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नक्सलवाद से था नाता, फिर पकड़ी मायानगरी की राह, जीते 3 नेशनल अवॉर्ड, अब मिथुन को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार

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बॉलीवुड का एक ऐसा नाम जिसने 80 के दशक में हिंदी सिनेमा के दर्शकों के दिलों पर राज किया। राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन के बाद मिथुन चक्रवर्ती ही एकमात्र ऐसे अभिनेता थे जिनकी हेयरस्टाइल और डांस मूव्स ने उस दौर की युवा पीढ़ी को अपना दीवाना बना लिया था। अब उन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान, दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड (Dadasaheb Phalke Award) से नवाज़ा जाएगा। इस खबर की पुष्टि केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया के माध्यम से की। कभी मुंबई की सड़कों पर टैक्सियां धोने वाला पश्चिम बंगाल का यह युवा आज उस मुकाम पर है, जिसकी कल्पना शायद उनके करीबियों ने भी नहीं की होगी। और जब मिथुन को इस पुरस्कार से सम्मानित होने की जानकारी मिली, तो वे खुद भी इसे लेकर भावुक हो गए।

इस दिन मिथुन को मिलेगा दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड-

साल 2024 का दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड मिथुन चक्रवर्ती को मिलेगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 30 सितंबर को इस सम्मान की घोषणा की। मिथुन दा को 8 अक्टूबर को 70वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड समारोह में सम्मानित किया जाएगा। पांच दशक के अपने फिल्मी करियर में मिथुन दा ने बांग्ला, हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, ओडिया और भोजपुरी सिनेमा में 350 से अधिक फिल्मों में काम किया है।

मृगया से लेकर डिस्को डांसर तक का सफर-

मिथुन चक्रवर्ती ने 1976 में मृणाल सेन की फिल्म मृगया से अपने करियर की शुरुआत की थी। इस फिल्म में बेहतरीन अदाकारी के लिए उन्हें पहला नेशनल अवॉर्ड मिला था। लेकिन 1982 में आई फिल्म डिस्को डांसर ने उन्हें भारतीय सिनेमा का सुपरस्टार बना दिया। इस फिल्म के बाद मिथुन की पहचान न केवल भारत में बल्कि सोवियत यूनियन में भी बन गई। 80-90 के दशक में वे सबसे अधिक पारिश्रमिक पाने वाले अभिनेताओं में शामिल हो गए।

नक्सली से सुपरस्टार बनने तक का सफर-

मिथुन का जन्म 16 जून 1950 को कोलकाता में हुआ था। उनका असली नाम गौरांग चक्रवर्ती है। वे केमिस्ट्री में ग्रेजुएट हैं, लेकिन युवावस्था में उनका जीवन एक मोड़ पर नक्सली आंदोलन में शामिल होकर कट्टर नक्सली बनने की ओर बढ़ गया। परिस्थितियों के बदलने पर जब उनके छोटे भाई की मौत हो गई, तब मिथुन ने नक्सल आंदोलन छोड़ने का फैसला किया और अपने परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने के लिए घर लौट आए। उस समय नक्सलवाद छोड़ना खतरे से भरा कदम था, लेकिन मिथुन ने अपने परिवार को प्राथमिकता दी।

भूख, संघर्ष और सफलता की कहानी-

जब मिथुन ने नक्सली आंदोलन छोड़ा और अपने करियर को नए सिरे से शुरू किया, तब उनका रुझान सिनेमा की ओर हुआ। उन्होंने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट से एक्टिंग की पढ़ाई की। लेकिन मुंबई पहुंचकर उन्हें शुरुआती दौर में कड़े संघर्ष का सामना करना पड़ा। कई दिनों तक उन्हें भूखे पेट सोना पड़ा, और काम की तलाश में इधर-उधर भटकना पड़ा। कई महीनों के संघर्ष के बाद उन्हें अभिनेत्री हेलन का असिस्टेंट बनने का मौका मिला, और धीरे-धीरे छोटे-मोटे रोल मिलने शुरू हुए। दो अनजाने में अमिताभ बच्चन के साथ उनका एक छोटा सा रोल था। उस दौरान मिथुन ने कई फिल्मों में बॉडी डबल का भी काम किया। लेकिन उनकी किस्मत तब चमकी जब मृणाल सेन ने उन्हें अपनी फिल्म मृगया में बतौर हीरो कास्ट किया।

मिथुन का पहला नेशनल अवॉर्ड-

मृगया के लिए मिथुन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का नेशनल अवॉर्ड मिला। लेकिन आर्थिक तंगी के चलते उनके पास दिल्ली जाकर अवॉर्ड लेने तक के पैसे नहीं थे। उस समय अभिनेत्री रेखा ने उन्हें अपना स्पॉटबॉय बनाकर दिल्ली ले जाया, ताकि वे अपने करियर का पहला बड़ा सम्मान हासिल कर सकें।

सांवले रंग के चलते हीरोइनें नहीं थीं तैयार-

मृगया के बाद भी मिथुन को संघर्ष करना पड़ा। सांवले रंग के चलते उस दौर की अभिनेत्रियां उनके साथ काम करने से कतराती थीं। हालांकि, 1979 में आई फिल्म सुरक्षा से उनकी किस्मत पलट गई। यह फिल्म मिथुन के लिए सुपरहिट साबित हुई और उसके बाद बड़े निर्माता-निर्देशक उनकी कतार में खड़े हो गए।

हिंदी सिनेमा की 100 करोड़ कमाने वाली पहली फिल्म-

साल 1982 में मिथुन की फिल्म डिस्को डांसर ने भारतीय सिनेमा को एक नया मुकाम दिया। यह हिंदी सिनेमा की पहली फिल्म थी जिसने 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का कलेक्शन किया। मिथुन नॉन-डांसर होते हुए भी इस फिल्म के लिए जबरदस्त डांस मूव्स देकर लोकप्रिय हो गए। उनके डांस स्टेप्स उस दौर में देशभर में फेमस हो गए थे।

मिथुन का रिकॉर्ड और 'लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' में नाम-

1989 में मिथुन चक्रवर्ती की 19 फिल्में रिलीज हुईं, जिसमें वे बतौर लीड एक्टर नजर आए। यह रिकॉर्ड लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है और आज तक कोई अभिनेता इस रिकॉर्ड को तोड़ नहीं पाया है।

अंतिम हिंदी फिल्म और बंगाली सिनेमा में योगदान-

मिथुन की आखिरी हिंदी फिल्म द कश्मीर फाइल्स थी, जो 2022 में रिलीज हुई। इसके अलावा बंगाली सिनेमा में प्रजापति और काबुलीवाला जैसी फिल्मों में भी उन्होंने बेहतरीन अदाकारी की।

वहीदा रहमान को पिछले साल मिला था सम्मान-

2023 में यह सम्मान सिनेमा की दिग्गज अदाकारा वहीदा रहमान को दिया गया था। वे यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली आठवीं महिला हैं। उनसे पहले यह सम्मान देविका रानी, रूबी मेयर्स, कानन देवी, दुर्गा खोटे, लता मंगेशकर, आशा भोसले और आशा पारेख को मिल चुका है।

नक्सली से राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता तक का सफर प्रेरणादायक-

मिथुन चक्रवर्ती की कहानी सिनेमा के उस पहलू को दर्शाती है, जहां संघर्ष और तपस्या का अंत सफलता में होता है। एक नक्सली से सुपरस्टार बनने तक का उनका सफर न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि परिस्थितियां चाहे जितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर जुनून और मेहनत हो तो इंसान किसी भी मुकाम को हासिल कर सकता है।

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