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पूरी दुनिया समेत भारत में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है, नया साल आइए जानते हैं...

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पूरी दुनिया 1 जनवरी को नया साल सेलिब्रेट करती है, लेकिन क्या आप यह जानते हैं भारत में सिर्फ एक ही नहीं बल्कि कई बार अलग-अलग तरह से नए साल का जश्न मनाया जाता है। भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर अपनी संस्कृति और परंपराओं के आधार पर नए साल की शुरुआत होती है। भारत में कहीं सोलर कैलेंडर सिस्टम के आधार पर तो कहीं नए अनाज के कटने के मौके पर नए साल का जश्न मनाया जाता है। ऐसे में चलिए आज जानते हैं कि हमारे विविधताओं वाले देश में कब-कब, कहां और कैसे नया साल मनाया जाता है।

सबसे पहले बात हिन्दू धर्म की-

हिंदू नववर्ष और नव संवत्सर की शुरुआत चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से मानी जाती है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना की थी। साथ ही इसी दिन से विक्रम संवत के नए साल की शुरुआत होती है। हम सभी के घरों में इस्तेमाल होने वाले अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, ये तिथि मार्च-अप्रैल में आती है। 

ईसाई धर्म- की बात करें तो, पूरी दुनिया समेत भारत में भी नए साल की शुरुआत एक जनवरी से ही मानी जाती है। पर इसकी शुरुआत जीसस क्राइस्ट के जन्म से 46 साल पहले रोमन के राजा जूलियस सीजर ने नई गणनाओं के आधार पर नया कैलेंडर का निर्माण कर की थी। लगे हाथ यह भी जान लीजिये कि किसी भी कैलेंडर को सूर्य चक्र या चंद्र चक्र की गणना पर आधारित बनाया जाता है। चंद्र चक्र पर बनने वाले कैलेंडर में 354 दिन होते हैं. वहीं, सूर्य चक्र पर बनने वाले कैलेंडर में 365 दिन होते हैं. ग्रिगोरियन कैलेंडर सूर्य चक्र पर आधारित है. अधिकतर देशों में ग्रेगोरियन कैलेंडर का ही इस्तेमाल किया जाता है. इसकी शुरुआत करीब 4 सौ साल पहले 15 अक्टूबर, 1582 को हुई थी। 

वैशाखी का पावन त्यौहार-

हर साल अप्रैल के महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्यत: पंजाब और हरियाणा में बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। बैसाखी के दिन से ही देश के कई हिस्सों में फसलों की कटाई शुरू होती है। सिखों के नववर्ष के रूप में मनाया जाने वाला यह त्यौहार इस साल 13 अप्रैल को मनाया जाएगा। बैसाखी के दिन ही सिखों के 10वें गुरु गुरु गोविन्द सिंह जी ने 13 अप्रैल 1699 को खालसा पंथ की स्थापना की थी। 
विषु-यह केरल का प्राचीन त्योहार है। केरलावासियों के लिए नववर्ष का यह पहला दिन मलयालम महीने मेष की पहली तिथि को मनाया जाता है। विषु के दिन की प्रमुख विशेषता "विषुक्कणी" है। 'विषुक्कणी' उस झाँकी-दर्शन को कहते हैं, जिसका दर्शन विषु के दिन प्रात:काल सबसे पहले किया जाता है।

पुथांडु- जिसे पुथुरूषम भी कहा जाता है, यह तमिल नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है। सौर चक्र पर आधारित तमिल कैलेंडर के पहले महीने का नाम चिधिराई है और इसी महीने का पहला दिन पुथांडु के रूप में मनाया जाता है। यह ग्रेगोरियन कैलेंडर के 13 अप्रैल या उसके आस-पास मनाया जाता है।

गुड़ी पड़वा-

यह त्योहार इस साल 09 अप्रैल को मनाया जाएगा। ये गोवा, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कई राज्यों में मनाया जाता है। इस दिन से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। साथ ही नवरात्रि पर्व की शुरुआत भी इसी दिन से होती है। गुड़ी पड़वा को फसल दिवस के रूप में मनाते हैं। मान्यता है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था।
नवरेह नव चंद्र वर्ष के रूप में मनाया जाता है। ये पर्व चैत्र नवरात्र के पहले दिन मनाया जाता है। मुख्य रूप से ये त्योहार कश्मीर में मनाया जाता है। कश्मीरी पंडित बड़े उत्साह के साथ इस पर्व को मनाते हैं।

जैन समाज की बात करें- तो दीपावली के अगले दिन से जैन नववर्ष की शुरुआत होती है। इसे वीर निर्वाण संवत भी कहा जाता है। जैन धर्म के अनुसार, महावीर स्वामी को चतुर्दशी के प्रत्युष काल में मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। यह चतुर्दशी का अंतिम पहर होता है, इसलिए जैन समाज दीपावली अमावस्या को मानते हैं। 

इस्लामिक वर्ष- की शुरुआत मोहर्रम के पहले दिन से शुरू होती है। इस्लामिक धार्मिक त्योहार को मनाने के लिए हिजरी कैलेंडर का ही इस्तेमाल किया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर 2024 के अनुसार 11 मार्च से इसकी शुरुआत होगी ।
 

उगादी- यह दक्षिण भारत का एक प्रमुख त्योहार है जिसे समवत्सरदी युगादी के नाम से भी जाना जाता है। यह कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना जैसे राज्यों में नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। चैत्र माह के पहले दिन पड़ने वाले इस त्यौहार को दक्षिण भारत में काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है, क्योंकि वसंत आगमन के साथ ही किसानों के लिए यह पर्व नयी फसल के आगमन का भी अवसर होता है।

बोहाग बिहू-यह भारत के असम और उत्तर-पूर्वी राज्यों में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्यौहार है। इसे 'रोंगाली बिहू' या हतबिहू भी कहते हैं। यह असमी नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। आमतौर पर यह त्यौहार 13 या फिर 14 अप्रैल को पड़ता है जो फसल कटाई के समय को दर्शाता है।

पोइला बोइशाख ....हर साल चैत्र का महीना खत्म होते ही बंगाली नववर्ष मनाया जाता है, जिसे पोइला बोइशाख के नाम से जाना जाता है। इस साल बंगाली नववर्ष 14 अप्रैल को मनाया जाएगा। ये वैशाख माह का पहला दिन होता है। इस दौरान बंगाली लोग एक दूसरे को नए साल की बधाई देते हैं। 
 खैर, भारत का राष्‍ट्रीय कैलेंडर शक संवत पर आधारित है. चैत्र इसका पहला महीना होता है और यह ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ साथ चलता है. वैसे इस साल की शुरुआत मार्च- अप्रैल में होती है. जब न्यू ईयर के रूप में गुड़ी पड़वा, नवरात्र जैसे पर्व मनाए जाते हैं. इसे हम नए साल के रूप में तो मनाते ही हैं, साथ ही हम यह भी स्वीकार करते हैं कि भारत विविधताओं से भरा हुआ है। हर राज्य की अपनी अलग संस्कृति और परंपरा है, इसी के अनुसार, अंग्रेजी कैलेंडर के अलावा भी नववर्ष मनाया जाता है।

 

 

 

 

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