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बांग्लादेश के मौजूदा हालातों के पीछे है आरक्षण का मुद्दा, या फिर ISI जिम्मेदार?

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बांग्लादेश में हाल के दिनों में हजारों छात्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। यह प्रदर्शन बांग्लादेश के प्रमुख शहरों, खासकर ढाका, चटगांव और राजशाही में तेजी से फैल रहा है। छात्र नेता और प्रदर्शनकारी सरकार की नीतियों, विशेष रूप से प्रदर्शनकारियों की मांग है कि स्वतंत्रता संग्रामियों  परिजनों को सरकारी नौकरियों में दिया जाने वाला आरक्षण पूरी तरह से खत्म होना चाहिए। देश में हिंसा भड़कने से कई लोगों की मौत हो गई। बांग्लादेश में आखिर ऐसा क्या हुआ कि शांतिपूर्ण रूप से चल रहे छात्रों के प्रदर्शन ने उग्र रूप धारण कर दिया?  

प्रदर्शन का मुख्य कारण-

प्रदर्शनकारी छात्रों का तर्क है कि मौजूदा आरक्षण के नियमों का फायदा शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग से जुड़े लोगों को मिल रहा है। इसके चलते प्रदर्शनकारियों ने शेख हसीना सरकार के प्रति असंतोष जताया है। सरकार ने इस स्थिति को संभालने के लिए बांग्लादेश में स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने का फैसला लिया, लेकिन इसके बावजूद देश में फैली अशांति को नियंत्रित करने में वह विफल साबित हुई है। सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण संबंधी फैसले से भी प्रदर्शनकारी नाखुश हैं। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ उठाए गए कदमों को लेकर बांग्लादेश की सेना के पूर्व प्रमुख इकबाल करीम ने सरकार की कड़ी आलोचना की है। वहीं, मौजूदा सेना प्रमुख ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया है, जिससे देश में दंगों की आग और भड़क गई।

हिंसा और सुरक्षा की स्थिति-

प्रदर्शन के दौरान हिंसा की घटनाएं भी सामने आई हैं। कई क्षेत्रों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुई हैं, जिसमें कई छात्र घायल हुए हैं। सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए हैं और विरोधी आंदोलनों को काबू में लाने के लिए कड़ी कार्रवाई की है।

क्या पाकिस्तानी सेना और ISI का हाथ है?

प्रदर्शन और हिंसा के पीछे पाकिस्तानी सेना और ISI का हाथ होने के आरोप भी लगाए जा रहे हैं। बांग्लादेश के कुछ राजनीतिक और सुरक्षा विश्लेषक यह मानते हैं कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों का भारत विरोधी अभियान के तहत बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप हो सकता है। हालांकि, इस तरह के आरोपों की पुष्टि के लिए कोई ठोस सबूत उपलब्ध नहीं हैं और यह विषय अभी भी जांच के दायरे में है।

क्या आईएसआई की कोई भूमिका है?

बताया जा रहा है कि बांग्लादेश में ‘छात्र शिविर’ नामक छात्र संगठन ने हिंसा को भड़काने का काम किया है। यह छात्र संगठन बांग्लादेश में प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी की शाखा है। ऐसा कहा जाता है कि जमात-ए-इस्लामी को पाकिस्तान की आईएसआई का समर्थन प्राप्त है। इस बीच, बांग्लादेश सरकार यह जांच कर रही है कि मौजूदा स्थिति में आईएसआई की कोई भूमिका है या नहीं।

बांग्लादेश की भविष्य की राह-

सवाल यह है कि क्या बांग्लादेश के छात्र आंदोलन केवल आंतरिक समस्याओं का परिणाम हैं, या इसमें बाहरी ताकतों की भूमिका भी है? आने वाले दिनों में यह स्पष्ट हो सकता है कि यह आंदोलन किस दिशा में जाएगा और बांग्लादेश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।बांग्लादेश में हो रहे इन छात्रों के विरोध प्रदर्शनों ने एक बार फिर से देश की आंतरिक समस्याओं और सरकार के खिलाफ असंतोष को उजागर किया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस संकट को कैसे संभालती है और क्या यह आंदोलन अंततः सकारात्मक बदलाव की दिशा में अग्रसर होगा।

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