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भारत की सुरक्षा को मिलेगा नया आयाम, 52 जासूसी सैटेलाइट्स लॉन्च, AI तकनीक से होंगे लैस

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भारत की सुरक्षा और सीमा निगरानी में क्रांतिकारी बदलाव आने वाला है, क्योंकि अगले 5 सालों में देश 52 नए जासूसी सैटेलाइट्स लॉन्च करने की तैयारी में है। ये सैटेलाइट्स अत्याधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक से लैस होंगे और आपस में कम्यूनिकेशन कर सकेंगे। इनका मुख्य उद्देश्य चीन और पाकिस्तान के बॉर्डर पर निगरानी को मजबूत करना है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस महत्वाकांक्षी योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने हाल ही में मंजूरी दी है।

AI से लैस सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग होगी खास-

ISRO के सूत्रों के हवाले से खबर है कि इन 52 सैटेलाइट्स का निर्माण पूरी तरह से ISRO नहीं करेगा। इनमें से 21 सैटेलाइट्स ISRO द्वारा तैयार किए जाएंगे, जबकि बाकी 31 सैटेलाइट्स का निर्माण प्राइवेट कंपनियों द्वारा किया जाएगा। यह पहला मौका होगा जब इतनी बड़ी संख्या में निजी कंपनियों को सैटेलाइट निर्माण का जिम्मा सौंपा गया है।

सैटेलाइट्स आपस में करेंगे बात-

इन सैटेलाइट्स में एक बड़ी खासियत यह होगी कि ये एक-दूसरे के साथ कम्यूनिकेट कर सकेंगे। इसका मतलब यह है कि अगर 36,000 किमी की ऊंचाई पर स्थापित सैटेलाइट को कोई संदिग्ध गतिविधि नजर आती है, तो वह निचली कक्षा (400-600 किमी ऊंचाई पर) के सैटेलाइट को सूचना भेज सकेगा। इससे संदिग्ध इलाके में अधिक सटीकता और विस्तृत निगरानी की जा सकेगी।

27 हजार करोड़ का खर्च, AI से बढ़ेगी निगरानी क्षमता-

इस प्रोजेक्ट पर कुल मिलाकर 27,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। सभी सैटेलाइट्स AI आधारित होंगे, जिससे उनकी कार्यक्षमता और तेजी से निर्णय लेने की क्षमता और भी बढ़ जाएगी। इन सैटेलाइट्स की मदद से पृथ्वी तक डेटा, मैसेज और इमेजेज भेजने में भी काफी आसानी होगी।

SBS मिशन का तीसरा फेज-

भारत के स्पेस बेस्ड सर्विलांस (SBS) मिशन की शुरुआत साल 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी। इस प्रोजेक्ट का मकसद अंतरिक्ष से भारत की सीमा की निगरानी को और सुदृढ़ करना था। SBS के पहले फेज में 2001 में 4 सैटेलाइट लॉन्च किए गए थे, जिनमें प्रमुख सैटेलाइट रिसैट थी। इसके बाद 2013 में दूसरे फेज में 6 सैटेलाइट्स लॉन्च किए गए थे। अब तीसरे फेज के तहत अगले 5 सालों में 52 नए सैटेलाइट लॉन्च किए जाएंगे।

भारतीय सेना के लिए विशेष सैटेलाइट्स-

भारतीय सेना की तीनों शाखाओं के लिए भी विशेष सैटेलाइट्स लॉन्च किए गए हैं, जो उनकी निगरानी और संचार क्षमता को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं:

  • नेवी के लिए GSAT-7 सैटेलाइट, जिसे रुक्मिणी भी कहा जाता है, 2013 में लॉन्च की गई थी।
  • एयर फोर्स के लिए GSAT-7A या एंग्री बर्ड सैटेलाइट 2018 में लॉन्च की गई।
  • आर्मी के लिए GSAT-7 सैटेलाइट को 2023 में मंजूरी मिली, जिसे 2026 तक लॉन्च किया जाएगा।

निगरानी तंत्र होगा और सशक्त-

AI आधारित यह सैटेलाइट नेटवर्क भारत के निगरानी तंत्र को अभूतपूर्व ताकत देने वाला है। ये सैटेलाइट्स भारत की सीमाओं पर हो रही हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रखेंगे और किसी भी संदिग्ध हरकत का तुरंत पता लगाकर सुरक्षा बलों को सतर्क करेंगे। इसके साथ ही भारत की सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिक्रिया क्षमता में जबरदस्त वृद्धि होगी।यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट न केवल चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने में मदद करेगा, बल्कि भारत के रक्षा क्षेत्र को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।

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