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एमपीसी की बैठक के बाद बाजार में हुआ उथल-पुथल, उतार-चढ़ाव के बाद लाल निशान पर हुआ बंद!

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भारतीय शेयर बाजार इस सप्ताह के अंतिम कारोबारी दिन में अस्थिरता के साथ बंद हुआ। प्रमुख सूचकांक, बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी, दोनों लाल निशान पर समाप्त हुए। वैश्विक आर्थिक संकेत, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति और घरेलू कारकों ने बाजार को प्रभावित किया। आइए विस्तार से समझते हैं कि बाजार की यह स्थिति क्यों बनी और आगे क्या रुझान हो सकते हैं।

सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट-

बीएसई सेंसेक्स 56.74 अंक (0.06%) की गिरावट के साथ 81,709.12 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 30.61 अंक (0.12%) गिरकर 24,677.80 पर समाप्त हुआ। यह गिरावट बाजार में निवेशकों की सतर्कता और अनिश्चितता को दर्शाती है।

उतार-चढ़ाव भरा दिन-

दिनभर के कारोबार में सेंसेक्स ने 419.72 अंकों का उतार-चढ़ाव देखा। यह 81,506.19 के न्यूनतम स्तर से 81,925.91 के उच्चतम स्तर तक पहुंचा। निफ्टी में भी इसी प्रकार का अस्थिरता भरा रुझान रहा, जिससे निवेशकों में चिंता का माहौल बना।

आरबीआई की नीति का असर

ब्याज दरों में स्थिरता-

आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट को 6.5% पर बरकरार रखा। यह लगातार 11वीं बार है जब ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया।

सीआरआर कटौती का प्रभाव

केंद्रीय बैंक ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 50 आधार अंकों की कटौती की, जिससे बैंकिंग प्रणाली में ₹1.16 लाख करोड़ की अतिरिक्त धनराशि जुड़ गई। हालांकि, आरबीआई द्वारा वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान घटाना निवेशकों के लिए नकारात्मक संकेत था।

बाजार के शीर्ष लाभकर्ता और हानि उठाने वाले सेक्टर

टॉप गेनर्स

  • टाटा मोटर्स

  • मारुति सुजुकी

  • आईटीसी

  • टाटा स्टील
    इन शेयरों में बढ़त दर्ज की गई, जो दर्शाता है कि कुछ क्षेत्रों में निवेशकों का भरोसा कायम है।

टॉप लूज़र्स

  • अदाणी पोर्ट्स

  • भारती एयरटेल

  • एशियन पेंट्स

  • रिलायंस इंडस्ट्रीज
    इन शेयरों में गिरावट देखने को मिली, जो दबाव वाले सेक्टर्स की ओर इशारा करता है।

एशियाई और यूरोपीय बाजार

एशियाई बाजारों में सियोल और टोक्यो में गिरावट दर्ज हुई, जबकि शंघाई और हांगकांग में बढ़त रही। यूरोपीय बाजारों में मिलाजुला रुख देखने को मिला। अमेरिकी बाजार भी गुरुवार को गिरावट के साथ बंद हुए।

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट

कच्चे तेल की कीमतों में हल्की गिरावट दर्ज की गई, जिससे मुद्रास्फीति पर दबाव कम हो सकता है। हालांकि, यह अभी भी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक चुनौतीपूर्ण पहलू बना हुआ है।

विदेशी निवेशकों की वापसी

विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने गुरुवार को ₹8,539.91 करोड़ मूल्य की इक्विटी खरीदी, जो बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत है। हालांकि, घरेलू निवेशकों में सतर्कता बनी रही।

सतर्कता और अवसरों की तलाश-

अस्थिरता के बावजूद, निवेशक संभावित अवसरों की तलाश कर रहे हैं। बाजार में लचीलापन बनाए रखना और वैश्विक आर्थिक संकेतों पर नजर रखना इस समय आवश्यक है।

क्या करें निवेशक?

  • सावधानीपूर्वक निर्णय लें: वैश्विक और घरेलू कारकों को ध्यान में रखते हुए निवेश करें।

  • लिक्विडिटी का फायदा उठाएं: आरबीआई द्वारा डाली गई अतिरिक्त धनराशि का प्रभाव देखते हुए अपने निवेश पोर्टफोलियो को पुनर्संयोजित करें।

  • लंबी अवधि पर ध्यान दें: छोटे उतार-चढ़ाव से विचलित न हों और दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाएं।

बाजार की संभावनाएं

आने वाले दिनों में बाजार में और उतार-चढ़ाव की संभावना है। हालांकि, आरबीआई के कदम और वैश्विक आर्थिक स्थिरता से सकारात्मक रुझान उभर सकते हैं।

भारतीय शेयर बाजार का अस्थिरता का दौर-

भारतीय शेयर बाजार फिलहाल अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है, लेकिन आर्थिक सुधार और आरबीआई की नीतियों से अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं। निवेशकों को सतर्कता और लचीलापन बनाए रखना होगा ताकि वे बाजार के उतार-चढ़ाव का सामना कर सकें और अपने निवेश को सुरक्षित रखते हुए लाभ प्राप्त कर सकें।

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