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यूपी के लोकगीत - भाग 2

उत्तर प्रदेश हो या कोई अन्य राज्य हो यहाँ के लोकगीत हमेशा उसी क्षेत्र से जुड़े लोगो या क्षेत्रीय संस्कृति का बखान करने वाले होते हैं। ऐसा ही वीर रस से जुड़ा एक संगीत है-आल्हा।

आल्हा

आल्हा बुंदेलखंड क्षेत्र का एक बहुत प्रसिद्ध लोकगीत है। आल्हा की शुरुआत महोबा से हुई और आल्हा वीर रस से सराबोर होता है। यह लोकगीत महोबा जिले के 12वीं शताब्दी के वीर योद्धा आल्हा और ऊदल की वीरता की कहानी है। जो उत्तर भारत के घर-घर में गाया जाता है। दरअसल चंदेल राजा परमार की सेना में आल्हा और ऊदल नाम के दो सेनापति थे जो युद्ध कला में अद्भुत थे इनकी बहादुरी और युद्ध कला के चर्चे इतने ज्यादा फैले के उनके ऊपर जागनिक नामक दरबारी कवि ने पूरा काव्य परमार रासो नामक किताब में लिख डाला। कहा जाता इन दोनों योद्धाओं ने अलग-अलग 52 लड़ाइयां लड़ीं और सभी में विजयी हुए। यही नहीं पृथ्वीराज चौहान और उनकी सेना को भी इनकी लड़ाई से  काफी नुकसान पहुंचाया था। आल्हा-ऊदल को बुंदेलखंड के लोग भगवान की तरह पूजते हैं। आल्हा गीत को ब्रजभाषा, अवधी और भोजपुरी में भी गाया जाता है। आल्हा गीत की खास बात इनके लय में उतार चढाव होता है जैसे-जैसे वीर रस बढ़ता जाता है वैसे-वैसे गायन की गति और तेज होती जाती है। आज भी उत्तर प्रदेश में आल्हा को सुनने के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ती है।

बिरहा

बात अगर बिरहा की करें तो बिरहा पूर्वी उत्तर प्रदेश का एक लोकगीत है। जिसे प्रायः अहीर समुदाय के लोगो द्वारा गया जाता है। बिरहा बिरह शब्द से बना है जिसका मतलब होता है-वियोग। इन लोकगीतों में प्रायः  विरह का भाव होता है। यह भाव पति के विरह में उदास पत्नी की दशा का वर्णन करता है। बिरहा के शब्द इतने तीखे और चुटीले होते हैं की ये व्यक्ति की भावनाओं को झकझोर कर रख देते है इसीलिए बिरहा पूरे उत्तरप्रदेश में एक समय बहुत प्रसिद्ध हुआ था। बिहारी लाल यादव को बिरहा के जनक के रूप में माना जाता है और चूँकि यह गाजीपुर के निवासी थे इसलिए गाजीपुर से फैलते हुए बिरहा धीरे धीरे बिहार क्षेत्र में भी पहुँच गया। बिरहा आजकल भारत के अलावा कई अन्य देशों में भी गया जाता है। दरअसल भारत से बिहार और उत्तरप्रदेश के जो मजदूर काम करने के लिए गिरमिटिया देशों में गए और वही के होकर रह गए और अपने साथ वो इन गीतों को भी ले गए। भले ही आज हम अपने इन लोक गीतों को भूल गए हो पर आज भी मॉरीशस सूरीनाम त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे देशों में उत्तरप्रदेश और बिहार के ये गीत गाए जाते हैं।

 

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