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भारत में पर्यटन का अर्थ अब सिर्फ पहाड़ों, समुद्र तटों या अन्य टूरिस्ट प्लेसेज़ तक सीमित नहीं रह गया है। पिछले कुछ वर्षों में धार्मिक पर्यटन की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। उदाहरण के तौर पर, महाकुंभ के दौरान 45 दिनों में 66 करोड़ से भी ज्यादा श्रद्धालु प्रयागराज के संगम में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे थे।
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में भारत की 'मंदिर अर्थव्यवस्था' ने 3.02 लाख करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो देश के GDP का 2.32% है। महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों से यूपी की अर्थव्यवस्था में तीन लाख करोड़ से अधिक का इजाफा हुआ।
अयोध्या-काशी में भक्तों की बाढ़
राम मंदिर के उद्घाटन के बाद अयोध्या में भक्तों की संख्या में 5 गुना बढ़ोतरी देखी गई। वहीं, काशी विश्वनाथ मंदिर में मार्च 2023 में दान के रूप में रिकॉर्ड 11.14 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि आस्था और पर्यटन के जुड़ाव से अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर पड़ रहा है। 2023 में भारत ने 1.88 करोड़ अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का स्वागत किया, जिससे 28.07 अरब डॉलर (2.31 लाख करोड़ रुपये) की विदेशी मुद्रा अर्जित हुई। अनुमान है कि 2028 तक धार्मिक पर्यटन से भारत को 50,000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व मिलेगा।
'मंदिर प्रबंधन' का कोर्स – आस्था से करियर तक!
अब इस बढ़ती धार्मिक प्रवृत्ति को संस्थागत रूप दिया जा रहा है। काशी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में 1 अप्रैल 2025 से 'मंदिर प्रबंधन' का कोर्स शुरू होने जा रहा है। इस कोर्स के अंतर्गत:
मंदिरों के निर्माण की प्रक्रिया
मूर्तियों की प्रतिष्ठा
क्राउड मैनेजमेंट (भीड़ नियंत्रण)
मंदिर प्रशासन
आर्थिक व्यवस्था
कर्मकांड और ज्योतिष शास्त्र जैसे विषय पढ़ाए जाएंगे।
दिलचस्प बात यह है कि इस कोर्स में भीड़ नियंत्रण की विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी, जिसे मीडिया ने 'कमांडो कोर्स' नाम दिया है।
पहले से मौजूद धार्मिक प्रशिक्षण कार्यक्रम
भारत में पहले से ही कई संस्थान पुजारी प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं। इनमें काशी हिंदू विश्वविद्यालय, हरिद्वार का गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, संस्कृत विद्यापीठ तिरुपति, रामकृष्ण मिशन बेलूर मठ और ओडिशा का श्रीश्री विश्वविद्यालय शामिल हैं। लेकिन 'मंदिर प्रबंधन' कोर्स अपने आप में पहला और अनूठा प्रयास है।
दुनिया में धार्मिक प्रबंधन की पढ़ाई
विश्व स्तर पर भी धार्मिक स्थलों के संचालन से जुड़े कोर्स उपलब्ध हैं। अमेरिका और यूरोप में चर्च मैनेजमेंट कोर्स होते हैं, जापान में बौद्ध मंदिरों और शिंतो श्राइन के पारंपरिक कोर्स पीढ़ी-दर-पीढ़ी संचालित होते हैं, और इज़राइल में रब्बी प्रशिक्षण कार्यक्रम यहूदी धार्मिक स्थलों (सिनागॉग) के संचालन और धार्मिक नेतृत्व के लिए होते हैं। भारत में 'मंदिर प्रबंधन' कोर्स की शुरुआत न केवल धार्मिक स्थलों की बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था सुनिश्चित करेगी, बल्कि इससे धार्मिक पर्यटन और अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा मिलेगी।
Baten UP Ki Desk
Published : 30 March, 2025, 12:00 pm
Author Info : Baten UP Ki