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GDP पर क्या होता है वायु प्रदूषण का प्रभाव ?

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हाल ही में एक अध्ययन से पता चला है कि जीडीपी वृद्धि और प्रति व्यक्ति आय  पर वायु प्रदूषण का सीधा और गंभीर प्रभाव पड़ता है। जिसमे श्रमिकों के उत्पादन में गिरावट, उपभोक्ता उपभोग-आधारित सेवा कम, परिसंपत्तियों की उत्पादकता में बाधा और स्वास्थ्य व्यय बढ़ जाता है।
 
आर्थिक प्रभाव से सम्बंधित मुख्य बिंदु-
 
वायु प्रदूषण के कारण 1.3 बिलियन कार्य दिवसों का नुकसान हुआ,  2019 में अनुपस्थिति के कारण भारत में 6 बिलियन डॉलर की लागत आयी  है। इसमें लागत का 98% हिस्सा भारत के उत्तरी और पूर्वी हिस्से द्वारा वहन किया जाता है, जहां AQI का स्तर अक्सर 300 से अधिक हो जाता है। वायु प्रदूषण के कारण कर्मचारियों के शारीरिक और संज्ञानात्मक प्रदर्शन पर असर पड़ता है। जिसमे उच्च प्रदूषण वाले दिनों में कर्मचारी उत्पादकता 8-10% कम हो जाती है, जिसकी लागत 2019 में $24 बिलियन है। वायु प्रदूषण ने उपभोक्ता खर्च को 1.3% करके, 22 अरब डॉलर की लागत से, एक बड़ी उपभोक्ता अर्थव्यवस्था होने की भारत की ताकत को कम कर दिया है।
 
आईटी क्षेत्र पर प्रदूषण का प्रभाव-
 
प्रदूषण से आईटी क्षेत्र पर $1.3 बिलियन जो सकल घरेलू उत्पाद का 0.7% और उत्पादकता में 3% की कमी का सामना करना पड़ा। पर्यटन क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद का 1% की गिरावट देखी गई, जिसकी लागत 2 बिलियन डॉलर थी।प्रदूषण से पर्यटन और सहायक उद्योगों में 820,000 नौकरियों पर प्रभाव पड़ा है। 
 
वायु प्रदूषण से चुनौतियां- 
 
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और मुंबई जैसे प्रमुख विनिर्माण और सेवा केंद्रों में प्रदूषण का वार्षिक चक्र बढ़ने रही है।प्रदूषण के कारण दिल्ली को प्रमुख भारतीय शहरों में प्रदूषण के कारण प्रति व्यक्ति आर्थिक नुकसान के उच्चतम स्तर वाले शहर के रूप में सूचीबद्ध किया है।वैश्विक स्तर पर शहरों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता सबसे खराब है, जिसमें PM2.5 का सांद्रता स्तर WHO के लक्ष्य से लगभग 10 गुना अधिक है।
 
प्रदूषण से निपटने के सरकारी प्रयास- 
 
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) व्यापक तरीके से वायु प्रदूषण को कम करने के लिए एक दीर्घकालिक, समयबद्ध कार्यक्रम है। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP ) प्रदूषण से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।आगे की राह:वायु प्रदुषण से निपटने में व्यवसाय संचालन और आपूर्ति श्रृंखलाओं को 'हरित' करना, नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी को अपनाना, सीएसआर गतिविधियों के माध्यम से उत्सर्जन को कम करना और प्रदूषण नीतियों के लिए अभियान चलना महत्वपूर्ण कदम होगा।
 
 

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