गाइडेड प्रोजेक्ट्स

शिक्षकों को मिल रही खास ट्रेनिंग

इन एस्ट्रो लैब्स में पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी स्पेशल ट्रेनिंग प्रोग्राम से लैस किया जा रहा है ताकि वे बच्चों को केवल याद करने के लिए नहीं, बल्कि सोचने, खोजने और बनाने के लिए प्रेरित कर सकें। साथ ही, बच्चों को मेंटर्स, विज्ञान-वीडियोज़ और इंटरएक्टिव सेशन्स के माध्यम से वास्तविक वैज्ञानिक माहौल का अनुभव कराया जा रहा है।

PPP मॉडल की शानदार मिसाल

हर एस्ट्रो लैब को तैयार करने में मात्र 2.5 से 3 लाख रुपये का खर्च आया है। यह परियोजना PPP मॉडल (Public-Private Partnership) के तहत संचालित हो रही है — यानी सरकार और समाज मिलकर बच्चों का भविष्य गढ़ रहे हैं।

अब नासा और ISRO सिर्फ सपना नहीं

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस पहल से अब विज्ञान, खगोलशास्त्र और तकनीक सिर्फ महानगरों की सीमाओं में नहीं। गांवों से निकल रहे बच्चे अब ISRO, NASA और चंद्रयान की बातें करते हैं — और यहीं से शुरू होती है अगली पीढ़ी के वैज्ञानिकों की कहानी।

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