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उत्तर प्रदेश में सिंचाई और नहरें-भाग -1

उत्तर प्रदेश को उत्तरी हिमालयी पहाड़ों से आने वाली अनेक नदियों की सौगात प्राप्त है। इन नदियों के कारण ही यहां की जमीन तृप्त हो पाई है और इन नदियों से निकली नहरों ने इस काम में बहुत योगदान दिया। उत्तर प्रदेश की कुल सिंचित भूमि में नहरों का योगदान लगभग 15 से 16 प्रतिशत का है।
नहरों की सीमा और उद्गम स्थल 
पूर्वी यमुना नहर:
इस कड़ी में पहली नहर है- पूर्वी यमुना नहर। यह उत्तर प्रदेश की सबसे पुरानी नहर है। यह वर्ष 1830 में हरियाणा के ताजवाला में यमुना से निकाली गई थी। इस नहर का स्त्रोत हथिनीकुंड बैराज है। यह नहर सहारनपुर मेरठ मुजफ्फरनगर और गाजियाबाद जिलों को सींचती है।
ऊपरी गंगा नहर:
इस कड़ी में दूसरा नाम आता है- ऊपरी गंगा नहर । यह नहर 1854 में पहली बार शुरू की गई थी। यह हरिद्वार के पास भीमगौड़ा से निकलती है इस नहर की कुल लंबाई लगभग 6000 किलोमीटर से भी अधिक है और यह नहर कई शाखाओं में बंट जाती है। यह नहर सहारनपुर मुजफ्फरनगर मेरठ गाजियाबाद बुलंदशहर अलीगढ़ एटा मथुरा फिरोजाबाद मैनपुरी आदि क्षेत्रों में जल प्रदान करती है।
निचली गंगा नहर:
इसी कड़ी में तीसरा नाम आता है- निचली गंगा नहर। इस नहर का निर्माण 1878 के आस पास किया गया था और यह बुलंदशहर के नरौरा नमक स्थान से निकलती है। इसकी कुल लंबाई 8200 किलोमीटर से भी अधिक है। यह नहर अलीगढ़ एटा फिरोजाबाद मैनपुरी फर्रुखाबाद इटावा कानपुर देहात कानपुर नगर फतेहपुर और प्रयागराज जिलों को सिंचाई की सुविधा प्रदान करती है।

 

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