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"एक हैं तो सेफ हैं, न बंटेंगे, न कटेंगे" के नारे के साथ लखनऊ में बिजली कर्मचारी कर रहे प्रदर्शन

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लखनऊ में विद्युत निगम के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में शनिवार को कर्मचारियों का प्रदर्शन तेज हो गया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में महाराणा प्रताप मार्ग स्थित फील्ड हॉस्टल पर कर्मचारियों ने जोरदार नारेबाजी करते हुए ऊर्जा प्रबंधन को चेतावनी दी और निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने की मांग की।

एक हैं तो सेफ हैं"-प्रदर्शनकारियों का संकल्प-

बिजली कर्मियों ने 'न बंटेंगे, न कटेंगे' जैसे संदेशों वाली तख्तियों के साथ प्रदर्शन किया। संघर्ष समिति के आह्वान पर प्रदेशभर के कर्मचारी राजधानी में जुटे। शक्ति भवन, मध्यांचल मुख्यालय, और लेसा के कर्मी बड़ी संख्या में इस विरोध सभा में शामिल हुए।

कर्मचारियों की राय के बिना निजीकरण स्वीकार नहीं-

संघर्ष समिति के पदाधिकारी जितेंद्र सिंह गुर्जर ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि बिजली के सबसे बड़े हितधारक उपभोक्ता और कर्मचारी हैं। उन्होंने मांग की कि किसी भी निजीकरण प्रक्रिया से पहले उनकी राय अनिवार्य रूप से ली जाए। समिति ने अरबों रुपये की बिजली संपत्तियों के मूल्यांकन के लिए एक कमेटी बनाने का सुझाव दिया, जिसमें उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के प्रतिनिधि शामिल हों।

निजीकरण के पहले विफल प्रयोग सबक बनें-

समिति ने आगरा और केस्को के निजीकरण की तुलना करते हुए कहा कि आगरा में निजीकरण विफल रहा है। टोरेंट कंपनी ने पिछले 14 वर्षों में पावर कॉरपोरेशन को 3000 करोड़ रुपये का घाटा दिया, जबकि केस्को सरकारी क्षेत्र में रहते हुए लाभप्रद बना हुआ है।

निजीकरण से होगा नुकसान, नहीं मानेगी संघर्ष समिति-

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अरबों रुपये की परिसंपत्तियों का मूल्यांकन सार्वजनिक किया जाए और उपभोक्ताओं के हितों को प्राथमिकता दी जाए। कर्मचारियों ने जोर देकर कहा कि निजीकरण का प्रस्ताव तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।

विफलता के आंकड़े चीख-चीख कर सब कुछ कह रहे हैं-

आगरा में टोरेंट कंपनी प्रति यूनिट बिजली 4.25 रुपये में पावर कॉरपोरेशन को देती है, जिसे 6.55 रुपये प्रति यूनिट पर खरीदने से निगम को 3000 करोड़ का घाटा हुआ है। वहीं, केस्को के राजस्व की वसूली 6.80 रुपये प्रति यूनिट है, जो सरकारी क्षेत्र के लाभ को स्पष्ट करता है।

निजीकरण के खिलाफ आवाज बुलंद-

कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि निजीकरण का प्रस्ताव वापस नहीं लिया गया, तो प्रदर्शन और तेज होगा। उन्होंने कहा कि बिजली क्षेत्र की परिसंपत्तियों को बचाने और उपभोक्ताओं के हित सुरक्षित रखने के लिए संघर्ष जारी रहेगा।

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