बड़ी खबरें

पीसीएस मुख्य परीक्षा के लिए खुली आवेदन विंडो, प्रिलिम्स एग्जाम में सफल अभ्यर्थी करें पंजीकरण 19 घंटे पहले गुजरात में पीएम मोदी ने लखपति दीदियों से किया संवाद, ₹450 करोड़ की वित्तीय सहायता वितरित 19 घंटे पहले आज दिल्ली की महिलाओं के लिए बड़ा दिन: CM बताएंगी कब से मिलेंगे पैसे 19 घंटे पहले Women's Day पर आधी आबादी को राष्ट्रपति ने दीं शुभकामनाएं; पीएम मोदी बोले- हम अपनी नारी शक्ति को नमन करते हैं 19 घंटे पहले सीएम योगी ने नोएडा में आईटी कंपनियों का किया लोकार्पण, बोले- मिलेगा रोजगार का अवसर 18 घंटे पहले

वन्यजीवों के बिना अधूरा है हमारा जीवन! दुनिया के अरबों लोगों की जरूरत हैं 50 हजार से ज्यादा प्रजातियां...

Blog Image

क्या आपने कभी किसी घने जंगल की गूंजती शांति को महसूस किया है? क्या किसी पक्षी की मधुर चहचहाहट ने आपके दिल को सुकून दिया है? प्रकृति की यह अनमोल धरोहर-'वन्यजीव' हमारी पृथ्वी के संतुलन को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। स्वच्छ हवा, शुद्ध जल, और पोषक भोजन, हमारी इन बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में वन्यजीवों की महत्वपूर्ण भागीदारी होती है।

हर साल 3 मार्च को संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है, जो हमें इन अनमोल जीवों और वनस्पतियों के संरक्षण का संकल्प लेने का अवसर देता है। यह न केवल प्रकृति के अद्भुत जीवों का उत्सव मनाने का दिन है, बल्कि उनके महत्व को समझने और सतत जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा देने का भी समय है। दुनिया की 50,000 से अधिक जंगली प्रजातियाँ अरबों लोगों की जरूरतें पूरी करती हैं-लेकिन क्या हम उनके अस्तित्व की रक्षा कर रहे हैं?

2025 की थीम: वन्यजीव संरक्षण वित्त

विश्व वन्यजीव दिवस 2025 की थीम "वन्यजीव संरक्षण वित्त: लोगों और ग्रह में निवेश" पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य ऐसे वित्तीय समाधान तलाशना है जो न केवल वन्यजीव संरक्षण को सशक्त बनाए, बल्कि प्रकृति और मानव समुदायों के बीच एक संतुलित भविष्य भी सुनिश्चित करे।

कैसे हुई इस दिवस की शुरुआत?

2013 में, थाईलैंड ने वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था। इसके बाद, 20 दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक रूप से 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस घोषित किया। पहला उत्सव 2014 में मनाया गया था। यही वह तारीख थी जब 1973 में सीआईटीईएस (CITES) समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

सीआईटीईएस: वन्यजीवों के संरक्षण की वैश्विक संधि

CITES (Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora) एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार किसी भी वन्यजीव या वनस्पति प्रजाति के अस्तित्व को खतरे में न डाले।

जैव विविधता और मानव जीवन

वन्यजीव और वनस्पतियां पृथ्वी पर जीवन के जटिल ताने-बाने का अभिन्न हिस्सा हैं।

  • केवल वनों में ही 60,000 वृक्ष प्रजातियां, 80% उभयचर प्रजातियां और 75% पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं।

  • 1.6 अरब लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वन्यजीवों और जैव विविधता पर निर्भर हैं।

वन्यजीव संरक्षण में निवेश की आवश्यकता

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 10 लाख से अधिक प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है। ऐसे में, वन्यजीव संरक्षण में निवेश पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।

  • वैश्विक GDP का आधे से अधिक हिस्सा प्रकृति पर निर्भर करता है।

  • समुद्री मछली भंडार का 1/3 से अधिक हिस्सा अत्यधिक मात्रा में पकड़ा जा रहा है, जिससे बेरोजगारी और अवैध शिकार जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।

वित्तीय चुनौतियां और नए समाधान

वर्तमान में जैव विविधता संरक्षण में 143 अरब अमेरिकी डॉलर सालाना निवेश किया जाता है, जबकि आवश्यक अनुमानित राशि 824 अरब अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष है।

  • कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा का लक्ष्य 2030 तक 200 अरब अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष जुटाना है।
  • ऋण-के-लिए-प्रकृति स्वैप (Debt-for-Nature Swaps) और वन्यजीव संरक्षण बांड जैसे वित्तीय समाधान उभर रहे हैं।

  • पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं (PES) के लिए भुगतान जैसी पहल से वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देने की संभावनाएं बढ़ रही हैं।

वन्यजीव संरक्षण: एक साझा जिम्मेदारी

विश्व वन्यजीव दिवस 2025, वन्यजीव संरक्षण के लिए नवीन वित्तीय समाधानों के आदान-प्रदान का एक मंच होगा। यह सिविल सोसाइटी, सरकारों, संगठनों और निजी क्षेत्र को एक साथ लाने में सहायक होगा, ताकि जैव विविधता के लिए स्थायी वित्तपोषण सुनिश्चित किया जा सके।

वन्यजीवों के बिना जीवन अधूरा

वन्यजीव हमारे पारिस्थितिकी तंत्र और आर्थिक स्थिरता का एक अभिन्न अंग हैं। हमें जिम्मेदार निवेश, सतत वित्तीय रणनीतियों और जागरूकता अभियानों के माध्यम से उनके संरक्षण के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। आइए, इस विश्व वन्यजीव दिवस पर, हम सभी प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व की दिशा में एक और कदम बढ़ाएं।

 

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें