केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को संसद में नया आयकर विधेयक पेश किया। जैसे ही यह विधेयक सदन में आया, विपक्ष ने इसका जबरदस्त विरोध किया। यह विधेयक 1961 के आयकर अधिनियम की जटिलताओं को कम करने और इसे साधारण, व्यावहारिक एवं पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। हालांकि, विपक्ष का मानना है कि नया विधेयक पुराने से अधिक जटिल है।
विधेयक पर संसद में जोरदार बहस
विधेयक पेश होते ही कुछ विपक्षी सांसदों ने वॉकआउट किया और सरकार से इस पर सवाल पूछे। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने नए विधेयक की आलोचना करते हुए इसे पुराने कानून से भी ज्यादा पेचीदा बताया।
पांच प्रमुख सिद्धांतों पर आधारित नया विधेयक
वित्त मंत्री सीतारमण ने संसद में विधेयक पेश करते हुए बताया कि मौजूदा आयकर कानून में 800 से अधिक धाराएं हैं, जबकि नए प्रस्तावित कानून में केवल 536 धाराएं रखी गई हैं। इसके अलावा, वित्त मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर बताया कि यह विधेयक पांच मुख्य सिद्धांतों पर आधारित है:
- सुव्यवस्थित संरचना और सरल भाषा (Streamlined Structure and Language)
- एकीकृत और संक्षिप्त (Integrated and Concise)
- मुकदमेबाजी में कमी (Minimised Litigation)
- व्यावहारिक और पारदर्शी (Practical and Transparent)
- लचीला और अनुकूलनीय (Learn and Adapt)
आम नागरिकों के लिए होगा अधिक सुविधाजनक
सरकार का दावा है कि नए विधेयक से अनावश्यक और पुराने प्रावधान हटाए गए हैं, जिससे यह कानून ज्यादा प्रासंगिक और स्पष्ट बन गया है। इसमें मुकदमेबाजी को कम करने और कर मामलों का जल्द निपटारा करने पर विशेष ध्यान दिया गया है, ताकि करदाताओं को अनावश्यक परेशानी से बचाया जा सके।
संसदीय समिति करेगी विधेयक की समीक्षा
लोकसभा में बहस के बाद यह विधेयक संसदीय समिति को भेज दिया गया, जो इसकी विस्तृत जांच करेगी और जरूरत पड़ने पर आवश्यक संशोधन करेगी। समिति की रिपोर्ट 10 मार्च तक प्रस्तुत किए जाने की उम्मीद है। यह समिति लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के नेतृत्व में गठित होगी।
वित्त मंत्रालय का स्पष्टीकरण
नया विधेयक पेश होने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कार्यालय ने ट्वीट कर कहा:
"यह विधेयक मौजूदा आयकर कानून की भाषा को अधिक सरल बनाने के उद्देश्य से लाया गया है। इसकी विस्तृत जानकारी हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध है। साथ ही, अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (FAQs) के माध्यम से लोगों की शंकाओं का समाधान किया जाएगा।"
क्या है नया आयकर विधेयक?
अगर यह विधेयक संसद में पारित हो जाता है, तो यह 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा। हालांकि, मौजूदा कर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। नए विधेयक में एक महत्वपूर्ण बदलाव यह किया गया है कि अब ‘असेसमेंट ईयर’ की जगह ‘टैक्स ईयर’ (Tax Year) शब्द का उपयोग किया जाएगा।
- टैक्स ईयर भी वित्त वर्ष की तरह 1 अप्रैल से 31 मार्च तक रहेगा।
- यदि कोई व्यवसाय बीच में शुरू होता है, तो उसका टैक्स ईयर उसी वित्त वर्ष में समाप्त होगा।
- TDS और प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन को टेबल फॉर्मेट में प्रस्तुत किया गया है, ताकि करदाताओं को अपनी देनदारी समझने में आसानी हो।
1961 के आयकर अधिनियम को बदलने की तैयारी
नया विधेयक 1961 के आयकर अधिनियम को पूरी तरह बदलने का प्रयास करता है। पुराने कानून की लगातार आलोचना होती रही है, क्योंकि इसमें पिछले 60 वर्षों में कई संशोधन किए गए, जिससे यह काफी जटिल हो गया था। वित्त मंत्री ने लोकसभा में कहा...
"आयकर अधिनियम 1961 में लागू हुआ था, जिसे अब एक अधिक सरल, स्पष्ट और आधुनिक कानून से बदला जाएगा।"
बजट में हुआ था इस विधेयक का ऐलान
1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए आयकर विधेयक की घोषणा की थी। इसके अलावा, उन्होंने टैक्स स्लैब में बदलाव और करदाताओं को बड़ी राहत देने के प्रावधानों की घोषणा भी की थी।
करदाताओं के लिए बड़ी राहत
वित्त मंत्री ने मध्यम वर्ग के करदाताओं को राहत देते हुए घोषणा की थी कि 12 लाख रुपये सालाना वेतन पाने वाले व्यक्तियों को अब कोई टैक्स नहीं देना होगा। साथ ही, 20 लाख रुपये से कम वेतन वाले लोगों के लिए 25% कर ब्रैकेट को 24 लाख रुपये की श्रेणी में जोड़ा गया।
क्या बदलेगा नए विधेयक से?
- पुराने और गैर-जरूरी प्रावधानों को हटाकर इसे ज्यादा स्पष्ट और प्रासंगिक बनाया गया।
- मुकदमेबाजी कम करने और कर मामलों के जल्दी निपटारे पर जोर दिया गया।
- करदाताओं के लिए कानून को अधिक सरल और समझने योग्य बनाया गया।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि संसदीय समिति की रिपोर्ट में क्या सुझाव दिए जाते हैं और अंततः यह विधेयक किस रूप में पारित होता है।