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जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों के चलते भारत में भीषण गर्मी यानी हीटवेव अब न केवल पहले से ज्यादा व्यापक और तीव्र होगी, बल्कि इसका समय भी खतरनाक रूप से बढ़ेगा। शोध समूह क्लाइमेट ट्रेंड्स द्वारा आयोजित इंडिया हीट समिट 2025 में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि आने वाले वर्षों में देश को लू के पहले से कहीं ज्यादा गंभीर और लंबी मार झेलनी पड़ सकती है।
हीटवेव अब डेढ़-दो महीने तक चलेगी: IIT वैज्ञानिक
आईआईटी दिल्ली के वायुमंडलीय विज्ञान केंद्र के प्रमुख प्रोफेसर कृष्ण अच्युता राव ने कहा कि जलवायु मॉडल साफ दिखा रहे हैं कि अब भारत में ताप लहरों का क्षेत्र और अवधि दोनों बढ़ रहे हैं। पहले जहां लू का असर एक हफ्ते तक सीमित होता था, वहीं अब ये लहरें डेढ़ से दो महीने तक चल सकती हैं।
उत्तर और दक्षिण दोनों क्षेत्रों पर असर
प्रो. राव के अनुसार, उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के साथ-साथ दक्षिणी प्रायद्वीपीय राज्यों में भी अब बड़े पैमाने पर और लंबी अवधि तक हीटवेव देखने को मिलेगी। “हमारा भविष्य बेहद भयावह दिख रहा है,” उन्होंने चेतावनी दी।
मानसून के दौरान भी गर्मी बन सकती है जानलेवा
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि वैज्ञानिकों ने मानसून के महीनों में भी हीटवेव की आशंका जताई है। आमतौर पर जून से सितंबर तक का समय ठंडक और बारिश का माना जाता है, लेकिन अब इस दौरान भी तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक जा सकता है। गर्म और नम वातावरण में यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए कहीं अधिक खतरनाक हो सकती है। जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट और हालिया वैज्ञानिक अध्ययनों ने भी दक्षिण एशिया में मानसून के दौरान गंभीर गर्मी की चेतावनी दी है।
ग्लेशियर पिघलने से बढ़ेगा जल संकट
हीटवेव के खतरे के साथ-साथ ग्लेशियरों के पिघलने की गति भी चिंता का कारण बन रही है। इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (ICIMOD) के वरिष्ठ हिम विशेषज्ञ फारूक आजम ने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमालय के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। इसका सीधा असर सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों पर पड़ेगा, जिन पर एक अरब से अधिक लोगों की जीवनरेखा टिकी हुई है।
आने वाला है "पीक वॉटर" का दौर
आजम ने कहा कि फिलहाल ग्लेशियरों से पिघलकर आने वाला पानी कृषि और बिजली उत्पादन के लिए मददगार है, लेकिन आने वाले वर्षों में यही जल स्रोत सूख सकते हैं। जब ग्लेशियरों से पानी निकलना कम हो जाएगा, उस स्थिति को “पीक वॉटर” कहा जाएगा। कुछ मॉडल बताते हैं कि यह स्थिति 2050 तक आ सकती है, जबकि ब्रह्मपुत्र में यह प्रक्रिया शायद शुरू भी हो चुकी है।
हीटवेव, बाढ़ और सूखे की तिहरी मार का खतरा
भारत को जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले वर्षों में गर्मी की अधिक तीव्रता और लंबी अवधि, मानसून में असामान्य तापमान और जल संकट जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। वैज्ञानिकों की यह चेतावनी समय रहते ध्यान देने की पुकार है — ताकि नीतियां, योजना और जन जागरूकता मिलकर इस संकट का सामना कर सकें।
Baten UP Ki Desk
Published : 30 May, 2025, 1:20 pm
Author Info : Baten UP Ki