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उत्तर प्रदेश नवीकरणीय ऊर्जा विकास

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प्रदेश के विकास के साथ-साथ ऊर्जा की माँग में अनवरत बढ़ोत्तरी हो रही है। ऊर्जा के परम्परागत स्त्रोत सीमित होने तथा उनके दोहन से पर्यावरणीय प्रदूषण बढ़ने के दृष्टिगत नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों पर आधारित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ाने तथा इसके प्रचार-प्रसार को उच्च प्राथमिकता प्रदान की जा रही है। ऊर्जा की मुख्यधारा में महत्वपूर्ण सहभागिता करने के लिये अब आगे नयी और वृहत्तर सम्भावनायें स्पष्ट दिखाई दे रही है। बायोमास एवं लघु जलविद्युत के साथ-साथ अब सौर ऊर्जा पर आधारित मेगावाट क्षमता की बड़ी परियोजनाओं की स्थापना का मार्ग भी प्रशस्त हो रहा है। प्रदेश में ग्रिड संयोजित सोलर पावर जेनरेशन तथा रूफटॉप पावन जेनरेशन की दिशा में कार्य किया जा रहा है। निःसन्देह अब हम उस लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं जिसकी परिकल्पना इस अभिकरण के गठन के समय की गयी थी।

सौर ऊर्जा
प्रदेश के ऊर्जा स्रोत विभाग के अधीन एक स्वायत्तशासी संस्था के रूप में वैकल्पिक ऊर्जा विकास संस्थान की स्थापना 1983 में की गयी, जिसके अधीन जनपदीय स्तर पर 55 जनपदों में परियोजना क्रियान्वयन हेतु यूपीनेडा (UPNEDA) के कार्यालय खोले गये हैं। इस संस्थान द्वारा वैकल्पिक ऊर्जा कि विभिन्न कार्यक्रमों यथा- सोलर कुकर, सोलर वाटर हीटर, सोलर प्रकाश संयंत्र, सोलर फोटो वोल्टाइक पम्प, पवन मानीटरिंग तथा जल विद्युत जैसे अपारम्परिक ऊर्जा स्रोतों के दोहन हेतु उपयुक्त तकनीकों के विकास एवं प्रसार के लिए विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा हैं। जिसके अंतर्गत ग्रिड संयोजित सौर फोटोवाल्टाइक पॉवर प्लांट प्रदेश में सरायसादी गाँव (मऊ), कल्याणपुर गाँव (अलीगढ़), हरैया (बस्ती) में 100-100 किलोवाट क्षमता के ग्रिड संयोजित सोलर फोटोवोल्टाइक पॉवर प्लांटों की स्थापना 1992 में अनुसंधान परियोजना के रूप में की गई थी तथा केन्द्र सरकार के सहयोग से यूपीनेडा द्वारा घोसी (मऊ), चिनहट (लखनऊ) व कन्नौज में नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के शोध विकास व प्रशिक्षण हेतु केन्द्र स्थापित किए गए हैं।

  • सोलर सिटी कार्यक्रम- इस कार्यक्रम के अंतर्गत केन्द्र सरकार द्वारा आगरा, मुरादाबाद व प्रयागराज को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने हेतु सहायता दी जा रही है। सौर फोटोवोल्टिक तकनीक पर आधारित 100-100 किलोवाट क्षमता की 2 परियोजनाएं उत्तर प्रदेश में कल्याणपुर (अलीगढ़) एवं घोसी (मऊ) में स्थापित की गई हैं।
  • NTPC की सौर आधारित निर्माणाधीन परियोजनाएँ हैं- बिलहोर (85 मेगावाट), औरेया (12 मेगावाट) एवं रिहंद (20 मेगावाट)। इसके अतिरिक्त औरेया में 20 मेगावाट की तैरती हुई सौर ऊर्जा परियोजना भी कार्यरत है। NTPC की प्रदेश में सौर आधारित प्रवर्तित (Commissoned) परियोजनाएं हैं- बिलहोर (कानपुर) - 140 मेगावाट, दादरी - 5 मेगावाट, ऊँचाहार - 10 मेगावाट, सिंगरौली - 15 मेगावाट एवं औरेया 8 मेगावाट।
  • सौर ऊर्जा नीति, 2017- इस नीति के अनुसार 2022 तक कुल 10700 मेगावाट के सोलर प्लांट बनाये जाने थे। बुंदेलखण्ड क्षेत्र में गैर कृषि भूमि की उपलब्धता के कारण अधिकांश सोलर पार्क ललितपुर, जालौन, महोबा, झाँसी, सोनभद्र, मिर्जापुर आदि जिलों में स्थापित किए जाने है। भारत एक उष्णकटिबंधीय (ट्रापिकल) देश है, जिसमें लगभग 300 दिन सौर विकिरण प्राप्त होता है तथापि देश के ऊर्जा मिश्रण में सौर ऊर्जा का योगदान अत्यन्त न्यून है। देश में कुल स्थापित 329000 मेगावाट क्षमता में से सोलर फोटोवोल्टाईक संयंत्रो से विद्युत उत्पादन की क्षमता मात्र 12500 मेगावाट अप्रैल, 2017 तक थी। सौर पॉवर परियोजनाओं की आर्थिक व्यवहारिता एवं जीवाष्म ईंधन के मूल्यों में वृद्धि के कारण भविष्य में सौर पॉवर की मार्केट में प्रभावी बढ़ोत्तरी अपेक्षित है। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से 40 प्रतिशत विद्युत उत्पादन की बचनबद्वता और उक्त के अंतर्गत वर्ष 2022 तक 100000 मेगावाट सोलर पॉवर से लक्षित उत्पादन, जिसमें से 40000 मेगावाट सोलर रूफटॉप परियोजना की स्थापना से प्राप्त किया जाना निश्चित है, के आलोक में सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। इसके अतिरिक्त संशोधित राष्ट्रीय टैरिफ नीति - 2016 के अनुसार वर्ष 2021 तक सौर ऊर्जा की 08 प्रतिशत भागीदारी (जल विद्युत उत्पादन को छोड़कर) राज्य के ऊर्जा मिश्रण में लक्षित है। उत्तर प्रदेश सरकार नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से विद्युत उत्पादन हेतु कृत संकल्पित है एवं उसके द्वारा आर्थिक एवं पर्यावरणीय उद्देश्यों को बढ़ावा देते हुए सतत् विकास गति प्राप्त करने हेतु आवश्यक कदम उठाये जा रहे है। राज्य में सौर ऊर्जा की संभावित क्षमता 22300 मेगावाट है, जिसके दोहन से राज्य सरकार राज्य की ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति एवं नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एम. एन.आर.ई.) भारत सरकार द्वारा राज्य के लिए सौर ऊर्जा उत्पादन हेतु निर्धारित 10700 मेगावाट लक्ष्य (जिसके अंतर्गत 4300 मेगावाट लक्ष्य रूफटॉप परियोजनाओं के लिए निर्धारित है) की प्राप्ति हेतु करना चाहती है। राज्य में ऊर्जा की मांग की पूर्ति एवं उपलब्धता समस्त ग्रामीण एवं शहरी परिवारो को वर्ष 2018-19 तक 24 घण्टे विद्युत आपूर्ति उपलब्ध कराने का राज्य सरकार का लक्ष्य था। इस महत्वकांक्षी लक्ष्य की पूर्ति के लिए उत्तर प्रदेश में पॉवर सेक्टर परिदृश्य को पूर्णतया रूपांतरित करने एवं सौर ऊर्जा की वृहद सम्भावनाओं के दोहन की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त राज्य में सौर ऊर्जा परिनियोजन से निवेश आकर्षित होगा, जिससे राज्य में रोजगार के अवसरों में बढ़ोत्तरी होगी। सोलर उद्योगो द्वारा परियोजनाओं की कमिशनिंग के पूर्व एवं निर्माण अवधि में तथा सौर परियोजनाओं के पूर्ण उपयोगी जीवनकाल में परियोजनाओं के संचालन एवं रखरखाव हेतु नियमित रोजगार उपलब्ध होता है। सोलर उद्योगों में निवेश एवं घरेलू / स्थानीय सोलर पैनल विनिर्माण से कुशल एवं अकुशल क्षेत्र में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित हो सकेगें।

सौर ऊर्जा नीति 2017 के उद्देश्य

    • राज्य में सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन की परियोजनाओं की स्थापना के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना और निवेश के अवसर प्रदान करना।
    • सभी को पर्यावरण के अनुकूल एवं सस्ती बिजली उपलब्ध कराने हेतु सहायता प्रदान करना।
    • राज्य में शोध एवं विकास, नवोन्मेष एवं कौशल विकास को बढ़ावा देना।
    • 8 प्रतिशत के "Solar Renewable Purchase Obligation यानी नवीकरणीय सौर ऊर्जा की खरीद को सुनिश्चित करने" के लक्ष्यों को वर्ष 2022 तक प्राप्त करना।
  • उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति- 2022 

ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के सम्बन्ध में वैश्विक प्रतिबद्धता के दृष्टिगत हरित ऊर्जा की आपूर्ति पर बल दिया जाना आवश्यक है। गैर जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से 50 प्रतिशत संचित विद्युत उत्पादन क्षमता वर्ष 2030 तक स्थापित करने हेतु भारत सरकार वचनबद्ध है। उ0प्र0 सरकार जलवायु परिवर्तन के वर्तमान और संभावित प्रभाव को महत्व देते हुये राज्य में स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए संकल्पित है। उ0प्र0 में वृहद सौर ऊर्जा संसाधन एवं गीगावाट स्केल की सौर ऊर्जा क्षमता उत्पन्न करने की अपार सम्भावनायें है। इस नीति के द्वारा राज्य की पूर्ण सौर ऊर्जा क्षमता का लाभ उठाने के लिए एक समग्र परिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की योजना बनाई गयी है। भारत के महत्वाकांक्षी सौर ऊर्जा क्षमता विस्तार कार्यक्रम के कदम से कदम मिलाने के लिए उ0प्र0 सरकार राज्य में रूफटॉप सोलर पीवी परियोजनाओं की स्थापना, विकेन्द्रित सौर ऊर्जा प्रणाली, अल्ट्रा मेगा सौर ऊर्जा पार्क और यूटिलिटी स्केल परियोजना से सौर ऊर्जा का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है।

परिकल्पना एवं उद्देश्य:

    • उत्तर प्रदेश में विश्वसनीय और टिकाऊ सौर ऊर्जा की पहुँच सभी के लिए सुनिश्चित कराना।
    • राज्य में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करना एवं पारंपरिक और नवीकरणीय ऊर्जा का " इष्टतम ऊर्जा मिश्रण" प्राप्त करना।
    • सौर ऊर्जा उत्पादन और भंडारण के क्षेत्र में निजी क्षेत्र के निवेश के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करना।
    • निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना और सौर ऊर्जा के प्रविस्तारण के लिए निवेश के अवसर प्रदान करना।
    • अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में कौशल वृद्धि और रोजगार के अवसरों के के लिए मानव संसाधन का विकास।
    • सौर ऊर्जा तकनीकी के सम्बन्ध में आमजन में जागरूकता उत्पन्न कराना।

नीति का लक्ष्य : 
राज्य में 2026-27 तक 22000 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाओं का निम्नानुसार लक्ष्य प्राप्त करना है :-ऊर्जा पार्क : वैकल्पिक ऊर्जा से संबंधित कार्यक्रमों/ संयंत्रों के विषय में जन-मानस को सजीव प्रदर्शन के माध्यम से जानकारी उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश के विभिन्न जिलों में ऊर्जा पार्कों की स्थापना की जा रही है। भारत सरकार द्वारा प्रदेश के कई जिलों में ऊर्जा पार्कों की स्थापना की गई है। लखनऊ के चिड़ियाघर में एक राज्य स्तरीय ऊर्जा पार्क की स्थापना की गई है।

बायो ऊर्जाः
बायोगैस संयंत्र : गोबर तथा जैविक अवशिष्टों पर आधारित संस्थागत बायोगैस संयंत्र की स्थापना सरकारी, अर्द्धसरकारी, चौरिटेबिल, प्राइवेट डेयरी फार्मों आदि संस्थाओं में सरकार द्वारा कई तरह के सहयोग देकर करायी जाती है। इससे प्राप्त गैस का उपयोग खाना पकाने, प्रकाश व्यवस्था तथा इन्जन चलाने में किया जाता है।
बायोमास गैसीफायर संयंत्र : यह संयंत्र बायोमास धान की भूसी व लकड़ी को अत्यन्त ज्वलनशील गैस में परिवर्तित कर देता है, जिसे प्रोड्यूसर गैस कहते है। उत्पादित गैस का उपयोग सीधे जलाकर अथवा इन्जन चलाकर विद्युत उत्पादन में किया जाता है। प्रदेश की 171 से अधिक औद्योगिक इकाइयों द्वारा विभिन्न क्षमता के गैसीफायर संयंत्रों की स्थापना से 41.65 मेगावाट विद्युत क्षमता सृजित हुई।
इण्डस्ट्रीयल वेस्ट आधारित प्लांट : विभिन्न औद्योगिक इकाइयों डिस्टलरीज, फूड प्रोसे इण्डस्ट्रीज, डेरीज, पल्प एण्ड पेपर मिल्स आदि से निकलने वाले कचरों से प्रदेश में 150 मेगावाट के प्लांट बनाये जा सकते हैं। 2016-17 के अंत तक प्रदेश में डिस्टलरीज से निकले वाले कचरों पर आधारित 102 मेगावाट क्षमता का प्लांट स्थापित किया जा चुका था।
बगास वेस्ड विद्युत परियोजनाएं : उत्तर प्रदेश के विभिन्न चीनी मिलों में उपलब्ध खोई ( बगाज) से अनुमानत: 1500 मेगावाट तक अतिरिक्त विद्युत सृजित की जा सकती है। निजी क्षेत्र की लखीमपुर, मुरादाबाद, रोजा (शाहजहांपुर ), बिजनौर, बरेली, गाजियाबाद, बुलंदशहर, बागपत, मुजफ्फरनगर तथा बिजनौर आदि जिलों में दिसम्बर 2016 -17 के अन्त तक 65 निजी क्षेत्र के चीनी मिलों द्वारा कुल 1900 मेगावाट की परियोजनाएँ स्थापित की जा चुकी है।

पवन ऊर्जाः
केन्द्रीय संस्था एमएनआरई की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 80 मी. की ऊँचाई पर पवन ऊर्जा से विद्युत उत्पादन का 1260 मेगावाट पोटेन्शियल उपलब्ध है। वर्तमान में अध्ययन हेतु टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड द्वारा 80 मी. ऊँचाई के दो विण्ड मॉनीटरिंग मास्ट शाहजहांपुर व लखीमपुर खीरी में स्थापित कराये गए हैं। यूपीनेडा द्वारा ऐसे मास्ट गोण्डा, बलरामपुर व सिद्धार्थनगर में स्थापित कराए गए हैं।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1. उ0प्र0 में नवीकरणीय ऊर्जा आवश्यकताओं और संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा कीजिए।
प्रश्न 2. उ0प्र0 की सौर ऊर्जा नीति 2022 के उद्देश्यों और लक्ष्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।

 

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