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अंतरिक्ष में नया मुकाम हासिल करने की ओर भारत, पृथ्वी के जुड़वां ग्रह पर कदम बढ़ाएगा ISRO...

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अंतरिक्ष अन्वेषण में लगातार नए आयाम गढ़ रहा है। अब ISRO ने शुक्र ग्रह की दिशा में अपना कदम बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी है। केंद्र सरकार ने शुक्रयान-1 मिशन को हरी झंडी दे दी है, जो 2028 में लॉन्च किया जाएगा।

2028 में लॉन्च होगा शुक्रयान-1: पृथ्वी के जुड़वां ग्रह पर नई खोज का मौका

शुक्र, जिसे पृथ्वी का जुड़वां ग्रह कहा जाता है, का वातावरण और भूगर्भीय रहस्य वैज्ञानिकों के लिए बेहद आकर्षक हैं। शुक्रयान-1 मिशन के जरिए वैज्ञानिक यह पता लगाएंगे कि कभी रहने योग्य माने जाने वाले शुक्र पर परिस्थितियां कैसे प्रतिकूल हुईं। मिशन का मुख्य उद्देश्य शुक्र के वातावरण और सतह की बारीकियों को समझना है।

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को मंजूरी: 2035 तक होगा तैयार-

भारत ने अपना खुद का भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) बनाने की भी योजना को स्वीकृति दी है। यह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) जितना बड़ा तो नहीं होगा, लेकिन इसमें पांच मॉड्यूल होंगे। पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च किया जाएगा, और यह महत्वाकांक्षी परियोजना 2035 तक पूरी होगी।

चंद्रमा से धरती तक मिट्टी के नमूने लाने का लक्ष्य-

चंद्रयान-4 मिशन के तहत भारत चंद्रमा की सतह पर एक बार फिर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा से मिट्टी के नमूने धरती पर लाना है। जापान के साथ सहयोग में 350 किलोग्राम वजनी रोवर का निर्माण किया जाएगा। अगर सरकार से अनुमति मिली, तो यह मिशन 2030 तक पूरा होगा।

मंगल पर उतरने का सपना: इसरो का अगला बड़ा कदम

ISRO केवल मंगल ग्रह की कक्षा में उपग्रह स्थापित करने तक सीमित नहीं रहेगा। मंगल की सतह पर उतरने का भी प्रयास किया जाएगा। गगनयान मिशन के तहत मानव रहित उड़ान अगले दो वर्षों में लॉन्च की जाएगी, जिसके बाद मानवयुक्त मिशन की शुरुआत होगी।

नई पीढ़ी के सेंसर और उपग्रह: मौसम और समुद्र विज्ञान में क्रांति

ISRO इनसैट 4 श्रृंखला के तहत नए सेंसर और उपग्रह लॉन्च करने की योजना पर भी काम कर रहा है। ये सेंसर मौसम विज्ञान और समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में अधिक सटीक पूर्वानुमान प्रदान करेंगे, जिससे भारत दुनिया के साथ तकनीकी प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ सकेगा।

शुक्र: पृथ्वी का रहस्यमय जुड़वां-

शुक्र को पृथ्वी का जुड़वां ग्रह इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका निर्माण पृथ्वी जैसी परिस्थितियों में हुआ। शुक्रयान मिशन के जरिए यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि ग्रहों का वातावरण इतना अलग कैसे विकसित होता है। इसरो का यह प्रयास भविष्य में अन्य ग्रहों की खोज के लिए भी रास्ता खोलेगा।

भारत के अंतरिक्ष प्रयासों में नया अध्याय-

चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद ISRO अब मंगल, शुक्र और अंतरिक्ष स्टेशन जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं पर काम कर रहा है। ये मिशन न केवल भारत की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित करेंगे, बल्कि अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत को अग्रणी देशों में शामिल करेंगे। भारत के इन अंतरिक्ष प्रयासों के साथ, यह कहना गलत नहीं होगा कि 2035 से पहले ISRO नई ऊंचाइयों को छूने वाला है।

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