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भारत बनेगा अब ग्लोबल सिक्योरिटी का अहम हिस्सा!

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भारत अब सिर्फ अपनी सीमाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा की दिशा में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है। हाल ही में नई दिल्ली में एक अहम खुफिया बैठक आयोजित की गई, जिसमें दुनिया की प्रमुख खुफिया एजेंसियों के प्रमुख शामिल हुए। खास बात यह रही कि भारत फाइव आईज गठबंधन का हिस्सा न होते हुए भी इस बैठक का 'मुख्य मेज़बान' बना।

क्या है फाइव आईज?

फाइव आईज (Five Eyes) एक अंतरराष्ट्रीय खुफिया साझेदारी गठबंधन है, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। यह गठबंधन वैश्विक सुरक्षा, आतंकवाद, साइबर अपराध और अन्य खतरों से निपटने के लिए आपसी खुफिया जानकारी साझा करता है। इसकी स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद UKUSA Agreement के तहत हुई थी, जिसमें शुरुआत में अमेरिका और ब्रिटेन शामिल थे, बाद में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा भी इससे जुड़ गए।

भारत की बढ़ती भूमिका

भारत की इस मेजबानी से यह साफ संकेत मिलता है कि वह अब न केवल अपनी सुरक्षा बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी एक अहम भूमिका निभा रहा है। भारत लगातार अपनी खुफिया क्षमताओं को मजबूत कर रहा है और वैश्विक खुफिया संगठनों के साथ सहयोग बढ़ा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की यह पहल अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी बढ़ती ताकत और रणनीतिक महत्व को दर्शाती है। आने वाले समय में भारत और फाइव आईज देशों के बीच खुफिया सहयोग और मजबूत हो सकता है।

क्या होगा इसका असर?

  • भारत को वैश्विक खुफिया संगठनों के साथ काम करने का अधिक अवसर मिलेगा।

  • साइबर सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी अभियानों में भारत की भागीदारी बढ़ेगी।

  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की रणनीतिक स्थिति और मजबूत होगी।

भारत की यह मेजबानी दर्शाती है कि देश अब सिर्फ एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं बल्कि वैश्विक सुरक्षा का एक अहम हिस्सा बन चुका है। इससे भारत को न केवल अपनी सुरक्षा को मजबूत करने में मदद मिलेगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर उसकी साख भी और बढ़ेगी।

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