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एक ऐसा त्योहार, जो कृष्ण की विजय का प्रतीक है, जानिए गोवर्धन पूजा की विधि और महत्व

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गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है, सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह दिन भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा के लिए समर्पित है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, यह पावन पर्व 2 नवंबर 2024 को बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है।

भोग का विशेष महत्व-

इस दिन भक्त भगवान कृष्ण को विशेष भोग अर्पित करते हैं। इस भोग में 56 प्रकार के अन्न शामिल होते हैं, जिसमें विभिन्न सब्जियों और कढ़ी-चावल का विशेष मिश्रण होता है। यदि इन सभी चीजों को अर्पित करने में असमर्थ हैं, तो माखन-मिश्री का भोग भी अर्पित किया जा सकता है।

प्रिय फूलों की सूची-

भगवान कृष्ण को समर्पित कुछ प्रिय फूलों में शामिल हैं:

  • कमल
  • कुमुदिनी
  • वैजयंती
  • मालती
  • पलाश
  • वनमाला
  • कृष्णकमल

शुभ मुहूर्त की जानकारी-

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 2 नवंबर 2024 को सुबह 6:34 से 8:46 बजे तक रहेगा। इस दिन त्रिपुष्कर योग रात्रि 8:21 से सुबह 5:58 बजे तक रहेगा, और गोधूलि मुहूर्त शाम 5:35 से 6:01 बजे तक रहेगा।

पूजा की विधि-

  1. स्नान और संकल्प: भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा प्रारंभ करने से पहले व्रत का संकल्प लें।
  2. सफाई का महत्व: अपने घर और पूजा स्थल की सफाई अवश्य करें।
  3. प्रतिमा का निर्माण: गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की सुंदर प्रतिमा बनाएं।
  4. दीप जलाना: देसी घी का दीपक जलाएं, रोली से तिलक करें और मौली, खील-बताशे, मिठाई, फल आदि अर्पित करें।
  5. अन्नकूट की तैयारी: इस दिन अन्नकूट का भोग बनाना महत्वपूर्ण है, जिसमें विभिन्न प्रकार की सब्जियां और कढ़ी-चावल का मिश्रण होता है।
  6. गौ माता की पूजा: गौ माता को स्नान कराएं और उन्हें कुमकुम, फूल, धूप, दीप, और हरा चारा अर्पित करें।
  7. दान और पुण्य: इस दिन दान करना और पुण्य अर्जित करना अति आवश्यक है।
  8. भजन और कीर्तन: शाम के समय पुनः पूजा करें और भजन-कीर्तन का आयोजन करें।

धार्मिक महत्व

गोवर्धन पूजा, इंद्र देव पर भगवान कृष्ण की विजय का प्रतीक है। यह अवसर भगवान कृष्ण की आराधना का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन तामसिक वस्तुओं से परहेज करें और भक्ति भाव से पूजा अर्चना करें।

स्तोत्र: श्रीकृष्ण शतनामावली

 
श्रीकृष्ण: कमलानाथो वासुदेवः सनातनः ! वसुदेवात्मजः पुण्यो लीलामानुषविग्रहः ॥ ...

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 1 नवंबर को शाम 6:16 मिनट से हो चुकी है और इसका समापन 2 नवंबर को रात 8:21 मिनट पर होगा। इस दिव्य पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा करें और अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करें।

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