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इस नई योजना से के यूपी किसानों को होगा भरपूर फायदा! सरकार ने किया ये काम...

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भारत में दूध उत्पादन की कहानी एक रोमांचक मोड़ ले चुकी है। कुछ साल पहले, जब राजस्थान ने देश का सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य होने का गौरव धारण किया था, तब किसी ने भी नहीं सोचा था कि यह स्थान जल्दी ही बदल जाएगा। हाल ही में प्रकाशित बेसिक एनिमल हस्बेंड्री स्टेटिक्स रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उत्तर प्रदेश अब दूध उत्पादन के क्षेत्र में चोटी पर है। यह बदलाव न केवल दूध की गुणवत्ता और मात्रा को दर्शाता है, बल्कि प्रदेश की कृषि नीतियों और किसानों की मेहनत का भी प्रतीक है। अब यूपी, अपनी नई पहचान के साथ, दूध के उत्पादन में एक नई कहानी लिखने को तैयार है। 

क्या कहते हैं आंकड़े?

आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2022-23 के दौरान उत्तर प्रदेश ने कुल 3.6 करोड़ टन दूध का उत्पादन किया है, जो कि वर्ष 2017-18 के मुकाबले 25 प्रतिशत अधिक है। पूरे देश में उत्तर प्रदेश का दूध उत्पादन का हिस्सा 15.7 प्रतिशत है, यानी लगभग 16 प्रतिशत दूध का योगदान अकेला यूपी करता है। 

उत्तर प्रदेश की दूध उत्पादन क्षमता-

उत्तर प्रदेश, भले ही दुग्ध उत्पादन के मामले में देश में सबसे आगे है, लेकिन प्रति पशु दुग्ध उत्पादन में अभी भी यह राष्ट्रीय औसत से पीछे है। राज्य में प्रति गाय औसतन 3.78 लीटर दूध का उत्पादन होता है, जो राष्ट्रीय औसत से कम है। इसी कमी को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 'मिनी नंदिनी कृषक समृद्धि योजना' शुरू की है। इस योजना के तहत सरकार ने राज्य में आधुनिक डेयरी इकाइयां स्थापित करने का लक्ष्य रखा है, जिससे ना केवल दूध उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि इसकी गुणवत्ता में भी सुधार होगा। इस योजना के लिए सरकार ने 1015 लाख रुपये का बजट निर्धारित किया है। 

'मिनी नंदिनी कृषक समृद्धि योजना' का उद्देश्य-

सरकार ने मिनी नंदिनी योजना के तहत हाइटेक डेयरी इकाइयां स्थापित करने का फैसला किया है। इन डेयरियों में केवल उच्च गुणवत्ता वाली देशी नस्लों की गायें जैसे गिर, थारपारकर, और साहीवाल पाली जाएंगी, जिनकी दूध उत्पादन क्षमता अधिक होती है।

हाईटेक डेयरी इकाइयों की स्थापना-

एक इकाई पर लगभग 23.60 लाख रुपये का खर्च आएगा, जिसमें सरकार और लाभार्थी दोनों का योगदान शामिल होगा। डेयरी इकाइयों में गायों की खरीद में खास ध्यान रखा जाएगा, ताकि केवल उच्च उत्पादकता वाली गायें ही चुनी जाएं। इससे दूध उत्पादन में गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकेगी और पशुपालकों की आय में भी वृद्धि होगी। 

गायों की गुणवत्ता पर जोर-

इस योजना के अंतर्गत कैटल शेड और अन्य बुनियादी संरचनाओं का निर्माण आधुनिक तकनीकों से किया जाएगा। उदाहरण के लिए, पफ पैनल जैसी संरचनाओं का उपयोग किया जाएगा, जिससे मौसम के विपरीत प्रभाव से पशुओं की सुरक्षा हो सकेगी और उनका स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा। पफ पैनल न केवल पशुओं को ठंड और गर्मी से बचाते हैं, बल्कि शेड की जीवन अवधि भी बढ़ाते हैं। 

पशुपालकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य-

योजना का मुख्य उद्देश्य पशुपालकों को सशक्त बनाना और उन्हें आधुनिक तकनीक से परिचित कराना है। इस योजना के तहत पशुपालकों को वैज्ञानिक तकनीकों का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि वे पशुओं की देखभाल और दुग्ध उत्पादन में नई तकनीकों का इस्तेमाल कर सकें। इसके लिए ऐसे किसानों का चयन किया जाएगा जो गौ पालन का तीन साल का अनुभव रखते हैं।

पशुपालकों के लिए प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता-

इस तरह का प्रशिक्षण केवल दुग्ध उत्पादन में वृद्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि पशुपालकों को अपने काम में दक्षता और आत्मविश्वास भी प्रदान करता है।

छोटे किसानों के लिए विशेष लाभ-

यह योजना खासतौर पर छोटे और सीमांत किसानों को लाभ देने के उद्देश्य से शुरू की गई है। योजना के जरिए कम लागत में अधिक दुग्ध उत्पादन की संभावना को बढ़ावा मिलेगा। इससे किसान न केवल आर्थिक रूप से मजबूत होंगे, बल्कि आत्मनिर्भर भी बन सकेंगे। 

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