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लखनऊ | बातें यूपी की — नवंबर की ठंडी हवा में जब सुबह की पहली किरण गंगा के जल को छूती है, तो लगता है जैसे खुद माँ गंगा बोल उठी हों — ‘मैं अभी ज़िंदा हूँ!’और इस बार, पूरी उत्तर प्रदेश ने उस पुकार का जवाब दिया है। राज्य के 75 जिलों में एक साथ शुरू हुआ है “गंगा उत्सव 2025”, जिसने पूरे प्रदेश को भक्ति, स्वच्छता और संकल्प के रंग में रंग दिया है।
वाराणसी के दशाश्वमेध घाट से लेकर प्रयागराज के संगम तक, कानपुर की लहरों से लेकर मेरठ, बरेली और गोरखपुर तक — हर जगह दीपों से सजे घाट, बच्चों की मानव श्रृंखला, और हवा में उठती एक ही आवाज़ — “हर हर गंगे! जय माँ गंगे!”
स्वच्छ गंगा अभियान के तहत हजारों स्वयंसेवक घाटों की सफाई में जुटे। ‘हर घर गंगा’ मिशन से जुड़ी नई पहलें शुरू — हर जिले में गंगा जल समिति का गठन। बच्चों ने बनाई ‘Save Ganga’ मानव श्रृंखला, युवाओं ने आयोजित की ‘गंगा वॉकथॉन’। प्रयागराज में 1008 दीपों से आरती, जबकि वाराणसी में 3 लाख दीये एक साथ जलाए गए — एक दृश्य जिसने आसमान तक रोशनी फैला दी
· वाराणसी: घाटों पर दीपों की नदी — जहाँ गंगा का हर तरंग मंत्र बन गया।
· प्रयागराज: संगम तट पर 10 किमी लंबी “गंगा संकल्प श्रृंखला” ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड।
· लखनऊ: गोमती नदी तट पर ‘गंगा गौरव यात्रा’ — लोगों ने जलजागरण का संदेश फैलाया।
“गंगा मैया के बिना भारत अधूरा है, आज हर यूपीवासी गर्व से कह रहा है — गंगा हमारी माँ हैं!”
सरकार ने ऐलान किया है कि 2026 तक हर घाट पर ‘सोलर लाइटिंग सिस्टम’ और ‘वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट’ लगाए जाएंगे। इससे न सिर्फ़ गंगा का जल स्वच्छ रहेगा, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
लक्ष्य: “क्लीन गंगा मिशन” को मॉडल बनाकर हर नदी को पुनर्जीवित करना।
वाराणसी की एक वृद्ध महिला ने कहा — “पहले हम गंगा में स्नान करते थे, अब गंगा को बचाने के लिए रोज़ घाट जाते हैं। यही हमारी पूजा है।” गंगा उत्सव ने न सिर्फ़ लोगों की आस्था को जगाया है, बल्कि नई पीढ़ी को पर्यावरण से जोड़ने की मिसाल कायम की है।
“जब गंगा मुस्कुराती हैं, तो यूपी चमक उठता है।” ये उत्सव सिर्फ़ घाटों का नहीं, दिलों का महोत्सव है — जहाँ हर व्यक्ति, हर दीपक, और हर प्रार्थना एक ही बात कहती है — गंगा है तो कल है!
Editor
Published : 13 November, 2025, 12:27 am
Author Info : ashish kumar tiwari