बड़ी खबरें
आज यानी 21 अगस्त 2024 को देशभर में भारत बंद का ऐलान किया गया है। यह बंद सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले के विरोध में बुलाया गया है, जिसे इंदिरा साहनी मामले में दिए गए ऐतिहासिक निर्णय के खिलाफ बताया जा रहा है। इस बंद के दौरान पूरे भारत में सभी दुकानें, बाजार, सार्वजनिक सेवाएं, और अन्य सुविधाएं बंद रखने का आह्वान किया गया है। इस विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रति असंतोष जताना है।
विपक्षी दलों का समर्थन
इस भारत बंद को कई राजनीतिक पार्टियों और सामाजिक संगठनों का समर्थन प्राप्त है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा), राष्ट्रीय लोक दल (रालोद), आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) समेत अन्य दलों ने इस बंद का समर्थन किया है। विभिन्न राज्यों में कई स्थानों पर इस बंद के दौरान धरना-प्रदर्शन हुए हैं, जहां पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव भी देखने को मिला।
भारत बंद की मुख्य वजह क्या है?
भारत बंद के पीछे सुप्रीम कोर्ट का 1 अगस्त 2024 को आया एक फैसला है, जिसमें न्यायालय की सात सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था कि राज्य सरकारों को अनुसूचित जातियों (एससी) के उप-वर्गीकरण का अधिकार है। इस फैसले के अनुसार, राज्य सरकारें एससी श्रेणियों के भीतर अधिक पिछड़े समूहों की पहचान कर सकती हैं और उन्हें कोटे के भीतर अलग कोटा प्रदान कर सकती हैं। यह फैसला भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने सुनाया था, जिसमें 2004 के ईवी चिन्नैया मामले में दिए गए निर्णय को पलट दिया गया। 2004 के फैसले में कहा गया था कि एससी/एसटी में उप-वर्गीकरण नहीं किया जा सकता। वर्तमान फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी में क्रीमी लेयर की आवश्यकता पर जोर दिया, जो पहले केवल अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण पर लागू होती थी।
भारत बंद का कारण और मांगें
विपक्षी पार्टियों और कई सामाजिक संगठनों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अनुसूचित जातियों और जनजातियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा। इसे लेकर "आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति" ने भारत बंद का आह्वान किया है। दलित और आदिवासी संगठनों का कहना है कि एससी में उप-वर्गीकरण का निर्णय आरक्षण ढांचे और संवैधानिक सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। उन्होंने इस फैसले को खारिज करने की मांग की है।
सरकार का रुख
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एससी/एसटी समुदायों के भाजपा सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और इस फैसले पर चिंता व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि इस मुद्दे का समाधान किया जाएगा। सरकार ने भी स्पष्ट किया है कि एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार डॉ. बीआर आंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान के अनुरूप कार्य कर रही है, और एससी-एसटी आरक्षण में किसी भी तरह का क्रीमी लेयर लागू नहीं किया जाएगा। इस पूरे मामले को देखते हुए भारत बंद का आह्वान किया गया है, जिससे देशभर में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।
बिहार में बंद के हालात
बिहार में एससी-एसटी के आरक्षण में क्रिमीलेयर लागू करने के विरोध में प्रदेशव्यापी प्रदर्शन हो रहे हैं। इस मुद्दे पर लोगों का गुस्सा सड़कों पर देखने को मिल रहा है। पटना, जहानाबाद, छपरा, सिवान और शेखपुरा सहित कई जिलों से प्रदर्शन की खबरें आयीं। कई स्थानों पर यातायात व्यवस्था भी प्रभावित हुई है, जिससे आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
पटना में एसडीओ पर चली लाठी
पटना में बंद के दौरान एक अजीब घटना सामने आई, जब एक सिपाही ने सदर एसडीओ श्रीकांत कुंडलिक खांडेकर पर ही लाठी चला दी। घटना उस समय की है जब डाकबंगला चौराहा पर पुलिस लाठीचार्ज कर रही थी। एसडीओ एक डीजे से जुड़े जनरेटर को बंद करवाने में लगे थे, तभी अचानक पीछे से आए सिपाही ने उनकी पीठ पर लाठी मार दी। इस अप्रत्याशित घटना के बाद एसडीओ अवाक रह गए।
पटना में प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज
आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के खिलाफ पूरे बिहार में एक दिवसीय भारत बंद का आयोजन किया गया था। पटना में बंद के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने सख्ती दिखाई, जिससे कई लोग घायल हो गए। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को यह कदम उठाना पड़ा। प्रदर्शन के दौरान हुई इन घटनाओं ने राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प ने स्थिति को और भी तनावपूर्ण बना दिया है।
Baten UP Ki Desk
Published : 21 August, 2024, 4:12 pm
Author Info : Baten UP Ki