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शेयर बाजार में उत्तर भारत के निवेशकों की चार गुना बढ़ोतरी, यूपी की है बड़ी हिस्सेदारी

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पिछले चार वर्षों में उत्तर भारत के लोग प्रॉपर्टी और सोने जैसी पारंपरिक निवेश योजनाओं को छोड़कर शेयर बाजार की ओर रुख कर रहे हैं। इस बढ़ती प्रवृत्ति ने शेयर बाजार में निवेश करने वाले उत्तर भारतीयों की संख्या में जबरदस्त उछाल ला दिया है। खासकर उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान इस बदलाव में सबसे आगे हैं।

शेयर बाजार में उत्तर भारत की भागीदारी-

आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2020 में उत्तर भारत के करीब 88.4 लाख लोग शेयर बाजार में निवेश कर रहे थे। हालांकि, जुलाई 2024 तक यह संख्या चार गुना बढ़कर 3.57 करोड़ हो गई है। पश्चिम भारत में भी निवेशकों की संख्या में वृद्धि देखी गई है, जो 1.08 करोड़ से बढ़कर 3.05 करोड़ हो गई, यह 182% की वृद्धि दर्शाती है। दक्षिण भारत में निवेशकों की संख्या 75 लाख से बढ़कर 1.89 करोड़ हो गई, जो 172% की वृद्धि है। वहीं, पूर्वी भारत में निवेशकों की संख्या 1.19 करोड़ तक पहुंच गई, जो 296% की प्रभावशाली वृद्धि को दर्शाता है।

तेजी से बढ़ रहे निवेशक: चार महीने में 33 लाख नए निवेशक-

साल 2024 के अप्रैल से जुलाई के बीच, सिर्फ चार महीनों में उत्तर भारत में 33.3 लाख नए निवेशक जुड़े हैं। इसके मुकाबले पश्चिम भारत में 19.6 लाख और दक्षिण भारत में 14.9 लाख नए निवेशक जुड़े। पूर्वी भारत में भी खासकर उत्तर पूर्वी राज्यों, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में निवेशकों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। यह उछाल इस बात का संकेत है कि उत्तर भारत के लोग तेजी से शेयर बाजार की संभावनाओं को पहचान रहे हैं।

क्यों बढ़ रही है निवेशकों की संख्या?

विशेषज्ञों के मुताबिक, 2021 के बाद से खुदरा निवेशकों की संख्या में जो चार गुना वृद्धि हुई है, उसका बड़ा हिस्सा यूपी जैसे क्षेत्रीय बाजारों से आया है। इस बढ़ोतरी के पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं: लोगों की आय में वृद्धि, शेयर बाजार के प्रति जागरूकता में इजाफा, और इंटरनेट की बेहतर पहुंच। इसके अलावा, मोबाइल एप्लिकेशनों के जरिए ऑनलाइन ट्रेडिंग को आसान बनाया गया है, जिससे छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों से भी निवेशक जुड़ रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले वर्षों में यह संख्या और भी बढ़ेगी, क्योंकि लोग निवेश के नए अवसरों को तलाश रहे हैं।

उत्तर प्रदेश का बड़ा योगदान-

उत्तर प्रदेश में वित्त वर्ष 2020 में 23 लाख निवेशक थे, जो कुल पंजीकृत निवेशकों का 7.4% हिस्सा था। अब यह संख्या 1.10 करोड़ तक पहुंच गई है और इसके साथ ही प्रदेश की हिस्सेदारी 11.1% हो गई है। महाराष्ट्र और गुजरात जैसे परंपरागत रूप से मजबूत बाजारों में हालांकि गिरावट देखी गई है। महाराष्ट्र में फिलहाल 1.67 करोड़ निवेशक हैं, जो 2020 में 19.2% की हिस्सेदारी से घटकर 16.8% पर आ गए हैं। गुजरात की हिस्सेदारी भी 8.8% पर आ गई है, जहां 87 लाख निवेशक मौजूद हैं।

भविष्य की संभावनाएं-

विश्लेषकों का कहना है कि जैसे-जैसे उत्तर भारत के लोग अधिक जागरूक हो रहे हैं, शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि होती रहेगी। खासकर उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में इंटरनेट और मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए ऑनलाइन निवेश के साधनों की उपलब्धता ने छोटे शहरों और कस्बों के लोगों को भी बाजार से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है। आने वाले समय में, यह रुझान और भी मजबूत हो सकता है, और निवेशकों की संख्या में भारी वृद्धि देखने को मिल सकती है। शेयर बाजार में यह बढ़ता हुआ विश्वास न केवल देश की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है, बल्कि इस क्षेत्र के लोगों को भी प्रॉपर्टी और सोने जैसे स्थिर निवेशों के अलावा नई वित्तीय योजनाओं की ओर आकर्षित कर रहा है।

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