उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में शिक्षा की तस्वीर बदलने वाला क्रांतिकारी प्रयास रंग ला रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी नीति के तहत सरकारी स्कूल अब अपनी पुरानी छवि को पीछे छोड़कर नए युग में प्रवेश कर चुके हैं। जिले के 52 सरकारी स्कूलों को ऐसा कायाकल्प मिला है कि वे अब कॉन्वेंट स्कूलों को भी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। जिला प्रशासन और अधिकारियों के समर्पण से ये स्कूल आधुनिक तकनीक, बेहतर सुविधाओं और उच्च स्तरीय शिक्षण प्रणाली के प्रतीक बन गए हैं, जो न केवल छात्रों बल्कि अभिभावकों के लिए भी गर्व का कारण बन रहे हैं।
जनसहयोग और प्रशासनिक जिम्मेदारी का बेहतरीन उदाहरण-
महाराजगंज के जिलाधिकारी के अनुसार अगस्त महीने में जिले के 52 सरकारी विद्यालयों को अधिकारियों द्वारा गोद लिया गया था। इसके तहत विद्यालयों को ‘ऑपरेशन कायाकल्प’ के 9 मानकों पर बेहतर बनाने की जिम्मेदारी दी गई। इस पहल में पुस्तकालय, स्मार्ट क्लास रूम, ओपन क्लास रूम, एस्ट्रोनॉमी रूम, सीसीटीवी कैमरा, किचन शेड, बुक बैंक जैसी सुविधाओं को शामिल किया गया।
स्कूलों में दीवारों पर की गई खूबसूरत वॉल पेंटिंग्स-
सरकारी विद्यालयों को आकर्षक बनाने के लिए इनकी दीवारों पर खूबसूरत वॉल पेंटिंग्स कराई गईं। बच्चों के लिए मल्टीपल हैंडवाश यूनिट्स, बैठने के लिए बेंच, और झूले भी लगाए गए। इन प्रयासों ने न केवल स्कूलों के वातावरण को आधुनिक बनाया, बल्कि बच्चों और अभिभावकों के विश्वास को भी मजबूत किया है।
जनपद के लिए आदर्श बनेंगे ये 52 विद्यालय-
जिलाधिकारी अनुनय झा ने इस पहल में योगदान देने वाले 52 अधिकारियों, ग्राम प्रधानों, प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "यह अभियान केवल भौतिक संरचनाओं के सुधार तक सीमित नहीं है। अब हमारा अगला लक्ष्य विद्यालयों के मानव संसाधन को मजबूत करना और बच्चों की अधिगम कौशल (सीखने की क्षमता) को बेहतर बनाना है।"
आधुनिक सुविधाओं से बढ़ेगा शिक्षा का स्तर-
जिला प्रशासन का मानना है कि ये विद्यालय जिले के अन्य सरकारी स्कूलों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगे। इनका सकारात्मक प्रभाव पूरे जिले में शैक्षणिक माहौल में बड़े बदलाव के रूप में देखा जाएगा।
विभागीय प्रयास और भविष्य की योजना-
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि इस पहल की सफलता जिलाधिकारी की दूरदृष्टि और मार्गदर्शन का परिणाम है। विभाग अब अन्य विद्यालयों को इसी तर्ज पर विकसित करने के लिए प्रयासरत है।
सरकारी विद्यालयों में बदलाव की लहर-
इस तरह की पहल ने यह साबित कर दिया है कि अगर सरकारी विद्यालयों को सही दिशा और समर्थन मिले, तो वे भी कॉन्वेंट स्कूलों के समकक्ष बन सकते हैं। महाराजगंज के 52 स्कूल इस बदलाव की मिसाल हैं और एक बेहतर भविष्य की उम्मीद जगा रहे हैं।