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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के एक बयान ने भारत-अमेरिका के बीच चल रही ट्रेड डील को लेकर नए विवाद को जन्म दे दिया है। ट्रम्प ने दावा किया कि भारत ने अमेरिकी उत्पादों पर जीरो टैरिफ लगाने की पेशकश की है। हालांकि, भारत सरकार ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा है कि अभी दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है और कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।
क्या बोले ट्रम्प?
15 मई को ट्रम्प ने एक बयान में कहा:
“भारत ने हमें डील ऑफर की है कि वह अमेरिकी सामान पर टैरिफ खत्म करने के लिए तैयार है।”
इस बयान के बाद से अटकलों का बाजार गर्म है। खासतौर पर तब, जब भारत सरकार की ओर से इस दावे की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
भारत ने किया खंडन
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्रम्प के दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा:
“भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर बातचीत चल रही है। यह जटिल प्रक्रिया है। अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है।”
वहीं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल 17 से 20 मई तक अमेरिका के दौरे पर हैं, जहां वे अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक से व्यापार संबंधी मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं।
क्या होता है जीरो टैरिफ और इसका भारत पर क्या असर होगा?
जीरो टैरिफ का मतलब होता है कि किसी विदेशी सामान को देश में बिना किसी टैक्स या शुल्क के आयात किया जाए। उदाहरण के लिए, अगर अमेरिका से 1000 रुपए का बादाम भारत मंगवाया जाए और उस पर 50% टैरिफ लगता है, तो वह भारत में 1500 का पड़ता है। लेकिन जीरो टैरिफ लागू होने पर वही बादाम 1000 रुपए में मिलेगा।
भारत पर संभावित असर:
किसानों को भारी नुकसान: अमेरिकी सब्सिडी वाले कृषि उत्पादों के कारण भारतीय किसान कॉम्पिटिशन में पिछड़ सकते हैं।
सरकारी रेवेन्यू में गिरावट: टैरिफ घटने से सरकार को मिलने वाली आय कम हो जाएगी।
घरेलू उद्योग पर दबाव: सस्ता अमेरिकी सामान घरेलू उत्पादकों को पीछे धकेल सकता है।
नौकरियों पर खतरा: उद्योगों पर असर से रोजगार घटने की आशंका।
रुपए पर दबाव: बढ़ता इम्पोर्ट डॉलर की मांग बढ़ाएगा, जिससे रुपया कमजोर हो सकता है।
क्या कोई फायदा भी है भारत को?
ग्राहकों को सस्ते विकल्प: अमेरिकी सामान सस्ता होगा, जिससे आम लोगों को राहत मिल सकती है।
ट्रम्प के टैरिफ से राहत: अगर भारत जीरो टैरिफ देता है, तो ट्रम्प द्वारा भारत पर लगाए गए 26% रेसिप्रोकल टैरिफ से राहत मिल सकती है।
निवेश का रास्ता: ट्रम्प की शर्तें मानने से भारत में अमेरिकी निवेश को बढ़ावा मिल सकता है।
क्या है विशेषज्ञों की राय?
JNU के प्रोफेसर बिश्वजीत धर के मुताबिक,
“भारत सरकार की ओर से जीरो टैरिफ की कोई पेशकश नहीं हुई है। ट्रम्प का बयान भारत पर दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है।”
ORF के विशेषज्ञ विवेक मिश्र का कहना है,
“भारत कुछ सेक्टर्स में टैरिफ छूट दे सकता है, लेकिन कृषि जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में जीरो टैरिफ संभव नहीं। भारत ट्रम्प के सामने झुकेगा नहीं, लेकिन रणनीतिक रूप से कुछ रियायतें दी जा सकती हैं।”
भारत और अमेरिका के बीच 90 दिन की टैरिफ रोकथाम अवधि तेजी से खत्म हो रही है। ऐसे में दोनों देशों को जल्द ही बाइलैटरल ट्रेड एग्रीमेंट की शर्तें तय करनी होंगी। गोयल के दौरे से संभव है कि कुछ फेज-वाइज छूट पर सहमति बन जाए।हाल ही में भारत ने वर्ल्ड बैंक को बताया था कि अमेरिका के स्टील-एल्युमिनियम टैरिफ से उसका 7.6 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट प्रभावित हो सकता है।
भारत संभले कदमों से बढ़ेगा, किसान और उद्योग प्राथमिकता में
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर तस्वीर अभी पूरी तरह साफ नहीं है। ट्रम्प का बयान भले ही चौंकाने वाला हो, लेकिन भारत सरकार अपने आर्थिक और राजनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए किसी भी फैसले पर पहुंचेगी। किसानों और घरेलू उद्योगों के हितों की अनदेखी करना मोदी सरकार के लिए आसान नहीं होगा।
Baten UP Ki Desk
Published : 19 May, 2025, 7:59 pm
Author Info : Baten UP Ki