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इसरो ने एक और ऐतिहासिक कदम उठाया है, जब उसने श्रीहरिकोटा से यूरोपीय स्पेस एजेंसी के प्रोबा-3 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह मिशन सूर्य के बाहरी वातावरण, जिसे कोरोना कहा जाता है, के अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हालांकि, इससे पहले इस मिशन की लॉन्चिंग को तकनीकी कारणों से टाल दिया गया था।
PSLV-C59 रॉकेट से सफल लॉन्च-
इस मिशन के लिए इसरो ने अपने PSLV-C59 रॉकेट का इस्तेमाल किया। यह इसरो के लिए एक और बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि PSLV रॉकेट अब दुनिया भर में अपनी विश्वसनीयता साबित कर चुका है।
दुनिया का पहला प्रेसिशन फॉर्मेशन फ्लाइंट सैटेलाइट-
प्रोबा-3 मिशन की खासियत यह है कि यह दुनिया का पहला प्रेसिशन फॉर्मेशन फ्लाइंट सैटेलाइट है। इस मिशन के तहत दो सैटेलाइट्स - कोरोनाग्राफ और ऑकुल्टर को अंतरिक्ष में भेजा गया है। ये दोनों सैटेलाइट सूर्य के बाहरी वातावरण, यानि कोरोना, का अध्ययन करेंगे।
कोरोनाग्राफ और ऑकुल्टर: सूर्य के रहस्यों की खोज-
कोरोनाग्राफ का वजन 310 किलो और ऑकुल्टर का वजन 240 किलो है। दोनों सैटेलाइट्स एक-दूसरे से लगभग 150 मीटर की दूरी पर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाएंगे और सूर्य के बाहरी वातावरण, जिसे कोरोना कहा जाता है, का अध्ययन करेंगे। कोरोना सूर्य से ज्यादा गर्म होता है, और यही जगह है जहां से अंतरिक्ष के वातावरण की शुरुआत होती है। इसे समझना वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है।
इसरो के लिए एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि-
यह मिशन इसरो के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आदित्य एल-1 के बाद, प्रोबा-3 का लॉन्च इसरो के लिए एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इसके जरिए इसरो को सूर्य के बारे में गहरी और विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी।
ऑकुल्टर सैटेलाइट की सूर्यग्रहण जैसी प्रक्रिया-
प्रोबा-3 में लगी तकनीकी उपकरण सूर्य के बाहरी वातावरण का गहराई से विश्लेषण करेंगे। ऑकुल्टर सैटेलाइट में एक उपकरण लगा है जो सूर्य की चमकदार डिस्क को ब्लॉक करेगा, ठीक उसी तरह जैसे सूर्यग्रहण के दौरान होता है। इसके बाद कोरोनाग्राफ में लगे टेलीस्कोप से सूर्य के कोरोना का विश्लेषण किया जा सकेगा।
सूर्य से जुड़ी वैज्ञानिक खोजों में मददगार साबित होगा मिशन-
इस मिशन के माध्यम से सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन किया जाएगा, जिससे हमें अंतरिक्ष मौसम और सूर्य के प्रभावों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी। इस मिशन के सफलतापूर्वक लॉन्च होने से इसरो की प्रतिष्ठा और भी मजबूत हुई है, और यह मिशन सूर्य से जुड़ी भविष्य की वैज्ञानिक प्रयोगों में मददगार साबित होगा। प्रोबा-3 मिशन के माध्यम से इसरो और यूरोपीय स्पेस एजेंसी एक नया अध्याय जोड़ रहे हैं, जो सूर्य के रहस्यों और अंतरिक्ष के वातावरण को समझने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
Baten UP Ki Desk
Published : 5 December, 2024, 6:00 pm
Author Info : Baten UP Ki