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दिल्ली की राजनीति में शनिवार का दिन एक ऐतिहासिक मोड़ लेकर आया, जब आतिशी ने दिल्ली की 9वीं मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। यह शपथ उन्हें उपराज्यपाल विनय सक्सेना द्वारा राजनिवास में दिलाई गई। इस मौके पर आतिशी ने अरविंद केजरीवाल के पैर छूकर अपनी श्रद्धा और सम्मान व्यक्त किया। 43 वर्ष की उम्र में, आतिशी ने दिल्ली की सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया। इससे पहले अरविंद केजरीवाल ने 45 साल की उम्र में यह पद संभाला था।
दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री
आतिशी से पहले, दिल्ली में दो अन्य महिला मुख्यमंत्रियों ने भी इस पद का सम्मान किया है – सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित। आतिशी को इस सूची में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, जिससे वह दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बन गई हैं। कालकाजी सीट से लगातार तीन बार जीतने वाली आतिशी का नाम 17 सितंबर को अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आप विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री पद के लिए फाइनल किया गया।
5 मंत्रियों का चयन, एक नया चेहरा शामिल
आतिशी के शपथ लेने के बाद, सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन और मुकेश अहलावत ने भी मंत्री पद की शपथ ली। इनमें मुकेश अहलावत को एकमात्र नया चेहरा माना जा रहा है, जो कैबिनेट का हिस्सा बने। इन नेताओं के साथ आतिशी की कैबिनेट ने दिल्ली के भविष्य के लिए अपना रोडमैप तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
आतिशी का राजनीतिक सफर-
आतिशी ने 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) के घोषणापत्र को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बाद वह पार्टी में अहम पदों पर कार्य करती रहीं और केजरीवाल-सिसोदिया के जेल जाने के बाद भी पार्टी का मजबूती से पक्ष रखने में उनकी प्रमुख भूमिका रही। शिक्षा के क्षेत्र में किए गए उनके योगदान को हमेशा सराहा जाता रहा है, जिसके कारण वह अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की करीबी और विश्वसनीय नेता बन गईं।
मुख्यमंत्री पद पर आतिशी की चुनौतियां-
आतिशी के सामने अब दिल्ली को संभालने की बड़ी जिम्मेदारी है। उनकी सरकार के पास अब केवल 5 महीने का समय है, क्योंकि दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को समाप्त हो रहा है। इस अवधि में आतिशी को कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जिनमें दिल्ली की कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य, शिक्षा और परिवहन जैसी महत्वपूर्ण समस्याएं शामिल हैं। हालांकि, उनके पास प्रशासनिक अनुभव और जनता का समर्थन है, जिससे वे इस अल्पावधि में भी महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती हैं।
कैबिनेट के 6 प्रमुख चेहरे और उनकी भूमिका
आतिशी को केजरीवाल और सिसोदिया का मजबूत समर्थन प्राप्त है। पार्टी के संघर्ष के समय वह प्रमुख प्रवक्ता रहीं और केजरीवाल द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने की भी सिफारिश की गई थी। उनकी प्रशासनिक क्षमताओं के कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सौरभ भारद्वाज 2013 से लगातार विधायक और मंत्री पद पर हैं। सौरभ ने केजरीवाल और सिसोदिया के जेल में रहते हुए पार्टी का पक्ष मजबूती से रखा और भाजपा पर हमलावर रहे। उनके अनुभव और पार्टी में मजबूत पकड़ के कारण उन्हें कैबिनेट में महत्वपूर्ण भूमिका दी गई है।
गोपाल राय को वर्किंग क्लास के बीच उनकी मजबूत पकड़ और अनुभव के कारण कैबिनेट में जगह दी गई है। वे दिल्ली सरकार में लंबे समय से मंत्री पद पर कार्यरत हैं और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं।
कैलाश गहलोत का जाट समुदाय से आना और LG विवेक सक्सेना के साथ उनके अच्छे संबंध उन्हें इस कैबिनेट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाते हैं। हरियाणा के आगामी चुनावों में जाट समुदाय की नाराजगी को दूर करने के लिए उनकी भूमिका अहम होगी।
इमरान हुसैन को दिल्ली की 11.7% मुस्लिम आबादी का प्रतिनिधित्व करने के लिए कैबिनेट में बनाए रखा गया है। उनकी भूमिका अल्पसंख्यक वोट बैंक को AAP के पक्ष में बनाए रखने में महत्वपूर्ण होगी।
मुकेश अहलावत को राजकुमार आनंद की जगह कैबिनेट में शामिल किया गया है। वे दलित समुदाय से आते हैं, जो दिल्ली की आबादी का 12% हिस्सा है। पहली बार विधायक बने अहलावत को पार्टी दलित वोट बैंक को मजबूत करने के लिए लेकर आई है।
15 सितंबर को केजरीवाल का इस्तीफा -
दिल्ली की शराब नीति मामले में जमानत मिलने के बाद, अरविंद केजरीवाल ने 15 सितंबर को अपने इस्तीफे की घोषणा की थी। इसके दो दिन बाद, 17 सितंबर को AAP विधायक दल की बैठक में आतिशी का नाम दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के रूप में तय किया गया। उसी दिन, अरविंद केजरीवाल ने अपना इस्तीफा उपराज्यपाल को सौंपा और आतिशी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया।
AAP की यात्रा: राष्ट्रीय पार्टी का सफर
2012 में अन्ना आंदोलन से प्रेरित होकर अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी (AAP) का गठन किया। 10 अप्रैल 2023 को चुनाव आयोग द्वारा AAP को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया गया। दिल्ली और पंजाब में पार्टी की सरकारें हैं, जबकि हरियाणा और गुजरात में पार्टी का संगठन मजबूत हो रहा है। लोकसभा में AAP के 3 और राज्यसभा में 10 सांसद हैं। पार्टी की इस राष्ट्रीय पहचान से दिल्ली की राजनीति पर AAP का प्रभाव और बढ़ा है।
दिल्ली विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को समाप्त हो रहा है। चुनाव आयोग द्वारा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 15(2) के तहत विधानसभा के चुनाव प्रक्रिया को समय रहते पूरा करना अनिवार्य है। इस लिहाज से आतिशी का कार्यकाल 5 महीने से भी कम हो सकता है। हालाँकि, अरविंद केजरीवाल ने चुनाव जल्दी कराने की मांग की है, जिससे यह संभावना बनती है कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव समय से पहले हो सकते हैं।
क्या आतिशी के नेतृत्व में AAP फिर से इतिहास रचेगी?
आतिशी की नेतृत्व क्षमता और जनता के बीच उनकी छवि को देखते हुए यह कहना मुश्किल नहीं कि उनके पास दिल्ली को एक नई दिशा देने की काबिलियत है। हालांकि, उनका कार्यकाल अल्पावधि का होगा, लेकिन उनकी नीतियों और नेतृत्व के माध्यम से AAP दिल्ली में एक बार फिर से अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है।
Baten UP Ki Desk
Published : 21 September, 2024, 5:39 pm
Author Info : Baten UP Ki