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भारत के अमीरों की विदेशी उड़ान! क्या है पलायन के पीछे की असली वजह?

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भारत से हर साल हजारों करोड़पति और अरबपति विदेश क्यों जा रहे हैं? क्या यह केवल एक बेहतर लाइफस्टाइल की तलाश है, या इसके पीछे कुछ और ही वजहें हैं? भारत खुद ही अवैध प्रवासियों की समस्या से जूझ रहा है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि हमारे देश के ही अमीर लोग तेजी से विदेश जा रहे हैं। विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल लाखों भारतीय माइग्रेट कर जाते हैं, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा अल्ट्रा हाई नेट वर्थ इनडिविजुअल्स (UHNWIs) का है। एक सर्वे के मुताबिक हर पांच में से एक अल्ट्रा रिच भारतीय विदेश बसने की सोच रहा है। इनमें से ज्यादातर लोग अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूएई जैसे देशों की तरफ रुख कर रहे हैं।

अगर आंकड़ों की बात करें तो, चीन इस समय अमीरों के पलायन में पहले स्थान पर है, जहां 2023 में 13,000 से अधिक अमीर लोगों ने देश छोड़ा। वहीं, भारत इस लिस्ट में दूसरे स्थान पर है, जहां पिछले साल 6,500 से अधिक अल्ट्रा रिच लोगों ने देश छोड़ दिया।

विदेश जाने के कारण:

  1. टैक्स में छूट - कई देशों में टैक्स पॉलिसी इतनी लचीली है कि वहां जाकर बसने से अमीर लोगों को भारी टैक्स से बचाव मिलता है। उदाहरण के लिए, यूएई की गोल्डन वीजा स्कीम अमीरों को 10 साल का लॉन्ग-टर्म वीजा देती है, जिससे वे बिना किसी लोकल स्पॉन्सर के बिजनेस चला सकते हैं।

  2. बेहतर लाइफस्टाइल - विदेशों में इंफ्रास्ट्रक्चर, सुरक्षा और हेल्थकेयर सिस्टम बेहतर है, जिससे अमीरों को एक आरामदायक जीवनशैली मिलती है।

  3. इंवेस्टमेंट के अवसर - अमेरिका, कनाडा और यूरोप में बिजनेस करना आसान है, जिससे इन देशों में निवेश के मौके बढ़ जाते हैं।

  4. नागरिकता के आसान विकल्प - कुछ देश पैसे देकर नागरिकता (Citizenship by Investment) प्रदान करते हैं। अमेरिका ने भी हाल ही में गोल्ड कार्ड नामक योजना शुरू की है, जिससे अमीर लोग आसानी से वहां नागरिकता ले सकते हैं।

क्या भारतीय नागरिकता छोड़ रहे हैं अमीर?

दिलचस्प बात यह है कि ज्यादातर अमीर भारतीय अपनी भारतीय नागरिकता नहीं छोड़ना चाहते। भारतीय संविधान ड्यूल सिटिजनशिप की इजाजत नहीं देता। इसलिए, अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य देश की नागरिकता लेता है, तो उसे भारतीय नागरिकता छोड़नी पड़ती है। हालांकि, भारत ‘ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया’ (OCI) कार्ड प्रदान करता है, जिससे वे भारत आ-जा सकते हैं लेकिन यहां जमीन नहीं खरीद सकते और न ही मतदान कर सकते हैं।

भारत पर इसका असर:

  1. नौकरियों पर असर - अमीर लोग बड़े इन्वेस्टर्स होते हैं, अगर वे चले जाएंगे तो स्टार्टअप्स और बिजनेस में निवेश कम हो सकता है।

  2. टैक्स कलेक्शन में गिरावट - अमीर लोग सबसे ज्यादा टैक्स भरते हैं। अगर वे विदेश शिफ्ट हो जाएंगे, तो सरकार को भारी आर्थिक नुकसान होगा।

  3. इनोवेशन और स्टार्टअप्स पर प्रभाव - भारत में स्टार्टअप बूम चल रहा है, लेकिन अगर निवेशक और संस्थापक बाहर चले गए, तो नए बिजनेस आइडिया और इनोवेशन में गिरावट आ सकती है।

  4. इकोनॉमिक सुपरपावर बनने का सपना खतरे में - अगर भारत अपनी अमीर आबादी को रोकने में असफल रहा, तो ग्लोबल इकोनॉमिक पावर बनने का सपना धुंधला पड़ सकता है।

क्या हो सकता है समाधान?

अगर हम उन देशों की बात करें जहां आर्थिक असमानता कम है, तो नॉर्डिक देश जैसे नॉर्वे, स्वीडन, डेनमार्क और फिनलैंड इसमें सबसे आगे हैं। यहां सरकारें अमीरों से ज्यादा टैक्स लेकर गरीबों को बेहतर सुविधाएं देती हैं। डेनमार्क में 90% से अधिक आबादी मिडिल क्लास में आती है, और गरीबों की संख्या न के बराबर है। इस वजह से वहां की सोसायटी ज्यादा संतुलित और स्थिर रहती है। भारत को भी अपने अमीर नागरिकों को रोकने के लिए टैक्स में सुधार, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और निवेश के अनुकूल माहौल बनाना होगा, ताकि वे देश में ही रहकर योगदान दे सकें।

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