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क्या हुआ, क्यों हुआ, अब आगे क्या होगा? महज 7 दिन में सीरिया में ये क्या हो गया!

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8 दिसंबर, रविवार को सीरिया की राजधानी दमिश्क पर गहराए संकट ने एक नया मोड़ ले लिया। 11 दिनों तक चलने वाली भीषण झड़पों के बाद विद्रोही गुटों ने दमिश्क पर कब्जा कर लिया। दोपहर तक खबरें आईं कि राष्ट्रपति बशर अल-असद अपने परिवार के साथ देश छोड़ चुके हैं। सूत्रों के अनुसार, असद रूस की राजधानी मॉस्को में शरण लिए हुए हैं। हफ्तेभर पहले तक देश का बड़ा हिस्सा असद सरकार के नियंत्रण में था, लेकिन परिस्थितियां इतनी तेजी से कैसे बदल गईं? इस गृहयुद्ध की जड़ें कितनी गहरी हैं और इसके बाद सीरिया के भविष्य की दिशा क्या होगी? आइए इन सभी पहलुओं को गहराई से समझते हैं।

सीरियाई गृहयुद्ध की शुरुआत कैसे हुई?

2011 में "अरब स्प्रिंग" आंदोलन के दौरान, असद सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति असद अल्पसंख्यक अलावी समुदाय का पक्ष लेते हैं। अलावी समुदाय से जुड़े लोगों का सरकार और प्रशासन में दबदबा था, जबकि बहुसंख्यक सुन्नी समुदाय इससे असंतुष्ट था। सरकार ने विरोध को कुचलने के लिए कड़े कदम उठाए, जिससे हालात गृहयुद्ध में बदल गए। सीरियाई सरकार के साथ कई चरमपंथी गुट, अमेरिका, ईरान, और रूस जैसे बड़े देश भी शामिल हो गए। इस संघर्ष में 5 लाख से अधिक लोग मारे गए और लाखों बेघर हुए।

पिछले 11 दिनों में क्या हुआ?

27 नवंबर को इस्लामी विद्रोही गुटों और सीरियाई सेना के बीच झड़पें तेज हुईं। विद्रोहियों ने दमिश्क समेत अलेप्पो, होम्स, हमा और दारा जैसे बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया। 8 दिसंबर को राष्ट्रपति असद के देश छोड़ने की खबर आई, और 54 साल पुराना असद परिवार का शासन समाप्त हो गया। सीरिया के प्रधानमंत्री मोहम्मद गाजी अल-जलाली ने विद्रोहियों को सत्ता सौंपने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने वीडियो बयान में कहा कि वे देश में रहकर नई सरकार के साथ काम करेंगे।

मौजूदा हालात के प्रमुख किरदार कौन हैं?

  • बशर अल-असद: राष्ट्रपति और अलावी समुदाय के प्रतिनिधि।
  • हयात तहरीर अल-शाम (HTS): प्रमुख विद्रोही गुट।
  • सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस (SDF): विद्रोही गठबंधन।

विदेशी ताकतें जैसे रूस, अमेरिका, तुर्किये, ईरान, और इजराइल भी इस संघर्ष में किसी न किसी रूप में शामिल हैं।

असद को देश छोड़ने पर क्यों मजबूर होना पड़ा?

बीते वर्षों में असद की लोकप्रियता घटती गई। उनकी सेना और पुलिस के जवान विद्रोहियों के सामने हथियार छोड़ भागने लगे। रूस और ईरान, जो असद के समर्थक थे, इस बार कमजोर दिखे। रूस यूक्रेन युद्ध में उलझा है, जबकि ईरान और हिजबुल्लाह को इजराइली हमलों ने कमजोर कर दिया। सीरिया की गिरती अर्थव्यवस्था और महंगाई ने सरकार को और कमजोर कर दिया। आखिरकार असद को देश छोड़कर भागना पड़ा।

असद को किस देश ने शरण दी?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, असद परिवार रूस की राजधानी मॉस्को पहुंच गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान, रूस, या यूएई जैसे देश ही उन्हें शरण दे सकते हैं।

सीरियाई जनता का रुख क्या है?

सीरिया में हालात खराब होने के बावजूद असद सरकार के पतन पर लोग जश्न मना रहे हैं। लोग टैंकों पर झंडे लहरा रहे हैं, मस्जिदों में नमाज पढ़ रहे हैं और नारे लगा रहे हैं। कुछ स्थानों पर असद परिवार की मूर्तियां गिरा दी गई हैं।

क्या भारत पर इसका असर होगा?

विशेषज्ञ मानते हैं कि सीरिया के मौजूदा हालातों का भारत पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा। सीरिया के साथ भारत का व्यापार और निवेश सीमित है। हालांकि, आतंकवाद और वैश्विक सुरक्षा के लिहाज से ये घटनाक्रम चिंताजनक है।

अब आगे क्या होगा?

HTS ने एक ट्रांजिशनल अथॉरिटी की घोषणा की है। प्रधानमंत्री जलाली ने चुनाव कराने और जनता द्वारा चुने गए नेता का समर्थन करने की बात कही है। विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक सत्ता में रहने वाले असद परिवार ने विपक्ष को विकसित होने का मौका नहीं दिया। ऐसे में सीरियाई राजनीति अनिश्चित बनी हुई है।

समस्या की जड़ क्या है?

सीरिया में सत्ता संघर्ष धार्मिक और राजनीतिक विभाजन की वजह से गहराया। अल्पसंख्यक अलावी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले असद परिवार ने 50 से अधिक वर्षों तक शासन किया। जबकि देश की 70-80% आबादी सुन्नी है। यह बहुसंख्यक आबादी लंबे समय तक अल्पसंख्यक समुदाय के शासन को स्वीकार नहीं कर पाई।

क्या विद्रोही गुट बना पाएगा सरकार?

सीरिया में मौजूदा घटनाक्रम इतिहास के एक नए अध्याय की शुरुआत है। हालांकि, आने वाले समय में यह देखना होगा कि क्या विद्रोही गुट स्थिर सरकार बना पाते हैं या सीरिया एक और उथल-पुथल का शिकार होता है।

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