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सजन रे झूठ मत बोलो... खुदा के पास जाना है! यह गीत दशकों से हर पीढ़ी की जुबां पर रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस कालजयी गीत को लिखने वाले गीतकार कौन थे? यह अमर गीतकार थे शंकरदास केसरीलाल शैलेंद्र, जिन्होंने हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर एक यादगार गीत दिए। 'दुनिया बनाने वाले...', 'जीना यहां, मरना यहां...', 'तेरे बिना जिंदगी से...' जैसे गीत लिखने वाले शैलेंद्र ने प्रेम, संघर्ष, विरह और समाज की सच्चाइयों को अपनी कलम से सजीव कर दिया।
बिहार से नाता, लेकिन गांव में पहचान नहीं
बहुत कम लोग जानते हैं कि शैलेंद्र का असली घर बिहार के भोजपुर जिले के अख्तियारपुर गांव में था। उनका जन्म 30 अगस्त 1923 को रावलपिंडी (अब पाकिस्तान) में हुआ था, जहां उनके पिता केसरीलाल फौज में तैनात थे। बाद में उनका परिवार मथुरा में बस गया। शैलेंद्र का जीवन संघर्षों से भरा रहा। रेलवे में अप्रेंटिस बनने के लिए मुंबई गए इस युवा का मन शब्दों की दुनिया में बसता था। राज कपूर ने उनकी कविताओं में छिपा जादू पहचाना और 'बरसात' फिल्म के लिए पहला गीत लिखवाया – 'बरसात में हमसे मिले तुम सजन...'
शैलेंद्र का गांव आज भी पहचान के लिए तरस रहा
दुर्भाग्यवश, भोजपुरी मिट्टी के इस महान गीतकार को उनके ही गांव में पहचान नहीं मिली। अख्तियारपुर गांव में उनके पूर्वजों का घर आज भी जर्जर हालत में खड़ा है। उनके वंशज गुमनामी और गरीबी में जीवन बिता रहे हैं।सरकारी घोषणाएं तो बहुत हुईं—उनकी मूर्ति लगाने की, स्मारक बनाने की, लेकिन हुआ कुछ नहीं। सिर्फ वादे, सिर्फ बातें... और शैलेंद्र का गांव आज भी अपनी पहचान के लिए तरस रहा है।
शब्दों में जिंदा रहेंगे शैलेंद्र
14 दिसंबर 1966 को मात्र 43 वर्ष की उम्र में इस महान गीतकार ने अंतिम सांस ली। भले ही वे अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके लिखे गीत हमेशा आम आदमी की आवाज बने रहेंगे। हिंदी सिनेमा के इस अद्वितीय गीतकार की अनदेखी कब तक होगी? क्या सरकार और समाज इस धरोहर को बचाने के लिए आगे आएंगे? यह सवाल आज भी बना हुआ है।
Baten UP Ki Desk
Published : 9 March, 2025, 12:00 pm
Author Info : Baten UP Ki