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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) भले ही आज की सबसे आधुनिक तकनीकों में से एक हो, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी कल्पना 2500 साल पहले ही कर ली गई थी? स्टैनफोर्ड और कैम्ब्रिज जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों का मानना है कि AI का विचार उतना नया नहीं है, जितना हम सोचते हैं। प्राचीन यूनान की पौराणिक कथाएं, खासकर कवि हेसिओड और होमर की रचनाएं, इस बात की गवाह हैं कि मानव जैसे सोचने और निर्णय लेने वाले यंत्रों की कल्पना सदियों पहले की जा चुकी थी।
तालोस: 700 ईसा पूर्व में बना था 'ब्रॉन्ज रोबोट'
AI का यह प्राचीन संस्करण था – ‘तालोस’, जो एक कांसे (ब्रॉन्ज) से बना चलने-फिरने और सोचने वाला रोबोट था। इसकी कहानी हेफेस्टस नामक ग्रीक देवता से जुड़ी है, जिन्हें आविष्कार और धातु-निर्माण का भगवान माना जाता है।
तालोस को क्रेते द्वीप की रक्षा के लिए बनाया गया था। वह खतरे की पहचान कर सकता था, उस पर प्रतिक्रिया देता था, और शत्रु का सामना भी करता था। AI के मौजूदा स्वरूप से इसकी तुलना करते हुए कई विद्वान कहते हैं – "यह सचमुच एक प्रारंभिक 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एजेंट' था।"
'इकोर' – एक दिव्य तरल या आज का 'प्रोसेसर'?
तालोस की एक विशेष "नस" थी जिसमें इकोर (Ichor) नाम का तरल बहता था – ग्रीक मिथकों में इसे दिव्य रक्त कहा गया है। लेकिन आधुनिक विशेषज्ञ इसे AI के लिए आवश्यक सेंट्रल लॉजिक सिस्टम या प्रोसेसर के रूप में भी देख रहे हैं।
कहानी के अनुसार, तालोस को बल से हराना नामुमकिन था। उसे धोखे से उसकी एड़ी पर वार कर निष्क्रिय किया गया, जब इकोर बह गया तो वह भी खत्म हो गया। आज के AI सिस्टम्स में भी सेंटरल प्रोसेसिंग यूनिट पर हमला कर उन्हें 'हैक' किया जा सकता है – इस नजरिए से भी यह कल्पना चौंकाती है।
पेंडोरा भी थी 'AI एजेंट'?
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्चर एड्रिएन मेयर का मानना है कि पेंडोरा भी एक तरह की AI आधारित जीवित मशीन थी। वह इंसानों को सजा देने के लिए ‘ईश्वर द्वारा बनाई गई’ एक स्मार्ट और जानबूझकर भेजी गई एजेंट थी। पेंडोरा बॉक्स की कहानी, जिसमें दुनिया की बुराइयां छिपी थीं, भी इसी तकनीकी चेतावनी की तरह मानी जा सकती है – जैसे आज के AI से जुड़े खतरों की चेतावनी।
सोने की नौकरानियां: पहली 'ह्यूमनॉइड रोबोट्स'?
हेफेस्टस ने सिर्फ तालोस या पेंडोरा नहीं, बल्कि सोने से बनी नौकरानियों का भी निर्माण किया था। होमर की कविताओं में उल्लेख है कि इन नौकरानियों में देवताओं का ज्ञान था। वे बोल सकती थीं, सोच सकती थीं और आदेशों का पालन करती थीं – ठीक वैसे जैसे आज के ह्यूमनॉइड रोबोट्स।
क्या यह सिर्फ कल्पना थी या शुरुआती 'टेक्नोलॉजी ब्लूप्रिंट'?
प्रोफेसर स्टीफन केव (कैम्ब्रिज), नोएल शार्की (शेफ़ील्ड) और टॉम एस. मुलैनी (स्टैनफोर्ड) जैसे विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि मानवता का सपना – बुद्धिमान मशीनें बनाना – हजारों साल पुराना है। AI को लेकर आज जो सवाल उठते हैं – नैतिकता, नियंत्रण, खतरे और उपयोग – वह ग्रीक मिथकों में पहले ही उठाए जा चुके हैं।
क्या AI मानवता का पुराना सपना है जो अब साकार हो रहा है?
AI कोई नई खोज नहीं, बल्कि एक पुरानी कल्पना की आधुनिक पुष्टि है। तालोस, पेंडोरा और सोने की नौकरानियां हमें याद दिलाते हैं कि मनुष्य सदियों से सोचने वाली मशीनों का सपना देखता आया है। आज यह सपना GPT, Sophia, और रोबोटिक्स के जरिए साकार हो रहा है। क्या आने वाला समय भी किसी पौराणिक कथा जैसा ही होगा? जवाब भविष्य के AI सिस्टम्स के पास है।
Baten UP Ki Desk
Published : 3 July, 2025, 5:45 pm
Author Info : Baten UP Ki