कैसे सड़कों पर बेतरतीब दौड़ रहे हैं हजारों ई-रिक्शे? हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
शहरों में छोटी दूरी के लिए ई-रिक्शा एक आसान और सुगम साधन है। लेकिन कई बार शहर की सड़कों पर ई-रिक्शा ड्राइवर्स नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए नज़र आते हैं। इसके अलावा अक्सर शिकायतें आती हैं कि ई-रिक्शा चालक कहीं भी रिक्शा रोककर खड़े हो जाते है और यात्रियों से बदसलूकी भी करते हैं। ऐसी शिकायतें कई बार पुलिस तक तो पहुंचती हैं लेकिन अब यह मामला कोर्ट तक पहुंच गया है।
जानें क्या है पूरा मामला?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बैटरी रिक्शा को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से 3 हफ्ते में जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि प्रदेश भर में बड़ी संख्या में शहरों में दौड़ रहे बैटरी रिक्शा के लिए सरकार ने कोई गाइडलाइन तैयार की है या नहीं। कोर्ट ने पूछा है कि बैटरी रिक्शा के कारण लोगों को हो रही परेशानी कम करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने जनहित याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 23 मई की तारीख लगाई है।
ई-रिक्शा की संख्या में बढ़ोतरी-
प्रदेश में पिछले कुछ समय में ई-रिक्शा की संख्या काफी बढ़ गई है। बड़ी बात यह है कि इन्हें चलाने वालों के लिए कोई नियम-कानून ही नहीं है। ऐसे में अगर इन ई-रिक्शा की वजह से कोई दुर्घटना हो जाए तो इन्हें पकड़ पाना, इनका पता लगा पाना भी मुश्किल है, क्योंकि कई ई-रिक्शा तो बिना नंबर के भी सड़कों पर दौड़ते नज़र आते हैं।
मेरठ में 50 हजार ई-रिक्शा-
याची अधिवक्ता सौरभ सिंह ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश के हर शहर में हजारों गैर रजिस्टर्ड बैटरी रिक्शा दौड़ रहे हैं। एड्वोकेट सौरभ सिंह के अनुसार, मेरठ में 30 लाख की आबादी में 13,443 बैटरी रिक्शा रजिस्टर्ड हैं जबकि हकीकत में 50 हज़ार से ज्यादा बैटरी रिक्शा सड़कों पर चल रहें हैं। इससे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है और लोग परेशान हैं। वैसे यह हाल केवल मेरठ शहर का ही नहीं, बल्कि प्रदेश के कई हिस्से ऐसे हैं जो बैटरी रिक्शा के कारण ट्रैफिक समस्याओं का सामना कर रहें हैं। अब कोर्ट में याचिका दायर कर यह मांग की गई है कि शहरों में बैटरी रिक्शा संचालन के लिए प्रॉपर गाइडलाइन बनाई जाए। इसके साथ ही शहरों में इनकी संख्या व इनके रूट और सवारी भी निर्धारित हों।
अब बात करते हैं ई-रिक्शा संचालन में आने वाली अन्य समस्याओं के बारे में जो इस प्रकार हैं-
- यातायात व्यवस्था - बढ़ती संख्या के कारण, ई-रिक्शा शहरों में ट्रैफिक जाम का एक प्रमुख कारण बन सकते हैं, खासकर संकरी गलियों और व्यस्त इलाकों में। कई ई-रिक्शा चालक निर्धारित मार्गों का पालन नहीं करते हैं, जिससे यातायात व्यवस्था बाधित होती है और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। सड़कों के किनारे अवैध रूप से खड़े ई-रिक्शा यातायात बाधित करते हैं और पैदल चलने वालों और अन्य वाहनों के लिए खतरा पैदा करते हैं।
- सुरक्षा - अनुभवहीन चालकों, खराब सड़कों और यातायात नियमों के उल्लंघन के कारण ई-रिक्शा अक्सर दुर्घटनाओं में शामिल होते हैं। कुछ ई-रिक्शा सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करते हैं, जिससे यात्रियों और सड़क उपयोगकर्ताओं को खतरा होता है।
- ई-रिक्शा के संचालन को विनियमित करने और सुरक्षा मानकों को लागू करने के लिए मजबूत नीतियां बनाई जा सकती हैं। सड़क सुरक्षा, यातायात नियमों और पर्यावरणीय प्रभावों के बारे में ई-रिक्शा चालकों और यात्रियों को शिक्षित किया जा सकता है।
ई-रिक्शा से जुड़े नियम क्या हैं
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पहले से ही ई-रिक्शा के लिए नियम-कानून तय किये हैं। इसके बावजूद भी अक्सर इनका खुलेआम उल्लंघन होता है। ई-रिक्शा के लिए अधिकतम 25 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड तय है। इसके अलावा ई-रिक्शा पर चार से ज्यादा सवारी को नहीं बैठाया जा सकता है। वहीं 40 किलो से ज्यादा का लगेज भी ई-रिक्शा में नहीं ले जाया सकता है। मंत्रालय ने इसके लिए सेफ्टी स्टैंडर्ड भी तय किये हैं। ई-रिक्शा में 2 हज़ार किलोवाट से ज्यादा की मोटर नहीं हो सकती है।
- कार मोटरसाइकिल जैसे अन्य वाहनों की तरह ही ई-रिक्शा के लिए भी रजिस्ट्रेशन जरूरी होता है। हर ई-रिक्शे को शहर या क्षेत्र के RTO में रजिस्टर होना जरूरी है। बिना रजिस्ट्रेशन के किसी भी ईरिक्शा वाहन को सड़क पर उतारने की अनुमति नहीं है। हालांकि, रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया हर राज्य में अलग हो सकती है। इसके लिए परचेज प्रूफ, इंश्योरेंस और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे डॉक्यूमेंट की ज़रूरत हो सकती है।
- ड्राइवर से जुड़े नियमों पर बात करें तो ई-रिक्शा चलाने के लिए उम्र कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए। कुछ राज्यों और शहरों में ई-रिक्शा चलाने के लिए ड्राइवर को मेडिकल फिटनेस टेस्ट पास करना जरूरी होता है। वहीं मंत्रालय के अनुसार ई-रिक्शा चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस ज़रूरी है। इसके लिए लाइसेंस 3 साल के लिए जारी होता है, जिसे हर तीन साल बाद रिन्यू किया जाता है।
- यूपी में परिवहन विभाग ने साल 2017 में सभी ARTO को कहा था कि ई-रिक्शा के लिए परमिट की ज़रूरत नहीं है लेकिन हर ई-रिक्शे का स्थानीय RTO में रजिस्टर होना जरुरी है।