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स्क्रीन टाइम से घटती नींद! जानिए ब्लू लाइट के प्रभाव से कैसे बचें?

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तकनीकी युग में स्मार्टफोन और कंप्यूटर जैसे उपकरणों का उपयोग लगातार बढ़ रहा है, लेकिन इनकी लत हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि सोने से पहले एक घंटा स्मार्टफोन, टीवी और कंप्यूटर का उपयोग करने से अनिद्रा का जोखिम लगभग 60 फीसदी बढ़ सकता है। यह अध्ययन नॉर्वे में 18-28 वर्ष की आयु के 45,000 से अधिक छात्रों पर किया गया।

स्क्रीन टाइम और नीली रोशनी: नींद पर प्रभाव

अध्ययन से यह भी पता चला कि स्क्रीन टाइम बढ़ने से नींद का समय लगभग आधे घंटे कम हो सकता है। यह अध्ययन प्रतिष्ठित फ्रंटियर्स इन साइकियाट्री जर्नल में प्रकाशित हुआ है। नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रमुख शोधकर्ता गुन्नहिल्ड जॉनसन हेटलैंड ने बताया कि स्क्रीन के प्रकार से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि कोई व्यक्ति कितनी देर तक स्क्रीन की नीली रोशनी के संपर्क में रहता है।

स्क्रीन टाइम और नींद पर असर

हेटलैंड ने कहा कि छात्रों में नींद की समस्याएं आम हैं, लेकिन बिस्तर पर जाने के बाद यदि वे एक घंटे तक स्क्रीन देखते हैं, तो उनमें अनिद्रा के लक्षण 59 फीसदी अधिक हो सकते हैं और उनकी नींद की अवधि 24 मिनट तक कम हो सकती है।

स्क्रीन टाइम के दुष्प्रभाव:

  • नींद में खलल पड़ता है

  • नींद का पैटर्न बिगड़ जाता है

  • नींद की गुणवत्ता खराब हो जाती है

  • शरीर की आंतरिक घड़ी यानी सर्कैडियन रिदम प्रभावित होती है, जिससे शरीर की सतर्कता और आराम का संतुलन बिगड़ सकता है।

विशेषज्ञों की सलाह: शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि सोने से कम से कम एक घंटे पहले मोबाइल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग न करें। इससे नींद की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।

बेहतर नींद के लिए उपाय:

  • सोने से एक घंटे पहले मोबाइल से दूरी बनाए रखें

  • ब्लू लाइट फिल्टर ऑन करें

  • रात में किताब पढ़ें या ध्यान करें

अगर आप भी अच्छी और गहरी नींद चाहते हैं तो अपने स्क्रीन टाइम को सीमित करना बेहद जरूरी है। डिजिटल डिवाइसेस का सीमित उपयोग कर आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।

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