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क्या आप जानते हैं कि आपको भूख लगने, खाना पचाने, इम्यूनिटी मजबूत करने, मांसपेशियों के कमजोर होने के बाद शरीर में ऊर्जा की कमी न होने देने, अतिरिक्त ग्लूकोज को फैट के रूप में स्टोर करने, शुगर कंट्रोल तक का काम आपकी बॉडी में कौन करता है? तो वो है आपका लीवर। इतना ही नहीं, लीवर शरीर के उत्सर्जी अंग यानी हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने वाले अंग के रूप में भी काम करता है। लेकिन जब आपका लीवर इन्फेक्टेड हो जाता है तो इससे हेपिटाईटिस जैसी खतरनाक बीमारी भी हो सकती है।
किसे कहते हैं हेपेटाइटिस?
हेपेटाइटिस लिवर के सूजन को कहते हैं, यह बीमारी अधिकतर वायरल इंफ़ेक्शन की वजह से होती है। इससे लीवर कैंसर, लीवर फेलियर और लिवर से संबंधित दूसरी कई बीमारियां हो सकती हैें। इस वायरस के 5 स्ट्रेन होते हैं। जिनका नाम ए से लेकर ई तक है। इनमें से सबसे ज़्यादा ख़तरनाक बी और सी हैं।
क्या होते हैं इसके लक्षण?
इसके लक्षणों की बात करें तो आमतौर पर हेपेटाइटिस की स्थिति में थकान, फ्लू जैसे लक्षण, पेशाब का रंग गहरा होने, पीला मल होने, पेट में दर्द, भूख न लगने और बिना कारण वजन कम होने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। लिवर की समस्याओं के कारण अक्सर त्वचा और आंखों का पीला पड़ने (पीलिया) का खतरा बना रहता है।
क्या कहता है WHO?
यह बीमारी कितनी खतरनाक है इसका अंदाजा WHO के एक अनुमान से लगाया जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुमान के मुताबिक़ प्रत्येक साल इस बीमारी से 13 लाख लोगों की मौत हुई है। इसका मतलब है कि प्रत्येक 30 सेकेंड में हेपेटाइटिस से 1 व्यक्ति की मौत हो रही है। लीवर कैंसर का भी बड़ा कारण बन रहा है। इससे निपटने के लिए वर्ष 2018 में वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीएचसीपी) शुरू किया गया था।
यूपी में हेपेटाइटिस की क्या है स्थिति?
बात अगर उत्तर प्रदेश कि करें तो प्रदेश सरकार ने भी वर्ष 2030 तक हेपेटाइटिस बी और सी को खत्म करने का लक्ष्य तय किया है। हेपेटाइटिस के संदिग्ध लोगों को फिलहाल जांच के लिए परेशानी उठानी पड़ती है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्राइवेट सेक्टर में इसकी जांच महंगी है। वहीं सरकारी अस्पताल ऐसे मरीजों को मेडिकल कॉलेजों में रेफर कर देते हैं। प्रदेश में केजीएमयू को इसकी जांच का नोडल सेंटर बनाया गया है। बता दें कि वायरल हेपेटाइटिस की पहचान के लिए संदिग्ध व्यक्ति का वायरल लोड नापा जाता है। कोरोना में भी वायरल लोड की जांच की जाती थी। उसके लिए प्रदेश के तमाम जिला अस्पतालों में RTPCR टेस्ट की जांच सुविधा शुरू कराई गई थी। इसी मशीन के जरिए वायरल हेपेटाइटिस की भी जांच हो सकती है। जिसके बाद जरूरत को देखते हुए प्रमुख सचिव ने इसे सभी जिला अस्पतालों में जल्द शुरू कराने के निर्देश जारी किए हैं। जिसके बाद अब जल्द ही यूपी के हर जिला अस्पताल में वायरल हेपेटाइटिस की जांच शुरू हो जाएगी।
ऐसे करें हेपेटाइटिस से करें बचाव-
इसके संक्रमण से बचाव के तरीकों की बात करें तो ऐसे टीके उपलब्ध हैं जो हेपेटाइटिस वायरस से बचाव में मदद कर सकते हैं। हेपेटाइटिस ए और बी का टीकाकरण जरूरी माना जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी नवजात शिशुओं को हेपेटाइटिस बी के टीके लगाने की सलाह देते हैं। आमतौर पर बचपन के पहले 6 महीनों में तीन टीके लगाए जाते हैं। हेपेटाइटिस बी के खिलाफ टीकाकरण हेपेटाइटिस डी को भी रोक सकता है। हेपेटाइटिस से बचने का सबसे प्रभावी तरीका स्वच्छता का ध्यान रखना है। साफ पानी और साफ भोजन का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
Baten UP Ki Desk
Published : 30 July, 2024, 1:54 pm
Author Info : Baten UP Ki