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मेटल सेक्टर के शेयरों की पिटाई से बाजार में गिरावट, सेंसेक्स 1100 अंक तक फिसला!

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शेयर बाजार ने शुक्रवार को एक जोरदार झटका दिया, जैसे ही निवेशकों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। शुरुआती सत्र में बीएसई सेंसेक्स एक समय 1100 अंक तक लुढ़क गया, जबकि एनएसई निफ्टी ने भी 24,250 के महत्वपूर्ण स्तर को तोड़ दिया। सुबह 10:58 बजे तक सेंसेक्स में 984.26 अंकों (1.21%) की गिरावट के साथ 80,352.14 पर कारोबार हो रहा था। इसी तरह, निफ्टी भी 301 अंक (1.23%) टूटकर 24,247.70 पर टिक गया, बाजार में निराशा और चिंता की लहर साफ नजर आई।

गिरावट का कारण: धातु शेयरों में दबाव, विदेशी फंडों की निकासी और कमजोर वैश्विक संकेत

धातु शेयरों पर दबाव:

शुरुआती कारोबार में धातु क्षेत्र के प्रमुख शेयरों जैसे टाटा स्टील और जेएसडब्ल्यू स्टील में भारी गिरावट आई। यह गिरावट इस तथ्य के कारण थी कि वैश्विक बाजारों में धातु की कीमतों में कमी आई है। विदेशी निवेशकों की बिकवाली: आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने गुरुवार को 3,560 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे, जिससे बाजार में और अधिक दबाव पड़ा। FII की बिकवाली भारत में ऊंचे मूल्यांकन के कारण संभावित जोखिम के संकेत के तौर पर देखी जा रही है।

मुद्रास्फीति में कमी और भारतीय रिजर्व बैंक की संभावित नीति-

हालांकि, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति में नवंबर में गिरावट आई है और यह 5.48% पर आ गई है। यह रिजर्व बैंक के आरामदायक स्तर पर है, जिससे संभावना जताई जा रही है कि फरवरी में रिजर्व बैंक अपनी ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।

औद्योगिक उत्पादन में मंदी-

भारत के औद्योगिक उत्पादन (IIP) की वृद्धि दर अक्टूबर 2024 में 3.5% पर रही, जो पिछले साल की समान अवधि से कम थी। इस मंदी का प्रमुख कारण खनन, बिजली और विनिर्माण क्षेत्र की सुस्ती है, जो बाजार की धारणा को और कमजोर कर रहा है।

वैश्विक बाजारों का प्रभाव-

वैश्विक बाजारों में भी गिरावट देखी गई। जापान के टोक्यो, चीन के शंघाई और हांगकांग के बाजारों में गिरावट का रुख था, जबकि सियोल में मामूली बढ़त रही। इसके अलावा, अमेरिकी शेयर बाजार भी नकारात्मक रूप से बंद हुए थे। इन वैश्विक संकेतों के कारण भारतीय बाजार में भी दबाव आया।

रुपया भी कमजोर, लेकिन उबरा-

भारतीय रुपया शुक्रवार को अपने सर्वकालिक निचले स्तर से उबरने में कामयाब रहा। रुपये ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पांच पैसे की बढ़त हासिल की और 84.83 के स्तर पर पहुंच गया। इससे पहले 12 दिसंबर को रुपया 84.88 के निचले स्तर पर बंद हुआ था। यह बढ़त मुद्रास्फीति के अनुकूल आंकड़ों के कारण आई, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए राहत का संकेत हैं।

भविष्य में उतार-चढ़ाव की संभावना-

विशेषज्ञों के अनुसार, निकट भविष्य में शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है, क्योंकि एफआईआई की बिकवाली जारी रहने की संभावना है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के वीके विजयकुमार ने कहा, "बाजार को मुद्रास्फीति में गिरावट से थोड़ी राहत मिल सकती है, लेकिन विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण संवेग पर दबाव बना रहेगा।"कुल मिलाकर, बाजार में मंदी के संकेत मजबूत हैं, और यह तब तक जारी रह सकता है जब तक विदेशी निवेशकों का विश्वास वापस नहीं आता। वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक की नीतिगत बदलावों से कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन निवेशकों को सतर्क रहना होगा।

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