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इतना क्यों गिरा शेयर बाजार? ट्रंप के टैरिफ से मचा तूफ़ान, भारत समेत एशिया में हड़कंप

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भारत के शेयर बाजार में सोमवार को जो भूचाल आया, वह सिर्फ एक आर्थिक गिरावट नहीं, बल्कि वैश्विक चिंता का संकेत था। अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने के फैसले ने दुनियाभर के निवेशकों को सकते में डाल दिया।

सेंसेक्स-निफ्टी का फ्री फॉल: निवेशकों के 20 लाख करोड़ रुपये डूबे

सोमवार सुबह जैसे ही बाजार खुला, सेंसेक्स लगभग 3900 अंकों की गिरावट के साथ धड़ाम से नीचे आया। यह गिरावट 5.22% तक पहुंच गई।
➡️ दिन के अंत में यह गिरावट कुछ हद तक संभली और सेंसेक्स 2226 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ।
➡️ निफ्टी भी बुरी तरह टूटा, 1100 अंकों की गिरावट के बाद 742 अंकों नीचे बंद हुआ।

यह भारत के शेयर बाजार के इतिहास की पांच सबसे बड़ी गिरावटों में से एक थी।

एशिया में मचा कोहराम: ‘ब्लडबाथ मंडे’ की भयावह तस्वीर

ट्रंप के टैरिफ के बाद सबसे पहले असर दिखा एशिया के बाजारों में।
➡️ चीन, जापान, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया – सभी बाजारों में बिकवाली की सुनामी आ गई।
➡️ निवेशकों ने इसे "ब्लडबाथ मंडे" की संज्ञा दी।

विशेषज्ञ पहले ही चेतावनी दे चुके थे कि सोमवार एक "ब्लैक मंडे" साबित हो सकता है – और वैसा ही हुआ।

🇺🇸 ट्रंप का टैरिफ और एशिया की अर्थव्यवस्था पर सीधा वार

ट्रंप ने जिन उत्पादों पर आयात शुल्क लगाया है, उनमें से कई एशिया से आते हैं।
➡️ भारत, चीन, वियतनाम, बांग्लादेश जैसे देश अमेरिका को भारी मात्रा में निर्यात करते हैं।
➡️ अब इन उत्पादों पर टैरिफ जुड़ने से अमेरिकी ग्राहक इन्हें महंगे दाम पर खरीदेंगे, जिससे मांग में गिरावट आएगी। एशियाई निर्यातकों की चिंता: “उत्पाद बनाकर बेचें कहां?”

ट्रंप का अजीब बयान: "बाजारों को दवा की जरूरत"

जहां एक तरफ वैश्विक बाजार बुरी तरह डगमगा गए, वहीं ट्रंप ने विवादास्पद बयान दिया –
“Markets need a bit of medicine.”
यह बयान निवेशकों के लिए और भी चिंता का कारण बना।

अमेरिका में भी मंदी का खतरा मंडराने लगा

आर्थिक विशेषज्ञों ने अमेरिका में भी मंदी की आहट सुनी है।
➡️ जेपी मॉर्गन: मंदी की आशंका 60% तक पहुंची
➡️ गोल्डमैन सैक्स: अगले 12 महीनों में मंदी की संभावना 45%

भारत का स्टैंड: क्या जवाबी टैरिफ लगाएगा भारत?

भारत आमतौर पर तनाव कम करने के लिए कूटनीतिक रास्ता अपनाता है।
➡️ रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी भारत ने संतुलित रवैया अपनाया था, और इसका आर्थिक फायदा मिला।
➡️ इस बार भी भारत अमेरिका से सीधी टक्कर की बजाय बातचीत का रुख अपनाने की तैयारी में है। भारत चाहता है कि हमारे उद्योग प्रभावित न हों – लेकिन ट्रेड वॉर में कूदने से बचना भी जरूरी है।

आगे क्या? आम लोगों को क्या असर हो सकता है?

  • रोजमर्रा की चीज़ों पर महंगाई का असर पड़ सकता है, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल और ऑटो सेक्टर से जुड़ी चीज़ों पर।

  • नौकरी बाजार में थोड़ी सुस्ती आ सकती है, खासकर एक्सपोर्ट-ड्रिवन सेक्टर्स में।

  • निवेशकों को धैर्य रखने की जरूरत है, क्योंकि ऐसी गिरावटों के बाद अक्सर बाजार में रिकवरी देखी जाती है।

बाजार का यह तूफान लंबा चलेगा या जल्द थमेगा?

फिलहाल, बाजार का मूड नाजुक है और ग्लोबल अनिश्चितता इसे और बढ़ा सकती है। अगर अमेरिका-एशिया के बीच व्यापार संबंध जल्दी सामान्य नहीं हुए, तो इसका असर अर्थव्यवस्था पर लंबे समय तक रह सकता है। निवेशकों को सतर्कता और धैर्य दोनों रखने की जरूरत है — और सरकारों को कूटनीति की।

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