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संविधान निर्माण में शामिल थीं यूपी की ये महिलाएं...

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'26 नवंबर, 1949' यह वह दिन है जब हमारे संविधान को अंतिम रूप दिया गया। आज, हम इसे संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं। लेकिन इसके पहले 1946 में भारत की संविधान सभा का गठन हुआ। यह सभा भारत को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से बनाई गई थी। इसमें पुरुषों के साथ महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। इन महिलाओं ने न सिर्फ अपने अधिकारों की बात की, बल्कि देश को सामाजिक न्याय और लैंगिक समानता की दिशा में आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। ये महिलाएं अपने तर्कों और विचारों से संविधान को समृद्ध करती रहीं। लेकिन आज हम यूपी की उन महिलाओं के बारे में बात करेंगे जिन्होंने संविधान सभा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

इसमें पहला नाम है कमला चौधरी-

कमला चौधरी उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक संपन्न परिवार में जन्मीं। वे एक प्रसिद्ध लेखिका थीं। उनकी कहानियां महिलाओं के जीवन और उनकी चुनौतियों पर आधारित होती थीं। 1930 में कमला चौधरी ने महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन में हिस्सा लिया। इसके बाद वे कांग्रेस से जुड़ीं और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की उपाध्यक्ष बनीं। संविधान सभा में उनका जोर सामाजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण पर था। उन्होंने समान शिक्षा और महिला अधिकारों की वकालत की। कमला चौधरी का दृष्टिकोण स्पष्ट था—देश में महिलाओं को समान अधिकार मिलने चाहिए। वे 1947 से 1952 तक संविधान सभा की सदस्य रहीं। उनकी उपस्थिति ने महिला सशक्तिकरण के मुद्दों को मजबूत किया।

दूसरा नाम है विजया लक्ष्मी पंडित-

विजया लक्ष्मी पंडित, देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बहन थीं। उनका सफर राजनीति में नगर निगम चुनाव से शुरू हुआ। 1936 में उन्हें संयुक्त प्रांत की असेंबली के लिए चुना गया। 1937 में वे स्थानीय सरकार और सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री बनीं। यह पद संभालने वाली वे पहली भारतीय महिला थीं। संविधान सभा में विजया लक्ष्मी ने महिलाओं की स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अनुभवों के आधार पर भारत में महिलाओं के लिए बेहतर नीतियों की मांग की। उनकी सोच और सुझावों ने संविधान निर्माण में गहरी छाप छोड़ी।

तीसरा नाम है राजकुमारी अमृत कौर-

अमृत कौर का जन्म 1889 में लखनऊ में हुआ। वे कपूरथला के महाराज के परिवार से थीं। लेकिन उनका झुकाव सामाजिक कार्यों की ओर रहा। उन्होंने भारत में ट्यूबरक्लोसिस एसोसिएशन और सेंट्रल लेप्रोसी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की। वे रेड क्रॉस सोसाइटी और सेंट जॉन एम्बुलेंस सोसाइटी से भी जुड़ी रहीं। संविधान सभा में अमृत कौर ने महिलाओं के अधिकारों और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर जोर दिया। वे महिलाओं के लिए समान शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की हिमायती थीं। उनका योगदान इतना बड़ा था कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने उनके निधन के बाद उन्हें " देश की राजकुमारी " कहा।

समानता आधारित बनाने के लिए हर संभव प्रयास-

संविधान सभा में इन महिलाओं ने सिर्फ बैठकों में भाग नहीं लिया। उन्होंने संविधान को महिलाओं के लिए न्यायपूर्ण और समानता आधारित बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया। वे अपने विचारों और साहस से पुरुषों के वर्चस्व वाले समाज में अपनी जगह बनाने में सफल रहीं। इन महिलाओं की कोशिशों का नतीजा आज हमारे संविधान में दिखता है। कमला चौधरी, विजया लक्ष्मी पंडित, और राजकुमारी अमृत कौर जैसी महिलाओं की कहानियां हमें दिखाती हैं कि बदलाव के लिए हौसला और हिम्मत की जरूरत होती है। आज हम जो अधिकार और स्वतंत्रता भोग रहे हैं, उसकी नींव इन्हीं महिलाओं ने रखी थी।

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