लखनऊ में साइबर ठगी का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें दो NRI महिलाओं को ठगों ने तीन दिन तक डिजिटल अरेस्ट के जाल में फंसा कर 1.87 करोड़ रुपये लूट लिए। यह घटना न केवल ठगी के बढ़ते खतरों को उजागर करती है, बल्कि ठगों की चालाकी और साइबर अपराध के नए तरीकों का भी खुलासा करती है।
कैसे हुई ठगी?
कनाडा निवासी सुमन कक्कड़, जो इन दिनों लखनऊ के इंदिरा नगर में रह रही थीं, को 25 नवंबर को अभिषेक नामक व्यक्ति का फोन आया। उसने बताया कि उनके क्रेडिट कार्ड से मनी लॉन्ड्रिंग आरोपी नरेश गोयल के खाते में पैसे ट्रांसफर हुए हैं। ठग ने दावा किया कि सुमन भी इस मामले में जांच के दायरे में हैं। यह सुनकर सुमन घबरा गईं और जांच के नाम पर ठगों द्वारा मांगे गए 1,13,000 रुपये तुरंत ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद ठगों ने वीडियो कॉल के जरिए सुमन को तीन दिनों तक "डिजिटल अरेस्ट" में रखा।
कैसे फंसी दूसरी बहन?
27 नवंबर को सुमन से मिलने उनकी बहन विनय थपलियाल हलवासिया उत्सव इन्क्लेव पहुंचीं। ठगों ने सुमन की बहन को भी आरोपी बताया और उन्हें भी डिजिटल अरेस्ट में डाल दिया। दोनों बहनों ने ठगों की धमकियों और मानसिक दबाव में अपनी फिक्स डिपॉजिट तुड़वा दी और ठगों द्वारा बताए गए खातों में पैसे ट्रांसफर कर दिए।
पैसे कैसे और कहां ट्रांसफर हुए?
महिलाओं ने बंधन बैंक और ICICI बैंक के खातों में चार बार में कुल 1.87 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए।
- बंधन बैंक खाते में
- ₹17,00,047
- ₹14,77,000
- ₹14,20,000
ICICI बैंक खाते में
₹1,42,00,000
डिजिटल अरेस्ट क्या है?
डिजिटल अरेस्ट एक नया साइबर फ्रॉड का तरीका है, जिसमें ठग वीडियो कॉल या अन्य डिजिटल माध्यमों से पीड़ित को यह यकीन दिलाते हैं कि वे जांच के घेरे में हैं। ठग पीड़ित को इतना डरा देते हैं कि वह मानसिक दबाव में उनकी हर बात मानने लगता है।
पुलिस की कार्रवाई और जांच
साइबर क्राइम पुलिस ने महिलाओं की शिकायत दर्ज कर ली है। पुलिस ने ठगी में इस्तेमाल किए गए खातों और कॉल्स को ट्रैक करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि दोनों बहनें कनाडा की नागरिकता रखती हैं और उनके बच्चे भी वहीं रहते हैं।
विश्लेषण: क्या कहता है यह मामला?
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साइबर ठगों की नई रणनीति:
यह घटना साइबर अपराधियों के उन्नत तरीकों को दर्शाती है। वे पीड़ितों को मानसिक रूप से नियंत्रण में लेने के लिए "डिजिटल अरेस्ट" जैसे मनोवैज्ञानिक हथकंडे अपनाते हैं।
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पीड़ितों की मनोदशा:
ठगों के डराने-धमकाने वाले तरीकों ने महिलाओं को अपनी एफडी तक तोड़ने पर मजबूर कर दिया। यह दर्शाता है कि कैसे ठग पीड़ितों की मानसिक स्थिति का फायदा उठाते हैं।
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बैंकों की भूमिका:
सवाल उठता है कि इतनी बड़ी रकम के ट्रांसफर पर बैंकों ने कोई अलर्ट क्यों नहीं जारी किया।
- साइबर सुरक्षा की कमी:
यह घटना एक बार फिर साइबर सुरक्षा की अनदेखी और जागरूकता की कमी को उजागर करती है।
इस घटना से सबक
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सावधान रहें:
अनजान कॉल्स से सतर्क रहें। किसी भी परिस्थिति में पर्सनल और बैंक डिटेल साझा न करें।
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बैंकिंग ट्रांजेक्शन पर नजर रखें:
बड़ी रकम के लेन-देन पर तुरंत बैंक और पुलिस को सूचित करें।
- साइबर जागरूकता:
डिजिटल फ्रॉड के तरीकों और उससे बचने के उपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई बेहद जरूरी-
सुमन कक्कड़ और विनय थपलियाल की इस घटना ने यह साबित कर दिया कि ठगों के पास अब न केवल तकनीकी, बल्कि मनोवैज्ञानिक रूप से भी लोगों को फंसाने के तरीके हैं। ऐसे में साइबर सुरक्षा को लेकर सतर्कता और पुलिस की त्वरित कार्रवाई बेहद जरूरी है। पुलिस को चाहिए कि वह इस मामले में दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करे और पीड़ितों को न्याय दिलाए। साथ ही, बैंकों और आम जनता को भी साइबर फ्रॉड के प्रति अधिक सतर्क और जागरूक होना चाहिए।