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आज यानि 1 जुलाई से देशभर में कानून की भाषा बदल गयी है। ऐसा इसलिए क्योंकि आज से देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो रहे हैं। ये नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ब्रिटिशकाल के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (एविडेंस एक्ट) की जगह लेंगे। इन नए कानूनों के लागू होने से क्या असर पड़ेगा? और साथ ही यूपी में इन नए कानूनों को लेकर क्या तैयारी की गयी है यह भी जानना जरूरी है।
यूपी में नए कानूनों को लागू करने के लिए की गई तैयारी
यूपी के डीजीपी मुख्यालय ने इन कानूनों के प्रभावी होने से पहले अपनी तकनीकी सेवाओं को भी अपग्रेड किया है। इसके लिए मुख्यालय स्तर पर नोडल अधिकारी नामित कर समन्वय समिति भी बनाई गई है। ये सभी नए कानूनों की व्यावहारिक कठिनाइयों का समाधान कराएंगे। प्रदेश के पुलिस कर्मियों को भी इन कानूनों को लागू करने में कोई समस्या ना आए इसके लिए सभी पुलिसकर्मियों को डीजीपी मुख्यालय ने एक बुकलेट भी दी है। जिससे वे नए प्रावधानों के मुताबिक विधिक कार्रवाई कर सकेंगे। इसी के साथ ही प्रदेश के सभी पुलिस थानों पर सोमवार को नए कानूनों के बारे में लाेगों को जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम किए गए। जिनमें थाना प्रभारी आमंत्रित सदस्यों को विस्तार से नए कानूनों को बताएंगे।
नए कानूनों के लागू होने से क्या पड़ेगा असर?
जब भी कोई नया नियाम या कानून लागू किया जाता है तो, इन कानूनों के लागू होने से कुछ प्रभाव देखने को मिलते हैं। इनसे किस तरह के प्रभाव पड़ेंगे आइए कुछ पॉइंट्स के जरिए समझने की कोशिश करते हैं-
1. एक जुलाई से पहले दर्ज हुए मामलों में नए कानून का असर नहीं होगा। यानी जो केस 1 जुलाई 2024 से पहले दर्ज हुए हैं, उनकी जांच से लेकर ट्रायल तक पुराने कानूनों के हिसाब से ही होगी।
2. एक जुलाई से नए कानून के तहत एफआईआर दर्ज हो रही है और इसी के अनुसार जांच से लेकर ट्रायल पूरा होगा।
3. भारतीय न्याय संहिता में कुल 357 धाराएं हैं। अब तक आईपीसी में 511 धाराएं थीं। इसी तरह भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कुल 170 धाराएं हैं। नए कानून में 6 धाराओं को हटाया गया है। 2 नई धाराएं और 6 उप धाराएं जोड़ी गई हैं। पहले इंडियन एविडेंस एक्ट में कुल 167 धाराएं थीं।
4. नए कानून में ऑडियो-वीडियो यानी इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पर जोर दिया गया है। साथ ही फॉरेंसिंक जांच को अहमियत दी गई है।
5. कोई भी नागरिक अपराध के सिलसिले में कहीं भी जीरो FIR दर्ज करा सकेगा। जांच के लिए मामले को संबंधित थाने में भेजा जाएगा। अगर जीरो एफआईआर ऐसे अपराध से जुड़ी है, जिसमें तीन से सात साल तक सजा का प्रावधान है तो फॉरेंसिक टीम से साक्ष्यों की जांच करवानी होगी।
6. अब ई-सूचना से भी एफआईआर दर्ज हो सकेगी। हत्या, लूट या रेप जैसी गंभीर धाराओं में भी ई-एफआईआर हो सकेगी। वॉइस रिकॉर्डिंग से भी पुलिस को सूचना दे सकेंगे। E-FIR के मामले में फरियादी को तीन दिन के भीतर थाने पहुंचकर एफआईआर की कॉपी पर साइन करना जरूरी होगा।
7. फरियादी को एफआईआर, बयान से जुड़े दस्तावेज भी दिए जाने का प्रावधान किया गया है। फरियादी चाहे तो पुलिस द्वारा आरोपी से हुई पूछताछ के बिंदु भी ले सकता है।
8. FIR के 90 दिन के भीतर चार्जशीट चार्जशीट दाखिल करनी जरूरी होगी। चार्जशीट दाखिल होने के 60 दिनों के भीतर कोर्ट को आरोप तय करने होंगे।
9. मामले की सुनवाई पूरी होने के 30 दिन के भीतर जजमेंट यानी फैसला देना होगा। जजमेंट दिए जाने के बाद 7 दिनों के भीतर उसकी कॉपी मुहैया करानी होगी।
12. पुलिस को हिरासत में लिए गए शख्स के बारे में उसके परिवार को लिखित में बताना होगा। ऑफलाइन और ऑनलाइन भी सूचना देनी होगी।
13. राज्य सरकारें अब राजनीतिक केस जैसे पार्टी वर्कर्स के धरना-प्रदर्शन और आंदोलन से जुड़े केस एकतरफा बंद नहीं कर सकेंगी। धरना- प्रदर्शन, उपद्रव में यदि फरियादी आम नागरिक है तो उसकी मंजूरी लेनी होगी।
14. गवाहों की सुरक्षा के लिए भी प्रावधान है। तमाम इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी कागजी रिकॉर्ड की तरह कोर्ट में मान्य होंगे।
15. इन कानूनों के बाद अब मॉब लिंचिंग भी अपराध के दायरे में आ गया है। शरीर पर चोट पहुंचाने वाले अपराधों को धारा 100 से 146 तक बताया गया है।
By Aakash Singh
Baten UP Ki Desk
Published : 1 July, 2024, 12:42 pm
Author Info : Baten UP Ki