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चरम पर है अमेरिका-ईरान टकराव! क्या ये तीसरे विश्व युद्ध की है आहट?

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अमेरिका और ईरान के बीच जारी तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान को चेतावनी दी है कि अगर वह न्यूक्लियर डील पर सहमति नहीं देता, तो उसे "ऐसी बमबारी का सामना करना पड़ेगा, जो उसने पहले कभी नहीं देखी होगी।" इस बयान के बाद ईरान ने अपनी अंडरग्राउंड मिसाइलों को लॉन्चर्स में लोड कर दिया है, जिससे युद्ध की आशंका बढ़ गई है। इस टकराव के बीच भारत भी कई मुश्किलों का सामना कर सकता है।

ट्रम्प की धमकी और अमेरिका की सैन्य तैयारियां

ट्रम्प ने हाल ही में कहा था कि ईरान के पास दो ही रास्ते हैं—या तो सैन्य टकराव या समझौता। उन्होंने 12 मार्च को UAE के एक दूत के माध्यम से ईरान को संदेश भेजा था कि यदि वह बातचीत के लिए तैयार नहीं होता, तो अमेरिका उसके परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए कोई भी कदम उठा सकता है। इस चेतावनी के एक दिन बाद, अमेरिका ने हिंद महासागर स्थित अपने डिएगो गार्सिया सैन्य बेस पर B-2 स्पिरिट बॉम्बर और B-52 बॉम्बर तैनात कर दिए। यह स्थान ईरान की राजधानी तेहरान से महज 5,267 किलोमीटर दूर है।

ईरान की प्रतिक्रिया

ट्रम्प की धमकी के बाद, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने स्पष्ट कर दिया कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका से सीधे तौर पर कोई बातचीत नहीं करेगा। हालांकि, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि ओमान जैसे मध्यस्थ देशों के जरिए बातचीत के रास्ते खुले रखे गए हैं। ईरान की न्यूज एजेंसी तेहरान टाइम्स ने दावा किया है कि ईरान ने अपनी अंडरग्राउंड मिसाइल सिटीज में मिसाइलों को लॉन्चर्स में लोड कर दिया है। सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में दिखाया गया है कि ईरान के पास खैबर शेकन, हज कासिम सेजिल और इमाद जैसी सैकड़ों मिसाइलें तैनात हैं। ईरानी सेना ने भी साफ कर दिया है कि यदि अमेरिका हमला करता है, तो उसे करारा जवाब मिलेगा।

न्यूक्लियर डील का विवाद क्या है?

2015 में अमेरिका और ईरान के बीच जॉइंट कॉम्प्रेहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA) समझौता हुआ था, जिसके तहत ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर कुछ प्रतिबंध लगाए थे। बदले में, उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंध हटा दिए गए थे। लेकिन 2018 में ट्रम्प प्रशासन ने इस समझौते को रद्द कर दिया और ईरान पर दोबारा कड़े प्रतिबंध लगा दिए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान अब 60% तक संवर्धित यूरेनियम का उत्पादन कर रहा है, जो परमाणु हथियार बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) ने भी इस पर चिंता जताई है। ट्रम्प प्रशासन अब चाहता है कि ईरान नए सिरे से अमेरिका के साथ समझौता करे, लेकिन ईरान इस पर राजी नहीं है।

क्या अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध होगा?

विदेशी मामलों के जानकार प्रो. राजन कुमार के अनुसार, "आने वाले कुछ दिनों में अमेरिका और ईरान के बीच जंग छिड़ने की संभावना है। अमेरिका, खाड़ी के सुन्नी देशों को मजबूत करना चाहता है और इस क्षेत्र में ईरान को कमजोर करना उसकी रणनीति का हिस्सा है। साथ ही, ट्रम्प की सरकार में यहूदी समर्थक लॉबी भी ईरान पर हमला करने के पक्ष में है।" अमेरिका ने पहले भी 2020 में ईरान के शीर्ष सैन्य जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या की थी, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था। अब एक बार फिर अमेरिका और ईरान के बीच सैन्य टकराव के हालात बनते नजर आ रहे हैं।

भारत के लिए क्या खतरे हैं?

यदि अमेरिका और ईरान के बीच जंग छिड़ती है, तो इसका भारत पर गहरा असर पड़ेगा। प्रो. राजन कुमार ने बताया कि इससे भारत को चार प्रमुख समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है:

  1. व्यापार में बाधा: भारत ने ईरान में चाबहार पोर्ट विकसित किया है, जो भारत, ईरान, रूस और यूरोप के बीच व्यापारिक रास्ता खोल सकता है। यदि अमेरिका ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाता है, तो यह प्रोजेक्ट प्रभावित होगा।

  2. प्रवासी भारतीयों पर असर: खाड़ी देशों में करीब 85 लाख भारतीय काम करते हैं, जो हर साल भारत को 6 लाख करोड़ रुपये भेजते हैं। यदि इस क्षेत्र में युद्ध होता है, तो बड़ी संख्या में भारतीयों को वापस लौटना पड़ सकता है।

  3. तेल की कीमतों में वृद्धि: भारत अपनी जरूरत का 70% तेल मध्य पूर्व से आयात करता है। यदि युद्ध हुआ, तो तेल की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे महंगाई पर असर पड़ेगा।

  4. राजनीतिक दवाब: भारत के अमेरिका और ईरान दोनों से अच्छे संबंध हैं। जंग की स्थिति में अमेरिका भारत पर दबाव डाल सकता है कि वह ईरान से दूरी बनाए और प्रतिबंधों का पालन करे। इससे भारत के लिए कूटनीतिक संतुलन बनाए रखना मुश्किल होगा।

अमेरिका-ईरान टकराव: क्या दुनिया एक और युद्ध की ओर बढ़ रही है?

अमेरिका और ईरान के बीच हालात बेहद गंभीर हैं। दोनों देशों की सैन्य तैयारियों को देखते हुए युद्ध की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। यदि ऐसा हुआ, तो इसका वैश्विक असर होगा और भारत को भी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि क्या कूटनीतिक प्रयासों से इस टकराव को रोका जा सकता है या फिर दुनिया एक और बड़े युद्ध की ओर बढ़ रही है।

By Ankit Verma 

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