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भारत सरकार ने क्षय रोग (टीबी) के खिलाफ अपनी लड़ाई को और मजबूत करते हुए एक अहम फैसला लिया है। सरकार अब 1,500 पोर्टेबल हैंडहेल्ड एक्स-रे डिवाइस खरीदेगी, ताकि देश के कोने-कोने में टीबी की समय रहते पहचान और जांच संभव हो सके। इस डिवाइस की खरीद केंद्रीय स्तर पर की जा रही है और इसे जरूरत के अनुसार राज्यों और जिलों को उपलब्ध कराया जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने इस कदम को सराहनीय बताते हुए कहा कि इससे उन टीबी मरीजों तक पहुंच संभव होगी, जो अब तक जांच के दायरे से बाहर थे।
ग्राम पंचायतें बनीं टीबी के खिलाफ ढाल, महाराष्ट्र सबसे आगे
टीबी के खिलाफ चल रही जमीनी लड़ाई में गांवों की भूमिका भी सामने आ रही है। बीते दो वर्षों में देश की करीब 50 हजार ग्राम पंचायतें टीबी मुक्त घोषित की जा चुकी हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 46,118 ग्राम पंचायतों में टीबी संक्रमण का कोई नया मामला दर्ज नहीं हुआ है। इस सूची में महाराष्ट्र शीर्ष पर है, जबकि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्य भी पहले पांच स्थानों में शामिल हैं। किसी पंचायत को टीबी मुक्त घोषित करने के लिए यह जरूरी होता है कि या तो गांव में कोई सक्रिय टीबी रोगी न हो, या फिर सभी मरीजों का सफल इलाज हो चुका हो।
अब बिना सुई और लंबे इंतजार के होगा एमडीआर-टीबी का इलाज
जून में जारी एक रिपोर्ट में बताया गया कि भारतीय वैज्ञानिकों ने मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी (एमडीआर-टीबी) के लिए एक नई उपचार पद्धति विकसित की है। अब मरीजों को न सुई की जरूरत पड़ेगी और न ही सालभर का इंतजार करना होगा।नई थेरेपी में केवल तीन दवाओं का मिश्रण इस्तेमाल होता है, जिसकी मदद से मरीज सिर्फ 26 हफ्तों में पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। यह समय पहले के मुकाबले आधा है, क्योंकि पहले यह इलाज 9 महीने से 18 महीने तक चलता था।
क्या है नया इलाज और इसकी खासियत?
इस उपचार में लाइनेजोलिड नामक दवा की मात्रा को धीरे-धीरे घटाया जाता है, ताकि इसके दुष्प्रभाव जैसे न्यूरोपैथी और एनीमिया से बचा जा सके। शोधकर्ताओं का कहना है कि खुराक में यह बदलाव इलाज की प्रभावशीलता को प्रभावित नहीं करता, बल्कि मरीजों के लिए इसे ज्यादा सहज और सुरक्षित बनाता है।
2025 तक टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य
सरकार ने 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की निर्धारित समयसीमा से 5 साल पहले है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए तकनीक, दवा और जनसहभागिता—तीनों स्तरों पर प्रयास तेज कर दिए गए हैं।
समग्र रणनीति से टीबी को हराने की ओर भारत
भारत में टीबी के खिलाफ चल रही जंग अब केवल दवाइयों तक सीमित नहीं है, बल्कि अब इसमें तकनीकी नवाचार, समुदाय की भागीदारी और बेहतर स्वास्थ्य नीति भी शामिल हो चुकी है। अगर इसी रफ्तार से प्रयास जारी रहे, तो 'टीबी मुक्त भारत' का सपना जल्द ही हकीकत बन सकता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 9 July, 2025, 1:23 pm
Author Info : Baten UP Ki