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पाकिस्तान की साज़िश से भारत की शौर्यगाथा तक! जानिए 84 दिनों की वीरता की पूरी कहानी...

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26 जुलाई 2025 को कारगिल विजय के 26 साल पूरे हो गए। यह वही दिन है जब भारत ने 1999 में पाकिस्तान की घुसपैठ को नाकाम कर दुनिया को दिखा दिया कि भारतीय सेना दुर्गम पहाड़ों और भीषण ठंड में भी देश की रक्षा के लिए हर चुनौती का सामना कर सकती है। यह युद्ध न सिर्फ सैन्य कौशल का उदाहरण था, बल्कि भारतीय जांबाज़ों की अटूट हिम्मत और बलिदान की अमिट गाथा भी।

चरवाहों से मिली घुसपैठ की खबर

कारगिल युद्ध की शुरुआत 3 मई 1999 को हुई थी, जब स्थानीय चरवाहों ने घुसपैठ की जानकारी भारतीय सेना को दी। इसके बाद भारतीय सेना ने जब एक पेट्रोलिंग पार्टी भेजी, तो दुश्मनों ने उन्हें बर्बरता से शहीद कर दिया। यह साफ़ हो गया था कि पाकिस्तान ने युद्ध की एक सुनियोजित साज़िश रची थी।

84 दिनों की वो अहम तारीखें

🔹 3 मई 1999:
पहली बार भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की सूचना मिली। चरवाहों ने सेना को इसकी जानकारी दी।

🔹 5 मई:
भारतीय सेना की पेट्रोलिंग पार्टी पर हमला, पांच जवानों की शहादत।

🔹 9 मई:
पाकिस्तानी सेना की ओर से कारगिल में भारतीय गोला-बारूद डिपो पर हमला।

🔹 10 मई:
द्रास, काकसर और बटालिक सेक्टरों में घुसपैठियों की मौजूदगी की पुष्टि हुई।

🔹 15 मई के बाद:
भारतीय सेना ने घाटी के विभिन्न हिस्सों से टुकड़ियां भेजनी शुरू की।

🔹 26 मई:
भारतीय वायुसेना ने ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ के तहत हवाई कार्रवाई शुरू की।

🔹 27 मई:
पाकिस्तान ने दो भारतीय विमान गिराए। फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता को बंदी बनाया गया, स्क्वॉड्रन लीडर अजय आहूजा शहीद हुए।

🔹 31 मई:
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देश को संबोधित करते हुए युद्ध जैसे हालात की पुष्टि की।

🔹 4 जुलाई:
भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया, यह मोर्चा युद्ध का टर्निंग पॉइंट बना।

🔹 5 जुलाई:
द्रास सेक्टर पर भारतीय सेना ने दोबारा नियंत्रण पाया।

🔹 7 जुलाई:
बाटलिक सेक्टर में जुबर पहाड़ी पर फिर कब्जा। इसी दिन कैप्टन विक्रम बत्रा ‘ये दिल मांगे मोर’ की वीरगाथा कहकर अमर हो गए।

🔹 11 जुलाई:
बाटलिक सेक्टर की लगभग सभी प्रमुख चोटियों पर फिर से कब्जा।

🔹 12 जुलाई:
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत से शांति वार्ता की पेशकश की।

🔹 14 जुलाई:
भारतीय सेना ने सभी घुसपैठियों को खदेड़ते हुए पूरे क्षेत्र को मुक्त कर दिया।

🔹 26 जुलाई:
भारत ने कारगिल विजय की आधिकारिक घोषणा की।

कारगिल युद्ध की खासियतें

  • यह युद्ध 18,000 फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया, जहां तापमान -30°C तक गिर जाता है।

  • पाकिस्तान की फौज ने घुसपैठियों की मदद की और अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन किया।

  • भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय और वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर के तहत मिलकर मोर्चा संभाला।

  • इस युद्ध में 527 भारतीय सैनिक शहीद हुए, सैकड़ों घायल हुए, लेकिन भारत का सिर कभी नहीं झुका।

आज भी जिंदा है जज़्बा

हर साल 26 जुलाई को ‘कारगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। यह दिन उन वीर सपूतों को याद करने का दिन है जिन्होंने देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। टाइगर हिल से लेकर तोलोलिंग तक, हर चोटी आज भी भारतीय जवानों की बहादुरी की गवाही देती है। कारगिल युद्ध केवल एक सैन्य विजय नहीं, बल्कि राष्ट्र की एकजुटता, नेतृत्व की परिपक्वता और सैनिकों की अतुलनीय बहादुरी की कहानी है। आज जब हम इस ऐतिहासिक युद्ध की 26वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, तो हर भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है।

जय हिंद।

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