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(Special Story) गाजियाबाद से कानपुर की दूरी को और कम करने के लिए ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे बनाने की तैयारी की जा रही है। इस नए एक्सप्रेसवे के निर्माण से पूर्व इसका डीपीआर तैयार कर लिया गया है। हाल ही में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने डीपीआर की समीक्षा की और परियोजना को जल्द से जल्द शुरू करने के निर्देश दिए हैं। गाजियाबाद से कानपुर तक कुल आठ शहरों को जोड़ने वाले इस एक्सप्रेसवे का नाम ग्रीनफील्ड इकॉनोमिक कॉरिडोर रखा गया है। क्या होते हैं ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड एक्सप्रेस-वे। यूपी की यह परियोजना क्यों है ख़ास?
क्या होता है एक्सप्रेस -वे-
यह हाइवे का नेक्स्ट वर्जन होता है। जैसे किसी स्टेट हाईवे या नेशनल हाईवे पर चौराहे और रेड लाइट भी होते हैं लेकिन एक्सप्रेसवे की खासियत यह होती है कि इस पर एक बार सफ़र शुरू हुआ तो रुकने का नाम नहीं लेता है। यहां चढ़ने-उतरने के लिए लिमिटेड एंट्री-एग्जिट पॉइंट होते हैं। इन सड़कों को सिग्नल-फ्री बनाने के लिए ओवरपास और अंडरपास का इस्तेमाल किया जाता है। एक्सप्रेसवे काफी चौड़े होते हैं, आमतौर पर यह 6 लेन या 8 लेन वाले होते है, इसलिए यहां ट्रैफिक स्पीड काफी तेज होती है।
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस -वे-
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को आम बोलचाल की भाषा में समझे तो ऐसे एक्सप्रेसवे जो हरे-भरे इलाकों से होकर गुजरते हैं। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को ग्रीन कॉरिडोर भी कहा जाता है। यानि ऐसी जगह जहां पर पहले कभी सड़क न रही हो। इसके लिए कोई बिल्डिंग या सड़क वगैरह तोड़ने का झंझट भी नहीं रहता है। यह शहरों से दूर होते हैं तो यहां भूमि का अधिग्रहण आसान और सस्ता होता है। भीड़-भाड़ कम होने की वजह से इनका निर्माण तेजी के साथ किया जा सकता है।
ब्राउनफील्ड एक्सप्रेस-वे-
यह भी आम एक्सप्रेसवे ही होते हैं बस फर्क इतना होता है कि इन्हें नए सिरे से नहीं बनाया जाता है। पहले से मौजूद किसी हाईवे पर ट्रैफिक को आंशिक रूप से प्रतिबंधित कर, हाइवे या सड़क का चौड़ीकरण कर ब्राउन फील्ड एक्सप्रेस वे तैयार किये जाते हैं।
इतने समय में पहुंचेंगे कानपुर से गाजियाबाद-
मौजूदा समय में गाजियाबाद से कानपूर जाने में करीब 10 से 11 घंटे का समय लगता है, लेकिन दोनों शहरों के बीच एक्सप्रेसवे बन जाने के बाद इसकी दूरी केबल 4-5 घंटे में पूरी की जा सकेगी।
क्यों खास है यह परियोजना-
यह परियोजना गाजियाबाद से शुरू होकर कानपुर रिंग रोड तक कनेक्ट होगी। NHAI का यह प्रोजेक्ट 380 किमी लंबा है जिसे शुरुआत में केवल 4 लेन सड़क के तौर पर तैयार किया जाएगा। लेकिन इसके लिए जमीन अधिग्रहण 8 लेन के एक्सप्रेसवे की तर्ज पर होना है। NHAI की इस परियोजना में उत्तर प्रदेश के इन आठ जिलों को जोड़ा जाएगा। जिसमें गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर,अलीगढ़, कासगंज, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर और उन्नाव कनेक्ट होंगे।
यह परियोजना कैसे लाभकारी है..
यूपी में इतने एक्सप्रेस-वे-
देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में बड़ा भागीदार उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है, जहां पर 13 एक्सप्रेसवे हैं। छह एक्सप्रेसवे परिचालन के साथ ही प्रदेश में सात एक्सप्रेसवे के निर्माण का कार्य प्रगति पर है। उत्तर प्रदेश, देश का चौथा सबसे बड़ा राज्य है जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का नौ प्रतिशत कवर करता है। यहां पर देश में एक्सप्रेसवे का सबसे लंबा नेटवर्क है। प्रदेश में जब 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार सत्ता में आई तब राज्य में केवल दो प्रमुख कार्यात्मक एक्सप्रेसवे थे। यमुना एक्सप्रेसवे जो आगरा को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से जोड़ता था और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, जो शहर को राज्य की राजधानी से जोड़ता था। इससे पहले 165 किमी नोएडा-आगरा छह-लेन एक्सेस नियंत्रित एक्सप्रेसवे बहुजन समाज पार्टी की सरकार ने सार्वजनिक निजी भागीदारी यानि (पीपीपी) मोड के तहत बनवाया गया था। इस एक्सप्रेसवे को राज्य की राजधानी से जोडने का काम एक और हाई स्पीड 6-लेन कॉरिडोर के माध्यम से, जिसे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे कहा जाता है, समाजवादी पार्टी सरकार ने शुरू किया गया था।
उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस-वे का नेटवर्क-
1. यमुना एक्सप्रेसवे- 165 किमी।
2. नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे- 25 किमी।
3. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे- 302 किमी।
4. दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे- 96 किमी।
5. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे- 341 किमी।
6. बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे- 296 किमी।
कुल संचालित एक्सप्रेसवे- 1225 किमी।
निर्माणाधीन एक्सप्रेसवे....
1. गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे- 91 किमी।
2. गंगा-एक्सप्रेस वे- 594 किमी।
3. लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे- 63 किमी।
4. गाजियाबाद-कानपुर एक्सप्रेसवे- 380 किमी।
5. गोरखपुर-सिलिगुड़ी एक्सप्रेसवे- 519 किमी।
6. दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे- 210 किमी।
7. गाजीपुर-बलिया-मांझीघाट एक्सप्रेसवे- 117 किमी।
कुल निर्माणाधीन एक्सप्रेसवे- 1974 किमी।
सीनियर प्रोड्यूसर
Published : 4 April, 2024, 3:26 pm
Author Info : राष्ट्रीय पत्रकारिता या मेनस्ट्रीम मीडिया में 15 साल से अधिक वर्षों का अनुभव। साइंस से ग्रेजुएशन के बाद पत्रकारिता की ओर रुख किया। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया...