भारत अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। इस महत्वाकांक्षी यात्रा को और ऊंचाई देते हुए केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक ऐतिहासिक घोषणा की है। उन्होंने बताया कि भारत 2035 तक अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करेगा, जिसे 'भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन' (BAS) के नाम से जाना जाएगा। यही नहीं, 2040 तक भारत का सपना है कि एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर कदम रखे, जो देश की अंतरिक्ष यात्रा में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ देगा।"
पीएम मोदी का सपना, जल्द होगा साकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2024 में गगनयान मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों की घोषणा के दौरान 2035 तक भारत के अंतरिक्ष स्टेशन का सपना साझा किया था। यह सपना अब साकार होता दिख रहा है। यदि यह परियोजना पूरी होती है, तो भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश बन जाएगा, जिसके पास अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा। वर्तमान में अंतरिक्ष में केवल दो अंतरिक्ष स्टेशन हैं—इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) और चीन का तियांगोंग।
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) की योजना
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने BAS परियोजना की विस्तृत योजना तैयार की है।
- वजन और क्षमताएं: 52 टन वजनी यह स्टेशन प्रारंभिक रूप से तीन अंतरिक्ष यात्रियों को ठहराने में सक्षम होगा।
- भविष्य की क्षमता: इसकी क्षमता को भविष्य में छह यात्रियों तक बढ़ाने की योजना है।
- लॉन्च टाइमलाइन: BAS का पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च किया जाएगा। 2035 तक इसका पूर्ण निर्माण पूरा होगा।
- अनुसंधान के उद्देश्य: यह स्टेशन जीवन विज्ञान, चिकित्सा, और अंतरिक्ष अन्वेषण से जुड़े अनुसंधानों को बढ़ावा देगा।
अंतरिक्ष स्टेशन का महत्व: भारत के लिए नई संभावनाएं
अंतरिक्ष स्टेशन को "अंतरिक्ष का घर" कहा जा सकता है। यह न केवल वैज्ञानिक अनुसंधानों के लिए, बल्कि अंतरिक्ष अभियानों और सैन्य क्षमताओं के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- वैज्ञानिक अनुसंधान: सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण, मानव स्वास्थ्य, और जीवन-निर्वाह प्रौद्योगिकियों पर अध्ययन को बढ़ावा।
- राष्ट्रीय गौरव: अंतरिक्ष अभियानों में भारत को प्रमुख स्थान दिलाना।
- युवाओं के लिए प्रेरणा: नई तकनीकों और व्यावसायिक अवसरों को विकसित करना।
इसरो की अन्य ऐतिहासिक उपलब्धियां
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पहले भी उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कर चुका है:
- चंद्रयान-1: चंद्रमा पर पानी की खोज।
- चंद्रयान-3: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरने वाला मिशन।
- मंगलयान: कम लागत में मंगल की कक्षा में पहुंचने वाला पहला मिशन।
BAS इसरो की इन उपलब्धियों में एक और मील का पत्थर साबित होगा।
2035: अंतरिक्ष में भारत की नई पहचान
BAS के निर्माण के साथ, भारत न केवल अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि अंतरिक्ष अभियानों में वैश्विक स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बनाएगा।
- दुनिया का तीसरा देश: भारत अपने अंतरिक्ष स्टेशन के साथ अमेरिका और चीन की श्रेणी में शामिल हो जाएगा।
- नई व्यावसायिक संभावनाएं: यह अंतरिक्ष पर्यटन और व्यावसायिक उपयोग के लिए नए दरवाजे खोलेगा।
इसरो के गौरवशाली इतिहास में जुड़ेगा नया अध्याय-
2035 तक भारत का अंतरिक्ष स्टेशन न केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि होगी, बल्कि यह भारत की अंतरिक्ष शक्ति और वैश्विक नेतृत्व को भी प्रदर्शित करेगा। इससे न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को नई दिशा मिलेगी, बल्कि देश की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। यह परियोजना इसरो के गौरवशाली इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ेगी।