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अक्सर जब हमें कोई मेडिकल खर्च वहन करना पड़ता है, या कॉलेज की फीस जमा करनी होती है, या इसके अलावा कोई अन्य बड़े खर्चे होते हैं तो हम क्या करते हैं। जिस बैंक में हमारा खाता होता है, हम वहां जाते हैं और पैसे निकालने के लिए बैंक से संपर्क करते हैं। लेकिन प्राप्त किए गए नोट नकली निकल जाएं तो, दरअसल ताजनगरी आगरा में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) करेंसी चेस्ट में दो-दो हजार के 11 नकली नोट निकले। आरबीआई ने अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध केस दर्ज कराया है।
करेंसी चेस्ट किसे कहा जाता है?
कभी आपने सोचा है कि जब बैंक को ढेर सारे रुपयों की ज़रूरत होती है तो बैंक कहां जाता है, किससे संपर्क करता है? दरअसल, बैंक का भी एक बैंक होता है जिसे करेंसी चेस्ट कहा जाता है। जब किसी बैंक को ज्यादा नकदी की ज़रूरत पड़ती है तो वह करेंसी चेस्ट में इसके लिए अनुरोध करता हैं। यह करेंसी चेस्ट उन्हें साफ़-सुथरे, ताजा बैंक नोट उपलब्ध कराते हैं, इन नोटों को छांटकर गिना जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सही हैं या नहीं।
क्या होती हैं करेंसी चेस्ट शाखाएं?
बैंकों में करेंसी चेस्ट एक ऐसी जगह होती है जहां भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई द्वारा बैंकों और एटीएम के लिए भेजे जाने वाले पैसे को रखा जाता है। यह करेंसी चेस्ट तमाम बैंकों में मौजूद होता है और इसकी कमान भारतीय रिजर्व बैंक के हाथ में होती है यानी यह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रशासित होता है। यहां रखा हुआ पैसा आरबीआई का होता है जबकि करेंसी चेस्ट के बाहर स्ट्रांग रूम में रखा पैसा बैंक का होता है। आरबीआई के प्रतिनिधि समय-समय पर इन करेंसी चेस्ट का निरीक्षण करते हैं। ये करेंसी चेस्ट पूरे देश में कई बैंकों में रखे गए हैं। वहीं बैंकों के जिन शाखाओं में करेंसी चेस्ट मौजूद होता है उन्हें करेंसी चेस्ट शाखाएं कहा जाता है।
करेंसी चेस्ट की भूमिका-
करेंसी चेस्ट भारतीय अर्थव्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनका सबसे प्रमुख कार्य होता है मुद्रा का भंडारण करना, यानी यह बड़ी मात्रा में नकदी का सुरक्षित भंडारण करते हैं। साथ ही यह कमर्शियल बैंकों और एटीएम को नकदी वितरित करते हैं और नकदी की जमा, निकासी और विनिमय(Exchange) करते हैं। इसके अलावा यह नकदी की गुणवत्ता का नियंत्रण भी करते हैं यानी क्षतिग्रस्त या जाली नोटों को हटाते हैं।
कहां होती है करेंसी की प्रिंटिंग?
देश के 4 सरकारी प्रेस में करेंसी की प्रिंटिंग होती है, जहां से उसे सीधे रिज़र्व बैंक के 18 ब्रांच या इशू ऑफिस में पहुंचाया जाता है। इसके लिए रेलवे, एयर फ़ोर्स के माल वाहक विमान और राज्य पुलिस की मदद ली जाती है। इस पूरी प्रक्रिया को गोपनीय रखा जाता है, साथ ही सुरक्षा के लिए देश के कुछ संवेदनशील इलाकों में सेना की मदद भी ली जाती है। इसके बाद रिज़र्व बैंक की निगरानी में करेंसी को अन्य बैंकों द्वारा चलाए जा रहे चेस्ट में पहुंचा दिया जाता है। बता दें कि करेंसी चेस्ट को देश भर में स्थापित करने के लिए रिज़र्व बैंक, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के अलावा 6 सहयोगी बैंकों, सभी नेशनलाइज्ड बैंक, प्राइवेट सेक्टर के कुछ चुने हुए बैंक, 1 विदेशी बैंक, 1 कोऑपरेटिव बैंक और ग्रामीण बैंकों का सहारा लेता है।
By Astha Srivastava
Baten UP Ki Desk
Published : 6 June, 2024, 7:09 pm
Author Info : Baten UP Ki