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गंगा आरती से इत्र की खुशबू तक, यूपी की विरासत होगी यूनेस्को में दर्ज!

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यूपी की योगी सरकार उत्तर प्रदेश की समृद्ध विरासत को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने के लिए बड़ा कदम उठा रही है। प्रदेश के पांच प्रमुख शहरों और बुंदेलखंड की लोककला को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत एवं रचनात्मक शहरों की सूची में शामिल कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

संस्कृति संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन को मिशन बनाकर उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने कन्नौज के इत्र, ब्रज की होली, वाराणसी की गंगा आरती, फिरोजाबाद की कांच कला, आजमगढ़ के निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी और बुंदेलखंड की लोककला व लोक साहित्य को यूनेस्को की सूची में दर्ज कराने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।

पहले कुम्भ को मिली थी यूनेस्को की मान्यता

उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत पहले भी वैश्विक पटल पर अपनी पहचान बना चुकी है। इससे पहले कुम्भ मेले को यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में दर्ज किया गया था। अब पांच शहरों और बुंदेलखंड की अनूठी परंपराओं को इस सूची में शामिल कराने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।

यूनेस्को के रचनात्मक शहरों के नेटवर्क में चमकेगा कन्नौज का इत्र

उत्तर प्रदेश सरकार कन्नौज के इत्र को यूनेस्को के क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क में शामिल कराने की दिशा में कार्य कर रही है। इसके लिए "सिटी ऑफ क्राफ्ट" श्रेणी में पंजीकरण कराने की प्रक्रिया शुरू की गई है।

इत्र की ऐतिहासिक विरासत पर शोध और डॉक्यूमेंटेशन

  • इत्र निर्माण की पारंपरिक "देग-भापका" विधि और इसके ऐतिहासिक महत्व को उजागर करने के लिए शोध किया जा रहा है।
  • सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और टिकाऊ परंपराओं पर विस्तृत डॉक्यूमेंटेशन तैयार किया जाएगा।

यूनेस्को टीम को एक विस्तृत डोजियर सौंपा जाएगा, जिसमें कन्नौज को "भारत की इत्र राजधानी" के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा।

गंगा आरती को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय सम्मान

वाराणसी की प्रसिद्ध गंगा आरती को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में स्थान दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

गंगा आरती की पौराणिकता पर शोध

  • गंगा आरती के आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर गहन अध्ययन होगा।
  • इस प्रथा के पर्यटन और सांस्कृतिक प्रभाव को दिखाने वाली दृश्य और पाठ्य सामग्री तैयार की जाएगी।

ब्रज की होली – रंगों और परंपराओं का उत्सव

ब्रज की लट्ठमार होली विश्वभर में प्रसिद्ध है। इसे भी यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।

होली की परंपराओं पर शोध

  • ब्रज की पारंपरिक होली के अनूठे रंगों और उत्सव की गहराई को दिखाने के लिए विस्तृत शोध होगा।
  • लोककथाओं, गीतों और अनुष्ठानों को यूनेस्को को प्रस्तुत किए जाने वाले डोजियर में शामिल किया जाएगा।

आजमगढ़ की ब्लैक पॉटरी और फिरोजाबाद का कांच उद्योग

आजमगढ़ के निजामाबाद क्षेत्र की ब्लैक पॉटरी और फिरोजाबाद की कांच कला को भी यूनेस्को की सूची में शामिल करने के लिए विशेष अध्ययन किया जा रहा है।

ब्लैक पॉटरी और कांच कला की खासियतें

  • ब्लैक पॉटरी की सदियों पुरानी अनूठी शैली को संरक्षित करने के लिए शोध हो रहा है।
  • फिरोजाबाद की कांच कला, जो अपनी बारीक डिजाइनों और उत्कृष्ट कारीगरी के लिए प्रसिद्ध है, को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।

बुंदेलखंड की लोककला और साहित्य को अंतरराष्ट्रीय पहचान

बुंदेलखंड की पारंपरिक लोककलाओं जैसे आल्हा गायन, राई नृत्य और स्थानीय लोक साहित्य को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल कराने की योजना है।

लोककला संरक्षण की रणनीति

  • आल्हा गायन और राई नृत्य की प्राचीनता और लोकजीवन पर प्रभाव को दर्शाने वाला दस्तावेज तैयार किया जाएगा।
  • स्थानीय लोकसाहित्य, नृत्य और गायन परंपराओं को संरक्षित करने की दिशा में काम किया जाएगा।

सांस्कृतिक विरासत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का संकल्प

योगी सरकार की यह पहल उत्तर प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में बड़ा कदम है। इन प्रयासों से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, स्थानीय कलाकारों और कारीगरों को आर्थिक लाभ मिलेगा और भारतीय विरासत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान मिलेगा।इस ऐतिहासिक प्रयास से जल्द ही यूपी की संस्कृति यूनेस्को की सूची में अपनी खास जगह बना लेगी।

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