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यूपी के डेढ़ लाख से ज्यादा छात्र रचेंगे इतिहास, इस मौके पर लेंगे नशा मुक्ति का संकल्प...

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क्या आप जानते हैं कि भारत की मिट्टी में ऐसे भी वीर पैदा हुए, जिन्होंने धर्म और सच्चाई की रक्षा के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी? वीर बाल दिवस, 26 दिसंबर का दिन, हमें सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह के चार साहिबजादों के अतुल्य साहस और बलिदान की याद दिलाता है। उनकी कहानी सिर्फ़ इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है। इस साल, साहिबजादों की याद में नशा मुक्ति का एक ऐतिहासिक संकल्प लिया जाएगा, जो युवा पीढ़ी को सकारात्मक जीवन की ओर प्रेरित करेगा। आइए, जानें इस अद्वितीय दिन के पीछे की कहानी और इससे जुड़ी खास पहल।

क्‍यों मनाया जाता है वीर बाल दिवस?

26 दिसंबर, 1705—एक दिन जो इतिहास में साहस और बलिदान की अद्वितीय मिसाल बन गया। इसी दिन गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादे, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह, ने धर्म और सच्चाई के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। उनकी अविस्मरणीय शहादत को नमन करते हुए, वर्ष 2022 से यह दिन "वीर बाल दिवस" के रूप में मनाया जा रहा है। यह अवसर गुरु गोबिंद सिंह जी के चारों साहिबजादों के अदम्य साहस और बलिदान को सम्मानित करने और उनकी अमर गाथा को हर पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास है।

साहिबजादों का अमर बलिदान-

1705 में, गुरु गोबिंद सिंह के छोटे साहिबजादे, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह, ने इस्लाम धर्म कबूल करने से इनकार कर दिया। मुगल शासक सरहिंद के नवाब वजीर खान ने उन्हें दीवार में जिंदा चुनवा दिया। यह बलिदान धर्म और कर्तव्य के प्रति निष्ठा का अप्रतिम उदाहरण है। उनकी शहादत को अमर बनाने के लिए वीर बाल दिवस को विशेष महत्व दिया गया है।

नशा मुक्ति का संकल्प: यूपी के युवाओं को नई दिशा-

इस वर्ष, वीर बाल दिवस पर एक ऐतिहासिक पहल की जाएगी। उत्तर प्रदेश के 1.70 लाख परिषदीय विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को नशा मुक्ति का संकल्प दिलाया जाएगा। यह अभियान योग ज्योति इंडिया, बेसिक शिक्षा परिषद और लाल ब्रिगेड एक्शन ग्रुप के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।

नशा मुक्त भारत का सपना-

इस आयोजन का उद्देश्य युवाओं को नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करना और उन्हें नशा मुक्त जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है। इस संकल्प के साथ देश और दुनिया के लिए एक मजबूत संदेश जाएगा कि युवा पीढ़ी सकारात्मक बदलाव के लिए तैयार है।

गौरवमयी संस्कृति को पुनर्जीवित करने का प्रयास-

योग गुरु ज्योति बाबा ने इस बात पर जोर दिया कि हमारी किताबों से ऐसे प्रेरक किरदारों को हटाना एक बड़ी साजिश थी। साहिबजादों की शहादत को बच्चों के बीच प्रचलित करने और उनकी महान गाथा से प्रेरणा लेने के लिए यह दिन मनाया जाता है।

लखनऊ में होगा विशेष आयोजन और झांकियां-

  • गुरुद्वारा और संग्रहालय: लखनऊ के गुरुद्वारा नाका हिंडोला में साहिबजादों की झांकी का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही, बच्चों के लिए एक संग्रहालय खोला जाएगा, जिसमें उनके बलिदान की गाथा को प्रदर्शित किया जाएगा।
  • प्रतियोगिताएं और शिक्षण: खालसा इंटर कॉलेज में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा, जहां विद्यार्थियों को साहिबजादों की जीवनी और उनकी शिक्षाओं से परिचित कराया जाएगा।

वीर बाल दिवस का महत्व-

साल 2022 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन को साहिबजादों की अद्वितीय वीरता, धर्म रक्षा और बलिदान को याद करने और भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने के लिए समर्पित किया गया है। वीर बाल दिवस न केवल इतिहास को याद करने का दिन है, बल्कि यह भविष्य के लिए एक दृष्टि प्रस्तुत करता है। साहिबजादों का बलिदान हमें अपने मूल्यों और परंपराओं की रक्षा करने का संदेश देता है। साथ ही, नशा मुक्ति अभियान जैसी पहलें इस दिन को और भी प्रासंगिक बनाती हैं। आइए, हम भी इस दिन को अपने संकल्प और प्रेरणा का हिस्सा बनाएं।

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