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नेताजी सुभाष चंद्र बोस के स्वतंत्रता संग्राम में अतुलनीय योगदान के किस्से

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यह कहानी है 20वीं सदी के एक बच्चे की, उस बच्चे के पिता की इच्छा थी कि वो आईसीएस अधिकारी बने। लेकिन दुविधा ये थी कि उस बच्चे के पास ज़्यादा अटेम्प्ट नहीं बचे थे। उसकी उम्र को देखते हुए केवल एक ही बार में यह परीक्षा पास करनी थी। बच्चे ने पिता से चौबीस घण्टे का समय यह सोचने के लिये माँगा ताकि वो परीक्षा देने या न देने पर कोई अन्तिम निर्णय ले सके। सारी रात इसी असमंजस में वो जागता रहा कि क्या किया जाये। आखिर में उसने परीक्षा देने का फैसला किया और 15 सितम्बर 1919 को इंग्लैण्ड चला गया। परीक्षा की तैयारी के लिये उस बच्चे को लन्दन के किसी स्कूल में दाखिला नहीं मिला। किसी तरह उसने किट्स विलियम हाल में मानसिक एवं नैतिक विज्ञान की ट्राइपास (ऑनर्स) की परीक्षा की स्टडी के लिए एडमिशन ले लिया। इससे उसके लंदन में रहने व खाने की समस्या हल हो गयी। हाल में एडमीशन लेना तो बहाना था असली मकसद तो आईसीएस में पास होकर दिखाना था। सो उसने 1920 में वरीयता सूची में चौथा स्थान प्राप्त करते हुए ये कठिन परीक्षा पास कर ली। गुलाम भारत में उस समय ICS अधिकारी बनना मामूली बात नहीं थी। हालाँकि उस बच्चे के दिलो-दिमाग पर तो महर्षि दयानंद सरस्वती और महर्षि अरविन्द घोष के आदर्शों ने कब्जा कर रक्खा था। ऐसे में आईसीएस बनकर वह अंग्रेजों की गुलामी कैसे कर पाता? सो उसने 22 अप्रैल 1921 को भारत सचिव ई०एस० मान्टेग्यू (ES Montague)को आईसीएस से त्यागपत्र देने का पत्र लिख डाला। ये थे नेता सुभाष चंद्र बोस। आज उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर, हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके अतुलनीय योगदान को याद करेंगे।

किस्से सुभाष चंद्र बोस के-

सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा में कटक के एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था। बोस के पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था। कटक के प्रोटेस्टेण्ट यूरोपियन Protestant Europeans स्कूल से प्राइमरी शिक्षा पूर्ण कर 1909 में उन्होंने रेवेनशा कॉलेजियेट स्कूल में दाखिला लिया जहा  कॉलेज के प्रिन्सिपल बेनीमाधव दास के व्यक्तित्व का सुभाष के मन पर अच्छा प्रभाव पड़ा। वैसे तो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कई महत्वपूर्ण योगदान शामिल हैं लेकिन आज हम उनके पांच महत्वपूर्ण योगदानों पर नज़र डालेंगे।

 सुभाष चंद्र बोस के महत्वपूर्ण योगदान-

1-भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) का पुनर्गठन और नेतृत्व

सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) को पुनर्गठित किया और इसका नेतृत्व किया। इस सेना को आज़ाद हिंद फ़ौज के नाम से भी जाना जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, बोस ने जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक साहसिक और निर्णायक संघर्ष किया। उनकी रणनीति और नेतृत्व ने भारतीय सैनिकों को प्रेरित किया और एक नई आशा दी। युद्धबंदियों और दक्षिण पूर्व एशिया के प्रवासियों से बनी इस सेना ने भारतीय स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। INA ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक सशस्त्र संघर्ष किया, जो स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय बना।

2- "दिल्ली चलो" आंदोलन

सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण अभियान शुरू किया, जिसे "दिल्ली चलो" (March to Delhi) के नाम से जाना जाता है। इस अभियान का उद्देश्य ब्रिटिश शासन को समाप्त करना और भारतीय स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना था। यह अभियान सैन्य कार्रवाई के माध्यम से भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्त कराने की दिशा में एक निर्णायक प्रयास था। इस नारे और आंदोलन ने भारतीय जनता में एक नई ऊर्जा और उत्साह भर दिया और स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा प्रदान की।

3-स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार की स्थापना

सुभाष चंद्र बोस ने 1943 में सिंगापुर में स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार की स्थापना की। यह सरकार, जिसे कई धुरी राष्ट्रों ने मान्यता दी, भारतीय स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल थी। बोस ने इस सरकार के माध्यम से ब्रिटिश शासन की वैधता को चुनौती दी और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाई। अस्थायी सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता की मांग को एक नई आवाज दी और भारतीय जनमानस में स्वतंत्रता की भावना को प्रबल किया।

4-रेडियो प्रसारण का प्रभावी उपयोग

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने स्वतंत्रता के अपने संदेश को फैलाने और भारतीयों के बीच मनोबल बढ़ाने के लिए रेडियो प्रसारण का प्रभावी ढंग से उपयोग किया। उनकी आवाज़, जो आदर्श और प्रेरणा से भरपूर थी, रेडियो पर गूंज उठी और भारतीयों के दिलों में गहरी छाप छोड़ गई। उनका प्रसिद्ध नारा "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा" भी एक रेडियो प्रसारण के दौरान गढ़ा गया था। यह नारा उस समय के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बना और लोगों को संघर्ष के लिए प्रोत्साहित किया। रेडियो के माध्यम से उन्होंने अपने विचार और आह्वान को व्यापक रूप से फैलाया, जिससे स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊर्जा मिली और पूरे देश में एक नई चेतना का संचार हुआ.

5 -स्वतंत्रता के लिए वैकल्पिक दृष्टिकोण

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए एक अलग और उग्र तरीका अपनाया, जो महात्मा गांधी के अहिंसक तरीकों से बहुत अलग था। जबकि गांधीजी ने अहिंसा और सत्याग्रह को प्रमुख हथियार बनाया, बोस ने सशस्त्र संघर्ष और सैन्य शक्ति को महत्व दिया। बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) बनाई और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने जापान और अन्य देशों के साथ मिलकर ब्रिटिश साम्राज्य पर दबाव डाला। इस नए और उग्र तरीके ने स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और ब्रिटिश शासन पर अतिरिक्त दबाव डाला। इससे स्वतंत्रता संग्राम में विविधता आई और संघर्ष को एक नया आयाम मिला।

सुभाष चंद्र बोस की रहस्यमयी मौत

सुभाष चंद्र बोस का व्यक्तित्व कमाल का था। उन्होंने आजाद भारत का सपना देखा और उसे पूरा करने के रास्ते पर चल पड़े। इस राष्ट्र के संस्थापक कहलाने वाले महान नेताओं में बोस की गिनती होती है। मगर, बोस की मौत को लेकर रहस्य आज भी बना हुआ है। कुछ लोग कहते हैं कि एक विमान हादसे में सुभाष चंद्र बोस की मौत हो गई। कई लोगों का यह भी मानना है कि इस दुर्घटना में उनकी मृत्यु नहीं हुई, बल्कि वह तो देश के आजाद होने तक गुमनामी भरा जीवन जीते रहे।

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