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AI आया है... अब क्या नौकरियाँ जाएंगी? या फिर शुरू होगा नया दौर?

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आजकल हर तरफ एक ही चर्चा है—“AI आ गया है, अब हमारी नौकरी गई समझो।” आपने भी ये बात कहीं न कहीं ज़रूर सुनी होगी। लेकिन असली सवाल ये है—क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाकई हमारी नौकरियाँ छीन लेगा? या फिर ये हमें और बेहतर, और ज्यादा क्रिएटिव बनाएगा?

AI: ख़तरा या मौका?

OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन का मानना है कि AI से कुछ नौकरियाँ तो खत्म हो सकती हैं, लेकिन ज़्यादातर मामलों में यह इंसानों को ज़्यादा प्रोडक्टिव और एफिशिएंट बनाएगा। ऑल्टमैन कहते हैं कि हर बार जब कोई नई तकनीक आती है, तो लोग डरते हैं। लेकिन इतिहास गवाह है कि जिन्होंने उस तकनीक को अपनाया, सीखा और इस्तेमाल किया—वही आगे निकले।

उदाहरण के तौर पर, पहले किसी वेबसाइट को डिज़ाइन करने में एक हफ्ता लग जाता था। अब वही काम AI की मदद से दो दिन में हो सकता है। लेकिन क्या इसका मतलब ये है कि डिजाइनर की ज़रूरत खत्म हो गई? बिल्कुल नहीं। अब क्लाइंट कहेगा कि “बेसिक तो AI कर देगा, आप कुछ क्रिएटिव और एक्स्ट्रा करिए।” यानी अब इंसान की सोच, क्रिएटिविटी और इनोवेशन की डिमांड पहले से कहीं ज्यादा है।

AI सिर्फ जॉब्स नहीं छीन रहा, नई नौकरियाँ भी बना रहा है

AI ने Prompt Engineer, AI Model Developer, Machine Learning Expert, और डेटा एनालिस्ट जैसी नई नौकरियाँ पैदा की हैं। कुछ साल पहले तक शायद ही किसी ने सोचा होगा कि “सिर्फ सही सवाल पूछना” भी एक स्किल हो सकती है। लेकिन आज ये एक highly paid और sought-after job बन चुकी है। टीमलीज डिजिटल की रिपोर्ट के अनुसार, 2027 तक भारत के करीब 1.6 करोड़ कर्मचारियों को अपनी स्किल्स को अपडेट करना होगा ताकि वे नई टेक्नोलॉजी के साथ कदम से कदम मिला सकें।

लेकिन सच ये भी है…

AI का असर कुछ सेक्टरों पर नकारात्मक भी पड़ा है। खासकर IT और BPO इंडस्ट्री में, जहां repetitive tasks थे, वहां AI ने काम अपने हाथ में लेना शुरू कर दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 की शुरुआत में करीब 32,000 लोग टेक कंपनियों से निकाले गए, जिनमें भारत के प्रोफेशनल्स भी शामिल थे।

कला और AI: सहयोग या संघर्ष?

हाल ही में वायरल हुए Ghibli-स्टाइल AI आर्ट ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी—क्या ये असली आर्ट है? कुछ लोगों ने इसे कलाकारों का अपमान बताया, जबकि दूसरों ने इसे नई क्रिएटिविटी और अभिव्यक्ति का माध्यम माना। अब किसी छोटे शहर या गाँव में बैठा व्यक्ति भी कुछ शब्दों के ज़रिए शानदार आर्टवर्क, म्यूज़िक या वीडियो बना सकता है। यानी अब “Power to Create” सिर्फ कुछ खास लोगों के पास नहीं, बल्कि हर किसी के पास है।

लेकिन एक बात जो समझना जरूरी है—AI चाहे जितना भी खूबसूरत आर्ट बना ले, उसमें इंसानी जज़्बात और एहसास नहीं हो सकते। एक कलाकार जब पेंटिंग बनाता है या म्यूज़िक तैयार करता है, तो उसमें उसका दिल, उसका अनुभव, उसकी आत्मा झलकती है। AI एक टूल है, इंसान नहीं।

डरें नहीं, तैयार हों

AI कोई डरावना दानव (डेमोन) नहीं है, ये एक शक्तिशाली टूल है। जो इसके साथ चलने को तैयार है, सीखने और बदलने को तैयार है—वो आगे बढ़ेगा। नौकरियाँ खत्म नहीं हो रही हैं, बल्कि evolve हो रही हैं। और इस बदलाव में सबसे जरूरी है—इंसानी सोच, सीखने की चाह और क्रिएटिविटी। तो अगली बार जब कोई कहे "AI आ गया, अब क्या होगा?"—तो मुस्कुराकर कहिए:
“अब असली हुनर की पहचान होगी।”

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