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भारत बना मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस, इन क्षेत्रों में हुई असली ग्रोथ!

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भारत के विनिर्माण क्षेत्र ने जून 2025 में जोरदार वापसी की है। HSBC इंडिया मैन्युफैक्चरिंग PMI जून में बढ़कर 58.4 पर पहुंच गया, जो मई में 57.6 था। यह पिछले 14 महीनों का सबसे ऊंचा स्तर है और यह दिखाता है कि भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर अब growth mode में पूरी रफ्तार पकड़ चुका है।

क्या है PMI और क्यों है ये ज़रूरी?

PMI यानी Purchasing Managers' Index एक ऐसा इंडिकेटर है, जो किसी सेक्टर की आर्थिक हेल्थ को दिखाता है। 50 से ऊपर का आंकड़ा विस्तार (expansion) को दर्शाता है और 50 से नीचे का मतलब होता है संकुचन (contraction)। जून का 58.4 का आंकड़ा न सिर्फ विस्तार की ओर इशारा करता है, बल्कि यह दीर्घकालिक औसत (54.1) से भी काफी ऊपर है।

Global Demand से मिली रफ्तार

HSBC की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका से निर्यात ऑर्डर में तेज उछाल देखने को मिला। 2005 में सर्वे शुरू होने के बाद से निर्यात मांग में यह तीसरी सबसे तेज़ ग्रोथ रही। इससे भारत की समग्र बिक्री और उत्पादन को बढ़ावा मिला है।

नौकरियों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी

डिमांड में इस तेजी का सीधा असर रोज़गार पर पड़ा है। कंपनियों के पास जून में इतना बैकलॉग बढ़ गया कि उन्होंने रिकॉर्ड संख्या में वर्कर्स हायर किए। हालांकि, यह हायरिंग ज़्यादातर शॉर्ट टर्म के लिए रही – लेकिन इससे यह तो साफ है कि इंडस्ट्री में activity तेज़ी से बढ़ रही है

स्टील और इनपुट कॉस्ट

जहां कच्चे माल – जैसे कि लोहा और स्टील – की कीमतें अभी भी ऊंची बनी हुई हैं, वहीं इनपुट लागत मुद्रास्फीति फरवरी के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर है। इसके बावजूद कंपनियों ने सेलिंग प्राइस बढ़ा दी हैं, ताकि लॉजिस्टिक्स, लेबर और मैटेरियल की बढ़ती कीमतों को कवर किया जा सके।

14 महीनों में सबसे तेज खरीदारी

उत्पादन में तेजी और मांग की मजबूती ने कंपनियों को अधिक कच्चा माल खरीदने के लिए प्रेरित किया। जून में खरीदारी गतिविधि में 14 महीनों की सबसे तेज़ ग्रोथ दर्ज की गई।

क्या कहती है ये रिपोर्ट भारत की अर्थव्यवस्था के लिए?

इस रिपोर्ट से साफ है कि भारतीय विनिर्माण क्षेत्र ग्लोबल अनिश्चितताओं के बावजूद मजबूती से आगे बढ़ रहा है। निर्यात, उत्पादन और रोजगार में एकसाथ तेजी आना इस बात का संकेत है कि India is building economic momentum at the ground level, और यह ग्रोथ सिर्फ आंकड़ों में नहीं बल्कि रियल टर्म में जॉब्स और ऑर्डर्स के जरिए दिख रही है।

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